हम सभी रोज़ाना स्वास्थ्य और बीमारियों से जुड़ी कई अफवाहें या गलत धारणाएं सुनते है। कई बार उन गलत बातों पर यकीन कर अपना भी लेते हैं। लेकिन अब हम जानेंगे उनकी हकीकत के बारे में, वो भी स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मदद से, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में। याद रखिए, हमारा उद्देश्य किसी बीमारी का इलाज करना नहीं, बल्कि लोगों को उत्तम स्वास्थ्य के लिए जागरूक करना है।सेहत और बीमारी को लेकर अगर आपने भी कोई गलत बात या अफवाह सुनी है, तो फ़ोन में नंबर 3 दबाकर हमें ज़रूर बताएं। हम अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञों से जानेंगे उन गलत बातों की वास्तविकता, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में।

डेंगू के संक्रमण से बचने का सबसे कारगर उपाय है सतर्कता और जागरूकता : अरविंद - डेंगू मरीजों के घरों के आसपास में लगातार किया जा रहा है फोकल फॉगिंग - डेंगू सहित अन्य बीमारी फैलाने वाले मच्छरों के लार्वा को मारने के लिए लगातार टोमीफोर्स दवा का छिड़काव मुंगेर, डेंगू मरीजों की संख्या में लगातार हो रही बढ़ोतरी के बीच सतर्कता और जागरूकता डेंगू के संक्रमण से बचने का सबसे कारगर उपाय है। उक्त बात मंगलवार को जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ अरविंद कुमार सिंह ने कही। उन्होंने बताया कि डेंगू का बुखार एक संक्रामक बीमारी है, जो डेन नामक वायरस से होता है। डेन वायरस चार प्रकार का होता है। डॉ सिंह ने बताया डेन वायरस चार प्रकार का होता है। डेन 1, डेन 2, डेन 3 और डेन 4। . इस वायरस का संक्रमण एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। इसलिए डेंगू के संक्रमण से बचने के लिए मच्छरों के काटने से बचना जरूरी है। इसके लिए यह अति आवश्यक है कि सभी लोग सोने के वक्त अनिवार्य रूप से मच्छरदानी का इस्तेमाल करें और यह सुनिश्चित करें कि आपके घर और घर के आसपास किसी भी स्थिति में जलजमाव न हो। ताकि वहां डेंगू सहित अन्य बीमारियों के मच्छर न पनप सके। डेंगू का मच्छर साफ पानी में पनपता है। इसलिए सभी अपने घर में इस्तेमाल होने वाले सामानों में तथा अनुपयोगी सामानों में जमा पानी को अविलंब बदल दें। प्रत्येक तीन दिन के अंतराल पर पानी का बदलाव करते रहें। उन्होंने बताया कि प्रायः डेंगू बुखार का उपचार सामान्य विधि से होता है इसके लिए पारा सिटामोल सुरक्षित दवा है। डेंगू के मरीजों में ब्लड प्लेटलेट्स की संख्या 10,000 से कम होने पर अथवा रक्तस्राव के लक्षण दिखने पर विशेष परिस्थिति में ब्लड प्लेटलेट्स चढ़ाने की आवश्यकता पड़ती है। उन्होंने बताया कि मरीज को डेंगू होने पर अधिक से अधिक पानी, ओआरएस घोल, नींबू पानी, नारियल पानी पीना चाहिए। नींबू का रस शरीर में मौजूद विषैले तत्व को दूर करते हैं। इसके अलावा चिकन सूप या अधिक से अधिक प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल करना चाहिए। डेंगू मरीजों के घरों के आसपास के 50 घरों या 500 मीटर के रेडियस में लगातार किया जा रहा है फोकल फॉगिंग : उन्होंने बताया कि मुंगेर में सक्रिय डेंगू के सभी मरीजों के घरों में एवम उसके घर के आसपास के 50 घर या 500 मीटर के रेडियस में लगातार फोकल फॉगिंग की जा रही है। मंगलवार को चंदन बाग, नयागांव के वार्ड संख्या 6 और न्यू पुलिस लाइन एरिया में फोकल फॉगिंग की गई । वहीं बुधवार को तोपखाना बाजार, गुलजार पोखर और गुमटी नंबर 2 में फोकल फॉगिंग कराई जाएगी। इसके साथ ही नाली में डेंगू सहित अन्य संक्रामक बीमारी फैलाने वाले मच्छर के लार्वा को मारने के लिए मुंगेर नगर निगम के विभिन्न वार्ड में अभियान चलाकर टोमीफोर्स दवा का छिड़काव किया जा रहा है। मुंगेर नगर निगम के दलहट्ट बाजार, सुभाष नगर, गुलजार पोखर और गुमटी नंबर 2 और 3 के एरिया में जिला वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल ऑफिस के कर्मियों के द्वारा टोमीफोर्स का छिड़काव किया जा चुका है। शेष सभी वार्ड में टोमीफॉर्स का छिड़काव लगातार किया जा रहा है।

