नमस्कार दोस्तों, कोरोना वायरस का कहर कम होता दिख रहा है, शहर और रास्ते फिर खुलने लगे हैं, लोग अपने काम पर वापस जाने की तैयारी में है. लेकिन इन सबके पीछे एक अहम मसला है...जो छूट रहा है! ये है ग्रामीण स्वास्थ्य की बदहाल व्यवस्था.. जिस पर बात करना इसलिए जरूरी है कि क्योंकि भारत की अधिकांश आबादी अभी भी गांवों में बसती है. जिनकी सेहत वहां के बदहाल प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र या फिर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर निर्भर है. कोरोना की दूसरी लहर में सबसे ज्यादा भयावह स्थिति ग्रामीण इलाकों में बनी. साथियों, हमें बताएं कि आपके गांव के सामुदायिक, प्राथमिक और उप स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थिति कैसी है? क्या वहां दवाएं, चिकित्सक और दूसरा मेडिकल स्टॉफ है? क्या इन केन्द्रों पर पर्याप्त बिस्तर, आॅक्सीजन सिलेंडर और दूसरे जरूरी उपकरण उपलब्ध हो रहे हैं? कोरोना काल के दौरान क्या इन स्वास्थ्य केन्द्रों पर गर्भवती महिलाओं, बच्चों और दूसरी बीमारियों से ग्रसित लोगों को इलाज मिल सका? क्या कोरोनाकाल के दौरान गांव में टीकाकरण का काम प्रभावित हुआ है?अपनी बात हम तक पहुंचाने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.
दिल्ली के आईएमटी मानेसर से दीपक ने साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से दिनांक 14-05-21 को बताया कि उन्होंने साझा मंच मोबाइल वाणी पर दिनांक 12-05-21 को एक खबर प्रसारित की थी।खबर में जानकारी दी गयी थी कि पीएससी अस्पताल में मरीजों को कोरोना संक्रमण का समय से जाँच नहीं किया जा रहा है। जिससे मरीजों को काफी परेशानी हो रही है।इस खबर को साझा मंच के संवादाता दीपक ने पीएससी अस्पताल के कोरोना संक्रमण जाँच करने वाले अधिकारी को फॉरवर्ड कर जानकारी दी। इसके बाद मरीजों को समय से कोरोना संक्रमण की जाँच रिपोर्ट सौंपी जाने लगी। इस कार्य हेतु कोरोना जाँच कराने गए मरीजों ने साझा मंच को धन्यवाद व्यक्त किया ।
कर्नाटक राज्य के बैंगलोर से प्रदीप ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि उनकी नौकरी चली गई है। उनके पास राशन और दवाई के लिए पैसे नहीं है
महाराष्ट्र से सिराजी वाघमारे ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि महाराष्ट्र में लॉक डाउन है ,रोज़गार बंद है जिससे समस्या हो रही है। इन्हे अस्पताल के लिए पैसों की जरूरत है। सरकार से भी मदद नहीं मिल रही है