किसी भी समाज को बदलने का सबसे आसान तरीका है कि राजनीति को बदला जाए, मानव भारत जैसे देश में जहां आज भी महिलाओं को घर और परिवार संभालने की प्रमुख इकाई के तौर पर देखा जाता है, वहां यह सवाल कम से कम एक सदी आगे का है। हक और अधिकारों की लड़ाई समय, देश, काल और परिस्थितियों से इतर होती है? ऐसे में इस एक सवाल के सहारे इस पर वोट मांगना बड़ा और साहसिक लेकिन जरूरी सवाल है, क्योंकि देश की आबादी में आधा हिस्सा महिलाओं का है। इस मसले पर बहनबॉक्स की तान्याराणा ने कई महिलाओँ से बात की जिसमें से एक महिला ने तान्या को बताया कि कामकाजी माँओं के रूप में, उन्हें खाली जगह की भी ज़रूरत महसूस होती है पर अब उन्हें वह समय नहीं मिलता है. महिलाओं को उनके काम का हिस्सा देने और उन्हें उनकी पहचान देने के मसले पर आप क्या सोचते हैं? इस विषय पर राय रिकॉर्ड करें

बिहार राज्य के नालंदा ज़िला के नगरनौसा प्रखंड से शम्भू ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि कोविशील्ड का टीका से कई मौतों हुई ,इसकी कोई जाँच नहीं की गई । कोविशील्ड टीका की जाँच भी अच्छे से नहीं की गई। अगर अच्छे से जाँच की गई होती तो इतनी तादाद में मौते नहीं होती

बिहार राज्य के नालंदा ज़िला के नगरनौसा प्रखंड से शम्भू ,मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि चलो चलें कार्यक्रम में जो इलाहाबाद की बाते बताई ,वो अच्छी लगी। सरकार को क्षेत्र का नाम नहीं बदलना चाहिए। इतिहास को बदलना गलत है।

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कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की स्वीकारोकती के बाद सवाल उठता है, कि भारत की जांच एजेंसियां क्या कर रही थीं? इतनी जल्दबाजी मंजूरी देने के क्या कारण था, क्या उन्होंने किसी दवाब का सामना करना पड़ रहा था, या फिर केवल भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। जिसके लिए फार्मा कंपनियां अक्सर कटघरे में रहती हैं? मसला केवल कोविशील्ड का नहीं है, फार्मा कंपनियों को लेकर अक्सर शिकायतें आती रहती हैं, उसके बाद भी जांच एजेंसियां कोई ठोस कारवाई क्यों नहीं करती हैं?

बिहार राज्य के जिला नालंदा से शम्भू प्रसाद , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि एम. डी. एच. मसाला समर मसाला में एक कीटनाशक है। हांगकांग सरकार या एजेंसियों द्वारा बताया गया है कि मसालों में कीटनाशक होते है। भारत की एजेंसी किस तरह से जांच करती है कि उसके मानकों पर खरी नहीं उतरती हैं। लोगों का स्वास्थ्य अच्छा रहे ये बहुत जरूरी है। जांच एजेंसियों और सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए ।

हांगकांग के फूड सेफ्टी विभाग सेंटर फॉर फूड सेफ्टी ने एमडीएच कंपनी के मद्रास करी पाउडर, सांभर मसाला मिक्स्ड पाउडर और करी पाउडर मिक्स्ड मसाला में कीटनाशक एथिलीन ऑक्साइड पाया है और लोगों को इसका इस्तेमाल न करने को कहा है. ऐसा क्यों? जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें

हमारे देश में हर एक दिन की अपनी खास बात और महत्व है। जहां एक दिन किसी दिन को हम किसी की जयंती के रूप में मनाते हैं, तो किसी दिन को बेहद ही खुशी से। इसी कड़ी में 24 अप्रैल का दिन भी बेहद खास है।इस दिन पंचायतो में विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों का आयोजन किया जाता है जो पंचायत की उपलब्धियों और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में उनके योगदान को उजागर करते हैं। यह दिन 17 जून 1992 को संविधान में 73वें संशोधन के पारित होने और 24 अप्रैल 1993 को कानून लागू होने की याद में मनाया जाता है। पंचायती राज व्यवस्था का जनक लॉर्ड रिपन को माना जाता है अगर देश में किसी गांव में कोई दिक्कत है या उस गांव की हालत खराब है, तो उस गांव की इस समस्या को दूर करने और उसे सशक्त एवं विकसित बनाने के लिए ग्राम पंचायत ही उचित कदम उठाती है। तो आइये दोस्तों ,इस राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर हम सभी पंचायत के नियमों का पालन करे और पंचायती राज व्यवस्था का हिस्सा बन कर पंचायत के विकास में योगदान दे । मोबाइल वाणी के पुरे परिवार की और से आप सभी को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

बिहार राज्य के नालंदा जिला से निर्मला ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि सरकार द्वारा बुनियादी सुविधाएँ दी जाती है, मगर जनता को उनका लाभ सही तरीके से नहीं मिल पाता है। सरकारी स्कूलों में विभिन्न विषयों के टीचर क्लास नही लेते हैं या टीचर गायब रहते हैं। इस कारण बच्चों को सरकारी स्कूलों में शिक्षा नही मिल पाती है। शिक्षकों पर पढ़ाने का किसी प्रकार का कोई दबाव नहीं होता है। इसके विपरीत प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा पर ध्यान दिया जाता है और टीचर पर अच्छे से पढ़ाने का दबाव रहता है।बच्चों की अच्छी शिक्षा के लिए माता-पिता अपने घर से पैसा लगा कर बच्चों को प्राइवेट स्कूल भेजने के लिए मजबूर हैं। अगर सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं के साथ शिक्षा की स्थिति में सुधार होगा तो निःसंदेह ज्यादा बच्चे प्राइवेट स्कूल से ज्यादा सरकारी स्कूलों में पढ़ेंगे। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

दोस्तों, प्रधानमंत्री के पद पर बैठे , किसी भी व्यक्ति से कम से कम इतनी उम्मीद तो कर ही सकते हैं कि उस पद पर बैठने वाला व्यक्ति पद की गरिमा को बनाए रखेगा। लेकिन कल के भाषण में प्रधानमंत्री ने उसका भी ख्याल नहीं रखा, सबसे बड़ी बात देश के पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ खुले मंच से झूठ बोला। लोकतंत्र में आलोचना सर्वोपरि है वो फिर चाहे काम की हो या व्यक्ति की, सवाल उठता है कि आलोचना करने के लिए झूठ बोलना आवश्यक है क्या? दोस्तों आप प्रधानमंत्री के बयान पर क्या सोचते हैं, क्या आप इस तरह के बयानों से सहमत हैं या असहमत, क्या आपको भी लगता है कि चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जाना अनिवार्य है, या फिर आप भी मानते हैं कि कम से कम एक मर्यादा बनाकर रखी जानी चाहिए चाहे चुनाव जीतें या हारें। चुनाव आयोग द्वारा कोई कार्रवाई न करने पर आप क्या सोचते हैं। अपनी राय रिकॉर्ड करें मोबाइलवाणी पर।