बरियारपुर प्रखण्ड के गाँधीपुर में आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर कालाजार रोगियों की करेंगी खोज - आगामी 1 से 4 अगस्त तक की जाएगी कालाजार रोगियों की खोज - 29 जुलाई को हवेली खड़गपुर और 2 अगस्त को धरहरा प्रखण्ड के सुदूर पहाड़ी क्षेत्रों में की जाएगी मलेरिया रोगियों की खोज - मलेरिया रोगियों की खोज के दौरान आशा कार्यकर्ता इन बीमारियों की पहचान और बचने के उपायों के बारे में करेगी जागरूक मुंगेर, 26 जुलाई। आगामी 1 से 4 अगस्त तक बरियारपुर प्रखण्ड के गाँधीपुर में आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर कालाजार रोगियों की खोज करेंगी । इसके अलावा मलेरिया रोगियों की खोज के लिए 29 जुलाई को हवेली खड़गपुर और 2 अगस्त को धरहरा प्रखण्ड के सुदूर पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले लोगों के बीच जाकर आशा कार्यकर्ता मलेरिया रोगियों को चिह्नित करते हुए उन्हें मलेरिया बीमारी की पहचान और उससे बचने के उपायों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए उन्हें मेडिकेटेड मच्छरदानी का नियमित इस्तेमाल करने और अपने आसपास साफ-सफाई रखने के लिए प्रेरित करेंगी । इसके साथ ही वो घरों के आसपास गड्ढों को भरने और एसी, फ्रीज, कूलर, गमला सहित अन्य जगहों में जमा पानी को तत्काल बदलने की सलाह देंगी ताकि वहां मलेरिया, डेंगू-चिकनगुनिया सहित अन्य बीमारियों को पैदा करने वाले मच्छर पनपने न पाए। जिला वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल ऑफिसर डॉ. अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम पटना के अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. विनय कुमार शर्मा ने मुंगेर सहित अन्य जिलों के डिस्ट्रिक्ट वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल ऑफिसर को पत्र जारी कर उच्च प्राथमिकता वाले गांवों में आशा कार्यकर्ता के द्वारा घर-घर जाकर कालाजार रोगियों की खोज के लिए अभियान चलाने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही उन्होंने जनजातीय आबादी वाले प्रखंडों में विशेष अभियान चलाकर कर मलेरिया रोगियों की खोज करते हुए उन्हें मलेरिया बीमारी के लक्षण और उससे के लिए मेडिकेटेड मच्छरदानी का इस्तेमाल करने के साथ ही अन्य सुरक्षात्मक उपाय अपनाने के लिए प्रेरित करेंगी । उन्होंने बताया कि भारत सरकार के नेशनल वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के अंतर्गत कालाजार के उन्मूलन के लिए 2023 का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके तहत पीकेडीएल/एचआईवी वीएल के छुपे हुए रोगियों की घर-घर खोजकर उनकी ससमय जांच और उपचार सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से 1 से 4 अगस्त के दौरान जिला के बरियारपुर क्षेत्र अंतर्गत गाँधीपुर में आशा कार्यकर्ता के द्वारा घर-घर जाकर कालाजार के संभावित रोगियों की खोज कराने का निर्णय लिया गया है। मुंगेर के वेक्टर डिजीज कंट्रोल ऑफिसर संजय कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि कालाज़ार रोगियों की खोज के दौरान 