फरीदाबाद से आरती श्रमिक वाणी के माध्यम से बता रही है कि वो गर्भवती है और ईएसआईसी अस्पताल में उन्हें 15 दिनों की लंबी तरीक दी है। जबकि उन्हें अर्जेंट में इलाज करवाना था। उन्हें पति का ईएसआईसी भी कटता है, फिर भी उन्हें अपने पत्नी का अल्ट्रासाउंड निजी अस्पताल से करवाना पड़ा

दिल्ली के फरीदाबाद से पूनम श्रमिक वाणी के माध्यम से बता रही है कि जो वो ईएसआईसी अस्पताल जाती है, तो लाइन में लगने के बावजूद भी उन्हें दवाइयाँ नहीं मिलती है

फरीदाबाद के ऐसी नगर से जोगिंदर मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि एक दिन अस्पताल ओपीडी में दिखाने जाते हैं और दूसरे दिन दवा लेने जाते हैं। इसलिए दो दिन छुट्टी लेनी पड़ती है। इन दो दिनों की छुट्टी का पैसा नहीं मिलता है।

ऐसी नगर से चांदनी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि उनका प्रसव हुए छह महीने हो गया है और शरीर में समस्या हो रही है। लेकिन इ एस आई में कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

फरीदाबाद ऐसी नगर से हमारे श्रोता मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं उनके पड़ोसी जो इलाज करवाते हैं उसमे महंगे महंगे टेस्ट लिखते हैं और अल्ट्रासॉउन्ड भी बाहर से लिखते हैं

दिल्ली राज्य के फरीदाबाद से बादल श्रमिक वाणी के माध्यम से बता श्रमिकों को बता रहे हैं कि वे अपनी बातों को श्रमिक वाणी पे कैसे रख सकते हैं

दिल्ली के फरीदाबाद के बल्लभगढ़ के ऊँचे गाँव से श्रमिक वाणी के माध्यम से ममता ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि वे ईएसआई हॉस्पिटल गयी थी. वहां के डॉक्टर ने उन्हें लम्बी तारीख दी

श्रमिक विहार से खुशबू ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि ईएसआई में इनका इलाज सही तरीके से नही हुआ।कोई टेस्ट नही किया गया और दवा लिख दिया गया। दवा खाकर तबियत और ज्यादा ख़राब हो गया।कंपनी से 15 दिन की छुट्टी लेकर ईएसआई का इलाज करवाया।मगर कोई लाभ नही हुआ और अब प्राइवेट में अपनी ईलाज करवा रही हैं। ईएसआई कटती है मगर फायदा कोई नही है। 15 दिन की छुट्टी के पैसे भी कंपनी ने नही दिया है। इन सब कारणों से ये बहुत परेशान हैं

श्रमिक विहार से खुशबू ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि ईएसआई में दवा ठीक से नही दिया जाता है। लाईन में खड़े रहने के लिए बोला जाता है। ये ईएसआई से बहुत परेशान हैं।

मीलाड कॉलनी से ख़ातूनची ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पिछले एक साल से इनका ईलाज ईएसआई से चल रहा है।इसके लिए इनको महीने में चार छुट्टी करनी पड़ती है। इन चार छुट्टियों के पैसे कंपनी नही देती है। साथ ही इनके अनुरोध के बावजूद प्राइवेट अस्पताल में रेफर नही किया जा रहा है