महिलाओं की लगातार बढ़ती हिस्सेदारी और उसके सहारे में परिवारों के आर्थिक हालात सुधारने की तमाम कहानियां हैं जो अलग-अलग संस्थानों में लिखी गई हैं, अब समय की मांग है कि महिलाओं को इस योजना से जोड़ने के लिए इसमें नए कामों को शामिल किया जाए जिससे की ज्यादातर महिलाएं इसका लाभ ले सकें। दोस्तों आपको क्या लगता है कि मनरेगा के जरिए महिलाओँ के जीवन में क्या बदलाव आए हैं। क्या आपको भी लगता है कि और अधिक महिलाओं को इस योजना से जोड़ा जाना चाहिए ?

मनरेगा में भ्रष्टाचार किसी से छुपा हुआ नहीं है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा दलित आदिवासी समुदाय के सरपंचों और प्रधानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि पहले तो उन्हें गांव के दबंगो और ऊंची जाती के लोगों से लड़ना पड़ता है, किसी तरह उनसे पार पा भी जाएं तो फिर उन्हें प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस मसले पर आप क्या सोचते हैं? क्या मनरेगा नागरिकों की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएगी?

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छोटे बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र और आधार कार्ड लेट होने पर कैसे बनाएं

पश्चिम चंपारक मोबाइल वानी के सभी श्रोताओं को नमस्कार आप सुन रहे हैं कि मैं आशुतोष कुमार कुशवाहा हूँ जो माधवानी ब्लॉक से हैं मजदूरों को मनरेगा के तहत काम नहीं मिला । विलय के कारण मनरेगा पर निर्भर सभी लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है । उन्हें मनरेगा से कोई काम नहीं मिल रहा है , न ही उन्हें रोजगार मिल रहा है । इसलिए , आपको अपनी आजीविका के लिए रोजगार नहीं मिलने के कारण बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है ।

कोई जनता नी बोल हमारा इंदिरा नभिरा मेरे बसात न मैं बुरखी सान्न नहीं ।

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नही मिल रहा हैं पेन्शन, आवास और शौचालय का लाभ नही मिल रहा है...

मेरा नाम मोनी देवी लाल मोनी देवी है एक लकड़ी बनाने वाली मारिया ब्लॉक है स्का हट्या सुजा भवानी कुरभुला पटनीचंद प्राराम देती है मेरा ट्रबल है मारा बाल बच्चा को रफ्फान मिला ही नहीं रफ्फान मिला है ना मौसम आती है अभी बीज पैसा नहीं मिला है दे पा जरी है चारजा रुपया आते है अकाउंट में बस हुई है । हम इंदिरा दास को लेते हैं , बच्चों को बताते हैं कि उनके तीन , तीन , पांच बच्चे हैं , उन्हें भी कोई लाभ नहीं मिला है , हम नौकरी में रहते हैं , किसान भी किसान है , उन्हें कोई पैसा नहीं मिला है , उन्हें कोई पैसा नहीं मिला है , मैंने दो हजार रुपये खर्च किए हैं । अभी मत आओ , इसे अपने पास रखो , यही मरने की कुंजी है । ये बदाल दिया मां वा बदाल दिया आगवान ले लिए तो कहां ये जाओ बातें मो मैं हाला ये जाओ बातें धरम ले सबूह मारा । हम कीड़े में पैसे उठाते हैं और अपनी खुद की दुकान चलाते हैं , नौ सा माफ है विधवा है और मारा कोई देखने वाला तो नहीं राशन मिल्ता है पीला वाला कार्ड है मिल्ता है राशन बीस किलो चावल , सात किलो गहू , चेरी वाला मिल्ता है । पैसा नहीं लगता है जो बेटा है उसका बहू भी है तिल बाल बचा दिया है उसका राशन नहीं मिलता है बच्चे के आधार राशन कार्ड में नाम था तो काट भी गया है राजेश का नाम है उसका बहू है तिल बाल बचा दिया है ।

नही मिल रहा सरकारी सुविधाओं का लाभ हो रहे परेशान....