15 दिन या 15 दिनों से अधिक दिनों से बुखार से पीड़ित व्यक्ति जिन्होंने बुखार के दौरान एंटीबायोटिक का सेवन किया हो एवं उसके बाद भी बुखार ठीक नहीं हुआ हो, भूख नहीं लगता हो एवम उसका पेट बड़ा दिखता हो तो उन्हीं व्यक्तियों की जांच आरके 39 किट से करवाने के लिए पीएचसी रेफर किया जाना है। इसके अलावा यदि किसी व्यक्ति ने कालाजार का इलाज पहले करवाया हो, फिर भी उनमें बुखार के साथ कालाजार के लक्षण पाए जाएं तो उन्हें आरके 39 किट से जांच नहीं करते हुए बोन मेरो/स्प्लीन एसपाईरेशन जांच के लिए आशा कार्यकर्ता के द्वारा सदर अस्पताल रेफर किया जाएगा। उन्होंने बताया कि वैसे व्यक्ति जिन्हें बुखार नहीं हो लेकिन उनके शरीर के चमड़े पर चकता अथवा दाग हो किंतु उसमें सूनापन नहीं हो तथा वो पहले कालाजार से पीड़ित रहा हो तो वैसे वैसे व्यक्तियों को भी आरके 39 किट से जांच के लिए पीएचसी रेफर किया जाना है। डिस्ट्रिक्ट वेक्टर बोर्न डिजीज कंसल्टेंट पंकज कुमार प्रणव ने बताया कि आशा कार्यकर्ता के द्वारा प्रतिदिन मात्र 50 घरों में कालाजार मरीजों की खोज की जानी है। अधिकतम 250 घरों में कालाजार रोगी की खोज करने पर उन्हें प्रोत्साहन राशि के रूप 250 रुपये की दर से भुगतान किया जाएगा। इस दौरान आशा कार्यकर्ताओं के कार्यों का पर्यवेक्षण आशा फैसिलिटेटर के द्वारा किया जाएगा। उन्हें इस काम के लिए 300 रुपये की दर से भुगतान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आशा कार्यकर्ताओं के मलेरिया और कालाजार रोगियों की खोज के लिए प्रशिक्षण के साथ-साथ माइकिंग के जरिये प्रचार-प्रसार भी कराया जाएगा।

वेक्टर जनित रोग से बचाव के लिए जन-जागरूकता और सतर्कता बेहद जरूरी : प्रभारी सिविल सर्जन - वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम पर जन-जागरूकता को ले एक दिवसीय मीडिया कार्यशाला - सीफार के सहयोग से स्वास्थ्य विभाग के द्वारा क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधन इकाई सभागार में आयोजित की गई कार्यशाला मुंगेर, 30 मई। सोमवार को मुंगेर क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधन इकाई (आरपीएमयू) सभागार में वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम पर स्वास्थ्य विभाग एवं सेंटर फाॅर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के संयुक्त तत्वावधान में जन-जागरूकता के लिए एक दिवसीय मीडिया कार्यशाला आयोजित की गयी । कार्यशाला में उपस्थित अतिथियों के द्वारा वेक्टर जनित 6 रोग से संबंधित चर्चा की गई। इस अवसर पर मुख्य रूप से एईएस- जेई, डेंगू- चिकनगुनिया, कालाजार, फाइलेरिया और मलेरिया सहित अन्य रोगों के लक्षण और रोकथाम के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए विस्तृत चर्चा की गई। कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए जिला के प्रभारी सिविल सर्जन डाॅ. आनंद शंकर सिंह ने कहा कि वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पर रोकथाम एवं इससे बचाव के लिए जागरूकता के साथ-साथ सतर्कता भी बेहद जरूरी है। इसलिए, मैं तमाम जिलावासियों से अपील करता हूँ कि वो कालाजार, फाइलेरिया, मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया से बचाव के लिए साफ-सफाई सहित अन्य सावधानियों का ख्याल रखें और इन बीमारियों का कोई भी लक्षण दिखते ही तुरंत स्थानीय स्वास्थ्य संस्थान में जाकर जाँच कराएं। उन्होंने बताया कि ऐसे मरीजों के लिए जिला में ना सिर्फ निःशुल्क जांच की सुविधा उपलब्ध है बल्कि सरकार के द्वारा ऐसे मरीजों को सरकार के द्वारा