सरकार हर बार लड़कियों को शिक्षा में प्रोत्साहित करने के लिए अलग-अलग योजनाएं लाती है, लेकिन सच्चाई यही है कि इन योजनाओं से बड़ी संख्या में लड़कियां दूर रह जाती हैं। कई बार लड़कियाँ इस प्रोत्साहन से स्कूल की दहलीज़ तक तो पहुंच जाती है लेकिन पढ़ाई पूरी कर पाना उनके लिए किसी जंग से कम नहीं होती क्योंकि लड़कियों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने और पढ़ाई करने के लिए खुद अपनी ज़िम्मेदारी लेनी पड़ती है। लड़कियों के सपनों के बीच बहुत सारी मुश्किलें है जो सामाजिक- सांस्कृतिक ,आर्थिक एवं अन्य कारकों से बहुत गहरे से जुड़ा हुआ हैं . लेकिन जब हम गाँव की लड़कियों और साथ ही, जब जातिगत विश्लेषण करेंगें तो ग्रामीण क्षेत्रों की दलित-मज़दूर परिवारों से आने वाली लड़कियों की भागीदारी न के बराबर पाएंगे। तब तक आप हमें बताइए कि * -------आपके गाँव में या समाज में लड़कियों की शिक्षा की स्थिति क्या है ? * -------क्या सच में हमारे देश की लड़कियाँ पढ़ाई के मामले में आजाद है या अभी भी आजादी लेने की होड़ बाकी है ? * -------साथ ही लड़कियाँ को आगे पढ़ाने और उन्हें बढ़ाने को लेकर हमे किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है ?

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जिला कार्यक्रम पदाधिकारी माध्यमिक शिक्षा आनंद कुमार वर्मा ने जगन्नाथ उच्च विद्यालय प्लस टू टेटिया बंबर के प्रभारी प्रधानाध्यापक वीरेंद्र कुमार को पत्र देते हुए अपने पत्र में कहा गया कि 4 दिसंबर को विद्यालय निरीक्षण  मैं विद्यालय में कुल 1612 छात्राओं में भौतिक उपस्थिति में 100 छात्र छात्रा पाई गई और 40 मात्र छात्रों के नाम काटा गया विद्यालय के अंग्रेजी शिक्षक मोहम्मद अजीज पर छात्राओं ने आरोप लगाया कि शिक्षक अंग्रेजी  एक भी चैप्टर नहीं पढ़ाया गया है मोबाइल वाणी में प्रमुखता से समाचार को चलाया था के बाद विद्यालय के प्रधानाध्यापक पर कार्रवाई की गई है विद्यालय कंपोजिट ग्रांट छात्र कोष, विकास कोष का रोकड़ बही अवलोकन नहीं कराया गया। यूथ एंड इको क्लब का जानकारी के अभाव पाया गया। राशि खर्च नहीं किया गया। नया समय सारणी लागू नहीं किया गया। प्रयोगशाला में साफ सफाई का घर अभाव देखा गया। साइंस किट का उपयोग नहीं किया गया। शौचालय में ताला लगा पाया गया। विद्यालय निरीक्षण कर पुनः वापस लौट के समय  4:20 अपराहन में विद्यालय बंद पाया गया ।दो दिनों के अंदर साक्ष्य सहित अपना स्पष्टीकरण कार्यालय को समर्पित कर दे ।अन्यथा आपके विरुद्ध कठोर विभागीय कार्रवाई हेतु उच्च अधिकारी को अनुशंसा कर दी जाएगी। बताते इससे पहले भी प्रधानाध्यापक का वेतन रोका गया था इनके ऊपर कई बार कार्रवाई हुआ लेकिन जांच के नाम पर खाना पूर्ति होते रही

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दोस्तों, भारत के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी एक रिपोर्ट से यह पता चला कि वर्तमान में भारत के करीब 6.57 प्रतिशत गांवों में ही वरिष्ठ माध्यमिक कक्षा 11वीं और 12वीं यानी हायर एजुकेशन के लिए स्कूल हैं। देश के केवल 11 प्रतिशत गांवों में ही 9वीं और 10वीं की पढ़ाई के लिए हाई स्कूल हैं। यदि राज्यवार देखें तो आज भी देश के करीब 10 राज्य ऐसे हैं जहां 15 प्रतिशत से अधिक गांवों में कोई स्कूल नहीं है। शिक्षा में समानता का अधिकार बताने वाले देश के आंकड़े वास्तव में कुछ और ही बयान करते हैं और जहां एक तरफ शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति समाज की प्रगति का संकेत देती है, वहीं लड़कियों की लड़कों तुलना में कम संख्या हमारे समाज पर प्रश्न चिह्न भी लगाती है? वासतव में शायद आजाद देश की नारी शिक्षा के लिए अभी भी पूरी तरह से आजाद नहीं है। तब तक आप हमें बताइए कि * ------क्या सच में हमारे देश की लड़कियाँ पढ़ाई के मामले में आजाद है या अभी भी आजादी लेने लाइन में खड़ी है ? * ------आपके हिसाब से लड़कियाँ की शिक्षा क्यों नहीं ले पा रहीं है ? लड़कियों की शिक्षा क्यों ज़रूरी है ? * ------साथ ही लड़कियाँ की शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है ?

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