टी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" के नारे से रंगी हुई लॉरी, टेम्पो या ऑटो रिक्शा आज एक आम दृश्य है. पर नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च द्वारा 2020 में 14 राज्यों में किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि योजना ने अपने लक्ष्यों की "प्रभावी और समय पर" निगरानी नहीं की। साल 2017 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में हरियाणा में "धन के हेराफेरी" के भी प्रमाण प्रस्तुत किए। अपनी रिपोर्ट में कहा कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ स्लोगन छपे लैपटॉप बैग और मग खरीदे गए, जिसका प्रावधान ही नहीं था। साल 2016 की एक और रिपोर्ट में पाया गया कि केंद्रीय बजट रिलीज़ में देरी और पंजाब में धन का उपयोग, राज्य में योजना के संभावित प्रभावी कार्यान्वयन से समझौता है।

2024 के आम चुनाव के लिए भी पक्ष-विपक्ष और सहयोगी विरोधी लगभग सभी प्रकार के दलों ने अपने घोषणा पत्र जारी कर दिये हैं। सत्ता पक्ष के घोषणा पत्र के अलावा लगभग सभी दलों ने युवाओं, कामगारों, और रोजगार की बात की है। कोई बेरोजगारी भत्ते की घोषणा कर रहा है तो कोई एक करोड़ नौकरियों का वादा कर रहा है, इसके उलट दस साल से सत्ता पर काबिज राजनीतिक दल रोजगार पर बात ही नहीं कर रहा है, जबकि पहले चुनाव में वह बेरोजगारी को मुद्दा बनाकर ही सत्ता तक पहुंचा था, सवाल उठता है कि जब सत्ताधारी दल गरीबी रोजगार, मंहगाई जैसे विषयों को अपने घोषणापत्र का हिस्सा नहीं बना रहा है तो फिर वह चुनाव किन मुद्दों पर लड़ रहा है।

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मनरेगा में भ्रष्टाचार किसी से छुपा हुआ नहीं है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा दलित आदिवासी समुदाय के सरपंचों और प्रधानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि पहले तो उन्हें गांव के दबंगो और ऊंची जाती के लोगों से लड़ना पड़ता है, किसी तरह उनसे पार पा भी जाएं तो फिर उन्हें प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस मसले पर आप क्या सोचते हैं? क्या मनरेगा नागरिकों की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएगी?

बुनियादी सुविधाएं सरकार द्वारा प्रदान की जाती हैं, लेकिन जनता को उनकी सुविधाएं ठीक से नहीं मिलती हैं क्योंकि जिस तरह से लोग निजी स्कूलों में अब सरकारी स्कूलों की बात कर रहे हैं, सरकारी स्कूलों में ऐसे लोग हैं जो अपने बच्चों को भेजते हैं लेकिन वहां सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं

बिहार राज्य के नालंदा जिले के हिलसा प्रखंड से कुंजन कुमार ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि प्राइवेट अस्पताल में सरकारी अस्पताल के तुलना में सुविधा ज्यादा मिलती है। इसलिए समृद्ध लोग प्राइवेट अस्पताल में जाते हैं

बिहार राज्य के नालंदा जिला के हिलसा प्रखंड से कुंजन ने मोलाइल वाणी ले माध्यम से बताया कि सरकारी अस्पतालों में डाक्टर और नर्स समय से नही आते हैं और सुविधाओं का अभाव होता है। इस कारण समृद्ध लोग प्राइवेट अस्पताल में जाते हैं। गरीबों को मज़बूरी में सरकारी अस्पताल जाना पड़ता है

बिहार राज्य के नालंदा जिला के हिलसा प्रखंड से कुमारी आकांक्षा ने मोलाइल वाणी ले माध्यम से बताया कि गांव के स्कूल में अच्छे से पढ़ाई हो रहा है। शिक्षक हर पीरिएड में समय से आते हैं और अपना विषय पढ़ाते हैं

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बिहार राज्य के नालंदा जिला के नगरनौसा प्रखंड से रिंकू कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से जानना चाहती है कि क्या राशन में मिलने वाले चावल में प्रोटीन मिला कर दिया जाता है