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दिल्ली के शालीमारबाग के एएच 11 से मानसी ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि वो केसर अस्पताल में काम करती है। उनकी नाईट शिफ्ट है। उनके सर उन्हें केवल सात हज़ार रूपए देते है पर 12 घंटे की ड्यूटी के 15 से 18 हज़ार रूपए मिलते है

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दिल्ली एनसीआर श्रमिक वाणी के माध्यम से मोहम्मद शाहनवाज की बातचीत सरिता जी आशा वर्कर से हुई सागरपुर से सरिता बताती हैं कि हमारे साथ हमारा ही डिपार्टमेंट हमारा शोषण करता है गर्भवती महिलाओं से लेकर बच्चों के पैदा होने तक उसके बाद बच्चों का टीकाकरण और इमरजेंसी में कोरोना जैसी आपदा में भी आशा वर्कों ने बढ़-चढ़के हिस्सा लिया जब दुनिया घर में बैठी हुई थी सरिता बताती है आशा वर्कर फील्ड में घूम के कम कर रही थी और अब डेंगू जैसी बीमारियों को आशा वर्कों को दे दिया जाता है पोलियो मुफ्त अभियान में आशा वर्कों ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी जो कि आज भारत पोलियो मुफ्त बन गया है मगर हमें 30 से 35 रुपए मिलते हैं जो के महीने में 25 00 या 3000 रुपे होते हैं जो कि वह बहुत कम हैं हमारा न्यूनतम वेतन हमें मिलना चाहिए डोली आशा वर्कर बताती हैं कि जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होगी हम ऐसी रोज धरना देते रहेंगे हम 28 अगस्त से बराबर अभी तक धरना दे रहे हैं सरकार की तरफ से कुछ भी अभी आश्वासन नहीं मिला है मोदी सरकार वह केजरीवाल सरकार को खरी खोटी सुनती हुई बहुत सारी आशा वर्कों ने अपनी अपनी बातें रखी कहा कि हम लोग भी इस देश के नागरिक के हमें न्यूनतम वेतन मिलना चाहिए जो कि हमें नहीं मिल रहा है

दिल्ली एनसीआर श्रमिक वाणी के माध्यम से मोहम्मद शाहनवाज की बातचीत आशा वर्कर्स से हुई आशा वर्कर बताती है दिल्ली में 6500 टोटल आशा वर्कर है जो की 4 से 5000 आशा वर्कर रोज धन्यवाद आ रही है हम मुख्यमंत्री जी से मिलना चाहते हैं और उनके घर के पास जाकर बैठना चाहते हैं मगर दिल्ली पुलिस हमें इतनी दूर ही बिठा दिया है हम 28 अगस्त से बराबर धरने पर बैठे हुए हैं ऐसा लगता है कि हम भारत में नहीं कहीं ब्रिटिश हुकूमत में पैदा हुए हैं यहां पर इतना अत्याचार किया जा रहा है हमें टारगेट दिया जाता है क्या आप इस टारगेट पर काम करेंगे हमसे बदतमीजी की जाती है हम अस्पताल जाते हैं डॉक्टर हमारी नहीं मानता है हम गर्भवती महिलाओं को लेकर जाते हैं कोई अपना घर का पेशेंट नहीं लेकर जाते हैं हमें डिस्पेंसरी में लगा दिया जाता है डिस्पेंसरी के डॉक्टर और उसका स्टाफ हमारे साथ हमारा शोषण करता है जो के यह संविधान के खिलाफ है हम सभी आशा वर्कर इस धरने को खत्म नहीं करेंगे तब तक हमारा न्यूनतम वेतन नहीं मिलेगा और हमारे मुख्य मांगे पूरी नहीं होगी

