उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से अरविन्द ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि जमीन हर बार एक संघर्ष का कारण बना हुआ है। आज तक पुरुष और महिला में बराबरी नहीं हो पाई है। समाज पितृसत्तात्मक होने के नाते महिलाओं को बाहर काम करने का मौका नहीं देता है। लड़कियाँ नौकरी में पीछे ही रह जाती है। लेकिन आज कुछ महिलाएं है जो बहुत आगे बढ़ी है और देश के विकास में योगदान दी है। वही जमीन की बात करें तो जमीन महिलाओं के नाम तो रहता है पर उनका मालिकाना हक़ उसमे रहता नहीं है। सरकार वोट के नाते महिलाओं का साथ दे रही है पर आज भी महिलाओं को वो दर्ज़ा नहीं मिलता जो पुरुषों को मिलता है। कई महिलाएं ऐसी है जो बंधनों को पार कर कई मुकाम हासिल की है, बाकि महिलाओं को भी जागरूक होना चाहिए

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से विजय पाल चौधरी ,मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि बस्ती ज़िला के विकासखंड खुदराहा से ग्राम पंचायत में मनरेगा का काम हो रहा है। मूसलाधार बारिश होने के बाद भी मनरेगा मज़दूरों द्वारा काम करवाया जा रहा है। सड़क के दोनों तरफ पटरियों की साफ़ सफाई हो रही है। जिसमे मज़दूरों की फ़र्ज़ी हाज़री लगाई जा रही है

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मानसून शुरू होते ही बस्ती जिले की विद्युत व्यवस्था पूरी तरीके से बेपटरी होकर लड़खड़ा रही है जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से अरविन्द श्रीवास्तव , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि आज भी महिलाओं को जमीन के अधिकार से वंचित रखा गया है। भारत के जनगणना के अनुसार 56 प्रतिशत ग्रामीण महिलायें जमीन से बेदखल है। इसके कारण महिलाओं को बहुत संघर्ष करना पड़ता है और वह जमीन का हक़ पाने के लिए बहुत संघर्ष करती रहती है। ये देखा जाता है कि पति के गुजर जाने के बाद महिला को घर से निकाल दिया जाता है। तो इस तरह की महिलाओं के खिलाफ अन्य महिलाओं को आवाज़ उठाना चाहिए। ताकि उनको मालिकाना हक़ मिल सके। उनका जीवन बेहतर हो सके। महिलाओं को शिक्षा बहुत कम या नहीं दिया जाता है ,जिसकेकारण उनको जमीन के सम्बन्ध में कोई जानकारी नहीं होती है और बाद में उनको बहुत परेशानी होती है।

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उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से रमजान अली, मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि यह देखा जा रहा है कि जमीन की रजिस्ट्री महिलाओं के नाम पर किया जा रहा है। महिलाओं के नाम से रजिस्ट्री करवाने पर शुल्क कम लगता है। जमीन की रजिस्ट्री पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के नाम पर लिखी जा रहे है। अब महिलाओं को जमीन परअधिकार मिल रहा है।