उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से काजल सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि प्राकृतिक वेंटिलेशन घर के अंदर के तापमान को बाहर के तापमान के करीब बनाये रखता है, और आपके घर से गर्मी को दूर करने में मदद करता है। लेकिन दिन या रात के सबसे ठंडे हिस्सों के दौरान ही वेंटिलेशन करें। प्रकृति की विकृति न केवल शहर में बल्कि अब गांवों में भी दिखाई देती है। क्योंकि अब गांव के रहन-सहन में काफी बदलाव आ गया है

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से काजल सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि जलवायु परिवर्तन का प्रभाव सूखे सहित पानी की कमी को बढ़ा रहा है। बाढ़ और गर्मी भी देखने को मिल रही है। जो घरों, स्कूलों और स्वास्थ्य सुविधाओं और खाद्य आपूर्ति में महत्वपूर्ण जल और स्वच्छता बुनियादी ढांचे और सेवाओं को नुकसान पहुंचा सकती हैं। जलवायु का वर्णन करने का सबसे सरल तरीका समय के साथ आवश्यक तापमान और वर्षा को देखना है

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बलरामपुर से श्री देवी सोनी , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहती है कि जल संचयन की एक स्थायी प्रथा भी है जिसमें विभिन्न परियोजनाओं के लिए वर्षा जल एकत्र करना सभी का कर्तव्य है। भंडारण और उपयोग में वर्षा जल संचयन शामिल होना चाहिए। सिंचाई धोने और पीने जैसे विभिन्न उपयोगों के लिए वर्षा जल को इकट्ठा करने और संग्रहीत करने का एक शानदार तरीका है। उचित योजना और स्थापना के साथ, वर्षा जल संचयन प्रणाली पानी की कमी और सूखे के लिए प्रभावी और सुविधाजनक समाधान हैं। शायद एक प्रणाली स्थापित करके, आप अपने पानी के बिलों पर पैसे बचा सकते हैं, नगरपालिका की जल आपूर्ति पर अपनी निर्भरता को कम कर सकते हैं, और सबसे बढ़कर, बड़े पैमाने पर मानव आबादी के लिए पानी के संरक्षण में मदद कर सकते हैं।

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से काजल सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि मानव जीवन तापमान की एक संकीर्ण सीमा के भीतर समर्थित है, शरीर का तापमान निर्धारित बिंदु 98.6°F (37°C) है। बहुत कम या बहुत अधिक तापमान के कारण एंजाइम काम करना बंद कर देते हैं और चयापचय रुक जाता है। 82.4°F (28°C) पर मांसपेशियों की विफलता होती है और हाइपोथर्मिया शुरू हो जाता है।शरीर के तापमान में बढ़ोतरी को बेहतर ढंग से कम करने के लिए इन थर्मोरेगुलेटरी प्रतिक्रियाओं की क्षमता जलयोजन स्थिति से प्रभावित होती है। उदाहरण के लिए, द्रव संतुलन में कमी (यानी, निर्जलीकरण) के परिणामस्वरूप शरीर का मुख्य तापमान यूहाइड्रेशन बनाए रखने की तुलना में अधिक होता है। हमारा शरीर पानी से बना है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से काजल सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पर्यावरण संरक्षण हमारी संस्कृति का अंग है, परंतु मानव में अपने स्वार्थ के लिए प्राकृतिक संसाधनों के दोहन की प्रवृत्ति ने पर्यावरण संकट की नई चुनौती को जन्म दिया है। कोविड-19 महामारी ने हमें साफ हवा की कीमत समझा दी है। पर्यावरण संरक्षण के निमित्त आमजन का सहयोग अनिवार्य हो गया है।आज मानव को हरित मानसिकता विकसित करने की आवश्यकता है। दैनिक कार्यों में प्लास्टिक का कम से कम प्रयोग किया जाए, ताकि पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सके। घरों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों को अलग-अलग वर्गों में विभाजित किया जाना चाहिए। किसान जैविक खेती करें। कम से कम उर्वरक व कीटनाशकों का प्रयोग किया जाए। प्रत्येक व्यक्ति अपने आसपास गमलों में छोटे-छोटे पौधे लगाएं। कम बिजली, कम पानी, कम गैस का प्रयोग कर कोई भी व्यक्ति पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। प्रदूषण रोकने के लिए जलाऊ लकड़ी का उपयोग कम करना जरूरी है, जिसके लिए विद्युत शवदाह गृहों का उपयोग करना चाहिए। प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए कम दूरी तय करने के लिए साइकिल एवं अधिक दूरी तय करने के लिए सार्वजनिक वाहनों का उपयोग करें। छोटे-छोटे प्रयास करके भी पर्यावरण को ठीक रखा जा सकता है।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बलरामपुर से श्री देवी सोनी , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहती है कि हमे पानी को बचाना चाहिए। पानी को बर्बाद नहीं करना चाहिए। पुराने शौचालय को बदले। शौचालय में पानी बर्बाद नहीं करना चाहिए।

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से काजल सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि गर्मियों में मानव शरीर पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। अत्यधिक गर्मी के संपर्क में आने से हीट स्ट्रोक और निर्जलीकरण हो सकता है। साथ ही हृदय,श्वशन और अन्य रोग भी हो सकते हैं। अत्यधिक गर्मी उत्तरी अक्षांशों में आबादी को प्रभावित करने की अधिक संभावना है। जहाँ लोग अत्यधिक तापमान से निपटने के लिए कम तैयार हैं। जलवायु परिवर्तन मानव स्वास्थ्य को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरीकों से प्रभावित करता है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

उत्तरप्रदेश राज्य के बलरामपुर ज़िला से श्रीदेवी सोनी ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि जल बचाना ज़रूरी है। आम जनता को सामाजिक और आर्थिक तरीके से जल बचाना चाहिए। अगर जल तकीनीकी यत्रों का उपयोग करने से जल बच सकता है या हमारे पैसे बच सकते है तो पर्यावरण बच सकता है। पानी का दुरूपयोग कम करना चाहिए। धीरे धीरे जल का मांग बढ़ रहा है और अब जल घटता जा रहा है। पोलविंग्स और फिक्स्चर जैसे उच्च दक्षता वाले उपकरणों है जो लगभग तीस प्रतिशत घरेलू उपयोग में आते है ।छोटी छोटी प्रक्रिया से पानी का बचत कर सकते है

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बलरामपुर से श्री देवी सोनी , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहती है कि हमे जल को बचाना चाहिए। पानी का कम इस्तेमाल करना चाहिए। पानी को बर्बाद नहीं करना चाहिए।

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से काजल सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि तपती धूप के कारण सूखा पड़ सकता है और जंगल में आग लगने का खतरा बढ़ सकता है। गर्म हवाएँ फसलों तथा वन जीवों को नुकसान पहुँचाती हैं और मनुष्यों के लिए घातक होती हैं।हवा स्थिर हो जाती है, इसलिए प्रदूषण ताजी हवा से बजाय पर्यावरण में ही बना रहता है। वैश्विक ताप के परिणामस्वरूप पृथ्वी के तापमान में वृद्धि हुई है। ध्रुओं की बर्फ तेजी से पिघलने लगी है ,जिसके कारण समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।