दिल्ली एनसीआर श्रमिक वाणी का माध्यम से मोहम्मद शाहनवाज की बातचीत कुसुम पांडे आशा वर्कर से हुई उनके साथ और भी बहुत सारी आशा वर्कर है धरने पर आई हैं गाजीपुर से बहुत सारी आशा वर्कर रोज आती है धरने में 28 अगस्त से रोज चल रहा है धरना अपनी वेतन बढ़ाने के लिए आशा वर्कर केजरीवाल से मांग कर रही है कि न्यूनतम मजदूरी हमें दी जाए हमें अभी 30 से 35 रुपए मिलते हैं जो कि लगभग 2500 रुपए बैठते हैं महीने के क्योंकि वह हमारे लिए बहुत कम है अपने बच्चों का पालन पोषण भी नहीं कर पाते हैं

दिल्ली एनसीआर श्रमिक वाणी के माध्यम से मोहम्मद शाहनवाज की बातचीत दिल्ली में काम करने वाली आशा वर्कों से हुई दिल्ली के सिविल लाइन अरविंद केजरीवाल के घर पर जाना चाहती हैं उनको पुलिस ने सिविल लाइन के पास रोक दिया गया वह बराबर 28 अगस्त से प्रदर्शन कर रही हैं आशा वर्कर बताती है कि हमारा न्यूनतम वेतन हमें मिलना चाहिए हमें 30 से ₹35 रुपए मिलते हैं जो की ₹2500 या ₹3000 होते हैं क्योंकि वह बहुत गलत है हम जब तलक कम पर नहीं लौटेंगे तब तक हमारा वेतन फिक्स नहीं किया जाएगा गर्भवती महिला से लेकर बच्चे पैदा होने तक हम बराबर अस्पताल के चक्कर लगाते हैं महिलाओं के साथ और उसके बाद बच्चा जब पैदा हो जाता है तो टीकाकरण के लिए बच्चों के टीकाकरण लगा कर आते हैं और भी बहुत सारे टारगेट हमें दे दिए जाते हैं

दिल्ली एनसीआर श्रमिक वाणी के माध्यम से मोहम्मद शाहनवाज की बातचीत दिल्ली सिविल लाइन के पास बैठी आशा वर्कों से हुई आशा वर्कर बताती हैं कि बेरोजगार हैं नौकरी करते हैं मगर 2500 सो मिलते हैं उसे कैसे किराया दिया जाए कैसे बच्चों का पेट पाल जाए हमारी सैलरी बढ़ाई जाए दिल्ली में रहने के बाद कितने कम पैसे कमाना समझदारी का काम नहीं है हमे गर्भवती महिला को लेकर बार-बार अस्पताल जाना पड़ता है जब तक उसका बच्चा नहीं हो जाता तब तक हम उसके साथ रहते हैं उसके बाद बच्चों का टीकाकरण कराना कोरोन कल जैसे आपदा में फील्ड में घूमने बाढ़ जैसी आपदा में साफ सफाई का ध्यान रखना अब डेंगू जैसी बीमारी चल रही है दिल्ली के अंदर उसमें भी हमारी ड्यूटी लगा दी जाती है फिर भी हमें तनख्वाह नहीं मिल रही है और मिलती है तो इतनी कम मिलती है कि इसमें तो हमारा गुजारा होता नहीं केजरीवाल सरकार हमेशा बेवकूफ बनाती है अब कैसे हम बेवकूफ बनने वाले नहीं है हम धरना जब तलक नहीं छोड़ेंगे तब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होगी हम 28 अगस्त से यहां बैठे हुए हैं लगभग 20 दिन बीत चुके हैं सरकार का कोई भी नोमाइंदा हमसे यह पूछने नहीं आया है कि आपकी क्या मांगे हैं

दिल्ली एनसीआर श्रमिक वाणी के माध्यम से मोहम्मद शाहनवाज की बातचीत रमेश जी रमेश जी बताते हैं जब तलक हम अपना धरना प्रदर्शन खत्म नहीं करेंगे तब तक हमारी मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा आशा वर्कर की शैली 15000 रुपए होनी चाहिए क्योंकि 2500 या ₹3000 अब कम नहीं चलता है 21 तारीख को स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज के घर का गिराव भी करेंगे उसके बाद और भी कई मंत्रियों का गिराव करने की प्लानिंग कर रही है आशा वर्कर

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