भारत का आम समाज अक्सर सरकारी सेवाओं की शिकायत करता रहता है, सरकारी सेवाओं की इन आलोचनाओं के पक्ष में आम लोगों सहित तमाम बड़े बड़े अर्थशास्त्रियों तक का मानना है कि खुले बाजार से किसी भी क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों में कंपटीशन बढ़ेगा जो आम लोगों को बेहतर सुविधाएं देगा। इस एक तर्क के सहारे सरकार ने सभी सेवाओं को बाजार के हवाले पर छोड़ दिया, इसमें जिन सेवाओं पर इसका सबसे ज्यादा असर हुआ वे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर पड़ा है। इसका खामियाजा गरीब, मजदूर और आम लोगों को भुगतना पड़ता है।

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में।

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सभी व्यक्ति अपने-अपने आयुष्मान कार्ड बनवा ले उससे उससे 5 लाख के इलाज में बचत होगा

बिहार राज्य के नालंदा जिले से अनीता कुमारी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि बच्चे जब तीन साल के हो जाते हैं तो,उनका एडमिशन आंगनबाड़ी केंद्र में करवाना चाहिए। आंगनबाड़ी केंद्र पर बच्चों को वैक्सीन लगाया जाता है। पांच साल होने पर बच्चे का एडमिशन प्राथमिक विद्यालय में करना चाहिए।

पहले आशा दीदी से संपर्क रखना दूसरा है हॉस्पिटल तीसरा है खून देने वाला का नंबर चौथ है एंबुलेंस का नंबर रखना 55 पैसों की व्यवस्था करके रखना