विश्व वन्यजीव दिवस जिसे आप वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे के नाम से भी जानते है हर साल 3 मार्च को मनाया जाता है जिसका मुख्य उद्देश्य है की लोग ग्रह के जीवों और वनस्पतियों को होने वाले खतरों के बारे में जागरूक हो इतना ही नहीं धरती पर वन्य जीवों की उपस्थिति की सराहना करने और वैश्विक स्तर पर जंगली जीवों और वनस्पतियों के संरक्षण के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य या दिवस मनाया जाता है.विश्व वन्यजीव दिवस के उद्देश्य को पूरा करने के लिए है हर वर्ष एक थीम निर्धारित की जाती है जिससे लोगो में इसके प्रति ज्यादा से ज्यादा जागरूकता को बढ़ावा मिले . हर वर्ष की तरह इस वर्ष 2024 का विश्व वन्यजीव दिवस का थीम है " लोगों और ग्रह को जोड़ना: वन्यजीव संरक्षण में डिजिटल नवाचार की खोज" है। "तो आइये इस दिवस पर हम सभी संकल्प ले और वन्यजीवों के सभी प्रजातियों और वनस्पतियों के संरक्षण में अपना योगदान दे।
हवेली खड़गपुर के बहिरा पंचायत के रघुनाथपुर ग्राम में बिच्छू के डंक से महिला हुई बेहोश लोगों ने बताया कि पिछले कई दिनों से बिच्छू कई महिला पुरुष एवं बच्चों को अपना शिकार बन चुका है 11 अक्टूबर को रात्रि 8:00 बजे गीता देवी अपने पड़ोसी के साथ सोच के लिए बाहर गई हुई थी इस समय बिच्छू ने काट लिया जिसके कारण से वह बेहोश हो गई साथ में जो महिला गई थी उसे किसी तरह पकड़ कर घर लाई फिर ग्रामीण चिकित्सकों के द्वारा इलाज कराया गया कुछ समय के बाद उन्हें होस आया मैं मुंगेर की आवाज से लक्ष्मण कुमार सिंह
करैत सांप के डसने से एक 45 वर्षीय व्यक्ति हुआ अचेत । स्वास्थ्य केंद्र में चल रहा है इलाज।
मुंगेर जिला के जमालपुर प्रखंड के ईस्ट कॉलोनी थाना क्षेत्र अंतर्गत लक्ष्मणपुर गांव की 15 साल की युवती की सर्पदंश से मौत हो गई। परिजनों ने मौत के पीछे डॉक्टर की लापरवाही को सबसे बड़ा कारण बताया है। परिजनों ने कहा कि डॉक्टर ने जानबूझकर मेरी बच्ची को एंटी वेनम इंजेक्शन नहीं लगाया। इससे उसकी जान चली गई। युवती की मौत के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
जलवायु की पुकार [छोटे कदम, बड़ा परिवर्तन ] कार्यक्रम के अंतर्गत हम जानेंगे बिजली बचाना,कचरा का सही निपटान करना और पानी का कम उपयोग करना हमारे पर्यावरण के लिए क्यों जरुरी है ?
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अनियंत्रित ट्रक ने मारी मवेशी घर में ठोकर एक की मौत दो की हालत नाजुक
धरहरा :- धरहरा प्रखंड के नक्सल प्रभावित क्षेत्र गौरैया के जंगल से दो दिन पूर्व स्थानीय लकड़हारो ने भालू के नवजात बच्चे को उठाकर गांव ले आए थे इस बात की जानकारी जब वन विभाग की टीम को मिली तो तत्काल वन आरक्षी के द्वारा भालू के बच्चे को कब्जे में लिया गया।भालू के बच्चे को जंगल से लेकर आने की सूचना जब आस-पास के गांवों में फैली तो गांव में दहशत जैसा माहौल बन गया है। ग्रामीणों की मानें तो भालू अपने बच्चों नहीं देख कर काफी उग्र हो गई होगी जो जंगल जाने वाले स्थानीय लकड़हारो के लिए समस्या है। आसपास के ग्रामीण वन विभाग से अनुरोध की है कि जल्द से जल्द भालू के बच्चे को जंगल में छोड़ दिया जाए जिससे स्थानीय लकड़हारो के साथ साथ ग्रामीण भी सुरक्षित रह सके। गौरैया गांव के बूढ़े-बुजुर्गो की मानें तो वर्षों पूर्व इसी तरह बाघ के बच्चे को लकड़हारे उठा ले आए थे तब महीनों तक बाघ गांव में उत्पात मचाया था।
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अधेड़ को बंदर ने काट कर किया जख्मी इलाज हेतु अस्पताल में भर्ती