सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में।

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में।

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में।

बेटों की चाह में बार-बार अबॉर्शन कराने से महिलाओं की सेक्शुअल और रिप्रोडक्टिव लाइफ पर भी बुरा असर पड़ता है। उनकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ भी खराब होने लगती है। कई मनोवैज्ञानिको के अनुसार ऐसी महिलाएं लंबे समय के लिए डिप्रेशन, एंजायटी का शिकार हो जाती हैं। खुद को दोषी मानने लगती हैं। कुछ भी गलत होने पर गर्भपात से उसे जोड़कर देखने लगती हैं, जिससे अंधविश्वास को भी बढ़ावा मिलता है। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि * -------आखिर हमारा समाज महिला के जन्म को क्यों नहीं स्वीकार पाता है ? * -------भ्रूण हत्या और दहेज़ प्रथा के आपको क्या सम्बन्ध नज़र आता है ?

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में।

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मुंगेर जिले के संग्रामपुर प्रखंड में सीडीपीओ कार्यालय में सेविका की एक बैठक आयोजित की गई बैठक में सुरक्षित गर्भपात के बारे में जानकारी दी गई इस बैठक इस बैठक में सुरक्षित गर्भपात कानूनी तौर पर वैध है इस बात की जानकारी आज भी ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को नहीं है जिसके कारण आज भी वह गांव देहात के नीम हकीम और झोलाछाप डॉक्टर के चक्कर में पड़कर अपना जान तक गवा रही है इसी उद्देश्य से संग्रामपुर प्रखंड में आई पास डेवलपमेंट फाउंडेशन के तत्वाधान में करीब 80 सेविका को प्रशिक्षण दिया गया आसपास के रिसर्च एवं ट्रेनिंग कोऑर्डिनेटर अर्पणा झा ने इस विषय पर विस्तार से जानकारी दी और बताया कि 20 सप्ताह तक गर्भ समापन कराना वैध है लेकिन 12 सप्ताह के अंदर एक प्रशिक्षित डॉक्टर एवं 12 सप्ताह से ऊपर तथा 20 सप्ताह के अंदर तक में 2 प्रशिक्षित डॉक्टर की उपस्थिति में सदर अस्पताल या सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त अस्पताल में प्रशिक्षित डॉक्टर की मौजूदगी में होनी चाहिए पर विस्तार से चर्चा किया गया बताया कि समाज को जागरूक करने की जरूरत है हमारे ब्लॉक संग्रामपुर के अस्पताल में डॉक्टर एवं नर्सिंग है फिर भी महिलाएं नीम हकीम के चक्कर में पढ़ कर अपनी जान गवा रही है इस मौके पर सीडीपीओ रंजू देवी उपस्थित थी l

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