सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...

दोस्तों, मोबाइलवाणी के अभियान क्योंकि जिंदगी जरूरी है में इस बार हम इसी मसले पर बात कर रहे हैं, जहां आपका अनुभव और राय दोनों बहुत जरूरी हैं. इसलिए हमें बताएं कि आपके क्षेत्र में बच्चों को साफ पानी किस तरह से उपलब्ध हो रहा है? क्या इसमें पंचायत, आंगनबाडी केन्द्र आदि मदद कर रहे हैं?आप अपने परिवार में बच्चों को साफ पानी कैसे उपलब्ध करवाते हैं? अगर गर्मियों में बच्चों को दूषित पानी के कारण पेचिस, दस्त, उल्टी और पेट संबंधी बीमारियां होती हैं, तो ऐसे में आप क्या करते हैं? क्या सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों से बच्चों का इलाज संभव है या फिर इलाज के लिए दूसरे शहर जाना पड रहा है? जो बच्चे स्कूल जा रहे हैं, क्या उन्हें वहां पीने का साफ पानी मिल रहा है? अगर नहीं तो वे कैसे पानी का इंतजाम करते हैं?

बनो नई सोच ,बुनो हिंसा मुक्त रिश्ते की आज की कड़ी में हम सुनेंगे महिलाओं के साथ होने वाले दुर्व्यवहार और हिंसा के बारे में।

बिहार राज्य के पश्चिम चम्पारण जिला से अशोक शास्त्री ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि सरकारी/गैरसरकारी विद्यालय में अपने बच्चों को पढ़ाने वाले तमाम अभिभावकों से अपील - आप बने जागरूक और जिम्मेदार और अपने बच्चों सहित संबंधित विद्यालयों पर रखे नजर अन्यथा आपके बच्चों का भविष्य हो सकता है अन्धकार में।

मैं राकेश कुमार वर्मा पश्चिम चंपारण वालीबाड़ी के माध्यम से बताना चाहता हूं कि घबराने की जरूरत नहीं है , चाहे आपने सुना हो या नहीं , वह आपको कलने जिले के छह प्रखंड बता रहे हैं । यानी लौरिया मझोलिया , बैरिया , बगहा , जुगापति , मधुबानी के लगभग आठ स्कूलों में बच्चों को फाइलेरिया और अलवेंडा की दवा खिलाकर उन्हें फाइलेरिया और अलवेंडा की दवा देनी चाहिए । दो सौ तैंतीस बच्चे बीमार पड़ गए , लेकिन इससे माता - पिता को घबराना नहीं चाहिए , क्योंकि सिविल सर्जन पश्चिम चंपारण श्रीकांत द्विवेदी का कहना है कि फाइलेरिया को रोकने के लिए सर्वजन दवा का सेवन किया जा रहा है । दवा के हल्के दुष्प्रभाव हो सकते हैं , लेकिन इससे डरने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि लोगों की सुरक्षा के लिए जिला और ब्लॉक स्तर पर दवा लेने के बाद कोई दुष्प्रभाव नहीं होते हैं । एक त्वरित प्रतिक्रिया दल भी बनाया गया है , इसलिए मेरे भाई महाम , अपने बच्चों और खुद को एल्वेंडाजोल और फाइलेरिया देने से डरो मत । क्योंकि बच्चे बीमार हो जाते हैं जब कुछ उन्हें प्रभावित करता है , तो उनका तुरंत इलाज किया जाता है और वे ठीक हो जाते हैं ।

बिहार राज्य के पश्चिम चम्पारण जिला से अशोक शास्त्री ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महात्मा गाँधीजी जी ने प. चम्पारण में कुल 42 बुनियादी विद्यालय की स्थापना व संचालन शुरू की थी। इन विद्यालयों में शिक्षा के साथ रोजगारपरक शिक्षा व संस्कार की पाठ पढा़ई जाती थी। लेकिन बदलते परिस्थितियों में इन विद्यालयों की स्थिति बिल्कुल बदल चुकी है। यहाँ पढ़ रहे बच्चों का भविष्य दूर दूर तक उज्जवल नही दिख रहा है।

2016 में 14% छात्र औपचारिक शिक्षा से बाहर थे जो कि देश में 2023 में भयानक सुधार होने के बाद भी अब मात्र 13.2 फीसद बाहर हैं ... 2016 में 23.4 फीसद अपनी भाषा में कक्षा 2 का पाठ नहीं पढ़ पाते थे आज 2023 में अति भयानक सुधार के साथ ये आंकड़ा 26.4 प्रतिशत है ... देश के आज भी 50 फीसद छात्र गणित से जूझ रहे हैं ... मात्र 8 साल में गणित में हालात बद से बदतर हो गए ... 42.7% अंग्रेजी में वाक्य नहीं पढ़ सकते हैं... अगर आप सरकार से जवाब माँगिए , तो वे कहती है कि वो लगातार बैठकें कर रहे हैं लेकिन असर की रिपोर्ट बताती है कि ये बैठकें कितनी बेअसर हैं... तो विश्व गुरु बनने तक हमें बताइये कि *-----आपके गांव या जिला के स्कूलों की स्थिति क्या है ? *-----वहां पर आपके बच्चों को या अन्य बच्चों को किस तरह की शिक्षा मिल रही है ? *-----और आपके गाँव के स्कूलों में स्कुल के भवन , बच्चों की पढ़ाई और शिक्षक और शिक्षिका की स्थिति क्या है ?

सरकार का दावा है कि वह 80 करोड़ लोगों को फ्री राशन दे रही है, और उसको अगले पांच साल तक दिये जाने की घोषणा की है। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में यह भी दावा किया कि उनकी सरकार की नीतियों के कारण देश के आम लोगों की औसत आय में करीब 50 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। इस दौरान वित्त मंत्री यह बताना भूल गईं की इस दौरान आम जरूरत की वस्तुओं की कीमतों में कितनी बढ़ोत्तरी हुई है।

जिले के सिकटा प्रखंड के बैशाखवा चौक स्थित उच्च विद्यालय की शिक्षको, शिक्षण व्यवस्था की बदहाली को देखते हुए पिछले कई महिनों से तंग आकर छात्रों ने विद्यालय में लगाया ताला। अंत मे बीईओ, अभिभावकों एवं स्थानीय मुखिया की प्रयास से पुन: विद्यालय को विधिवत संचालित करने की बात तय हुई।