सहायता राशि भी दी जाती है। इस अवसर पर जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. अरविंद कुमार सिंह, केयर इंडिया के डीपीओ मानस कुमार नायक, डीटीओएफ डाॅ. नीलू, डब्ल्यूएचओ के पदाधिकारी सहित जिला मलेरिया कार्यालय के कई पदाधिकारी और प्रखण्ड स्तर और कार्यरत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और केयर इंडिया के अधिकारी उपस्थित थे। - जन- जागरूकता से ही वेक्टर जनित रोग पर रोकथाम संभव : कार्यशाला को संबोधित करते हुए जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि वेक्टर जनित रोग से संबंधित सभी रोगों से बचाव के लिए जन- जागरूकता के साथ-साथ सतर्कता बेहद जरूरी है। इसी उद्देश्य से इस कार्यशाला का आयोजन भी किया गया है ताकि सामुदायिक स्तर पर लोगों को उक्त बीमारी से बचाव के लिए आवश्यक जानकारी के साथ-साथ मरीजों के लिए सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में उपलब्ध सुविधा की जानकारी ससमय मिल सके। उन्होंने बताया कि आम लोगों की जागरूकता से ही वर्तमान में मात्र पीकेडीएल कालाजार (चमड़ा वाला) का एक मरीज है जबकि, मलेरिया और डेंगू का एक भी मरीज नहीं है। बावजूद इसके लोगों को अभी भी बचाव के लिए जागरूक और सतर्क रहने की जरूरत है । अभी भी उक्त बीमारी के दौर के शुरू होने की संभावना प्रबल है। - कालाजार के लक्षण : - लगातार रुक-रुक कर या तेजी के साथ दोहरी गति से बुखार आना। - वजन में लगातार कमी होना। - दुर्बलता। - मक्खी के काटे हुए जगह पर घाव होना। - व्यापक त्वचा घाव जो कुष्ठ रोग जैसा दिखता है। - प्लीहा में नुकसान होता है। - छिड़काव के दौरान इन बातों का रखें ख्याल : - छिड़काव के पूर्व घर की अन्दरूनी दीवार की छेद/दरार बंद कर दें। - घर के सभी कमरों, रसोई घर, पूजा घर, एवं गोहाल के अन्दरूनी दीवारों पर छः फीट तक छिड़काव अवश्य कराएं। छिड़काव के दो घंटे बाद घर में प्रवेश करें। - छिड़काव के पूर्व भोजन समाग्री, बर्तन, कपड़े आदि को घर से बाहर रख दें। - ढाई से तीन माह तक दीवारों पर लिपाई-पोताई ना करें, जिसमें कीटनाशक (एसपी) का असर बना रहे। - अपने क्षेत्र में कीटनाशक छिड़काव की तिथि की जानकारी आशा दीदी से प्राप्त करें।

मच्छरों से बचाव ही मलेरिया बीमारी से करेगा दूर - मच्छरों के प्रकोप से बचाव के लिए जरूरी है साफ - सफाई - सोते समय हमेशा करें मच्छरदानी का प्रयोग मुंगेर, 11मई। जिला में बदलते मौसम और उमस के कारण इन दिनों हर इलाके में मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। मच्छरों से बचाव ही मलेरिया बीमारी से करेगा दूर - मच्छरों के प्रकोप से बचाव के लिए जरूरी है साफ - सफाई - सोते समय हमेशा करें मच्छरदानी का प्रयोग मुंगेर, 10 मई। जिला में बदलते मौसम और उमस के कारण इन दिनों हर इलाके में मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। रात हो या दिन लोग मच्छरों के काटने से परेशान होने के साथ ही चिंतित रहने लगे हैं। लोगों को अब उनके आतंक के साथ मच्छर जनित रोग की भी चिंता सताने लगी है। इसको देखते हुए स्वास्थ्य विभाग लोगों को मच्छरों से बचाव के लिए जागरूक कर रहा है। मच्छरों से होने वाली बीमारियों में मलेरिया, फाइलेरिया, डेंगू, जापानी इन्सेफेलाइटिस, जीका वायरस, चिकनगुनिया, हेपेटाइटिस ए आदि प्रमुख बीमारियां हैं। इसके अलावा बहुत सारी बीमारियां हैं जो मच्छरों के काटने से होती हैं। हालांकि, ये सभी बीमारियां अलग- अलग मच्छरों के काटने से होते हैं। जिला सहित राज्य भर में मच्छरों के काटने से मलेरिया और फाइलेरिया के मामले अधिक आते हैं। जिनकी जानकारी लोगों को होनी बहुत ही जरूरी है। घरेलू उपाय कर मलेरिया से बचना चाहिए : वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी संजय कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि मलेरिया से बचने के लिए हमें अपने आसपास गंदगी को दूर करते हुए कुछ घरेलू उपाय कर मलेरिया जैसी बीमारी से बचना चाहिए। उन्होंने बताया कि मलेरिया प्लाजमोडियम नामक परजीवी से संक्रमित मादा एनोफिलिज मच्छर के काटने से होता है। मलेरिया एक प्रकार का बुखार है जो किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता। इसमें कपकपी के साथ 103 से लेकर 105 डिग्री तक बुखार होता और कुछ घंटों के बाद पसीने के साथ बुखार उतर जाता है, लेकिन बुखार निश्चित अंतराल पर आते-जाते रहता है। उन्होंने बताया कि फेलसीपेरम मलेरिया (दिमागी मलेरिया) की अवस्था में तेज बुखार होता है। बुखार दिमाग पर चढ़ जाता है। फेफड़े में सूजन हो जाती है। पीलिया एवं गुर्दे की खराबी फेलसीपेरम मलेरिया की मुख्य पहचान है जिसमें खून की कमी हो जाती है। जलजमाव वाली जगहों को मिट्टी से भर दें : संजय कुमार विश्वकर्मा ने मलेरिया से बचने की सलाह देते हुए कहा कि पूरे बदन को ढकने वाले कपड़े पहनें तथा सोते समय हमेशा मच्छरदानी का प्रयोग करें। इसके साथ ही घर के आसपास जलजमाव वाली जगहों को मिट्टी से भर दें। जलजमाव वाले स्थान पर केरोसिन तेल या डीजल या जले हुए मोबिल डालें। घर के आसापस बहने वाली नाले की साफ-सफाई करते रहें। उन्होंने बताया कि मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में सरकार की तरफ से डीडीटी का छिड़काव कराया जाता है। छिड़काव कर्मियों के आने पर उनका सहयोग करें और छिड़काव की तिथि की जानकारी ग्रामीणों को दें। सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क जांच व इलाज की सुविधा : उन्होंने बताया कि मलेरिया बुखार होने पर पीड़ित व्यक्ति को अपने गांव की आशा दीदी या नजदीकी सरकारी अस्पताल जाना चाहिए। खून की जांच में मलेरिया निकलने पर डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवा लेनी चाहिए। सरकारी अस्पतालों में इसकी निःशुल्क जांच और इलाज की सुविधा है। वहीं, आशा कार्यकर्ता क्षेत्र में जाकर मलेरिया के संभावित मरीजों की आरडीटी किट से जांच कर रही हैं। प्रति जांच उन्हें 15 रुपये की राशि देने की भी व्यवस्था है। साथ ही मरीज मिलने पर उसका इलाज कराने पर 75 रुपये प्रति मरीज अलग से दिए जाने की व्यवस्था है।। लोगों को अब उनके आतंक के साथ मच्छर जनित रोग की भी चिंता सताने लगी है। इसको देखते हुए स्वास्थ्य विभाग लोगों को मच्छरों से बचाव के लिए जागरूक कर रहा है। मच्छरों से होने वाली बीमारियों में मलेरिया, फाइलेरिया, डेंगू, जापानी इन्सेफेलाइटिस, जीका वायरस, चिकनगुनिया, हेपेटाइटिस ए आदि प्रमुख बीमारियां हैं। इसके अलावा बहुत सारी बीमारियां हैं जो मच्छरों के काटने से होती हैं। हालांकि, ये सभी बीमारियां अलग- अलग मच्छरों के काटने से होते हैं। जिला सहित राज्य भर में मच्छरों के काटने से मलेरिया और फाइलेरिया के मामले अधिक आते हैं। जिनकी जानकारी लोगों को होनी बहुत ही जरूरी है। घरेलू उपाय कर मलेरिया से बचना चाहिए : वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी संजय कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि मलेरिया से बचने के लिए हमें अपने आसपास गंदगी को दूर करते हुए कुछ घरेलू उपाय कर मलेरिया जैसी बीमारी से बचना चाहिए। उन्होंने बताया कि मलेरिया प्लाजमोडियम नामक परजीवी से संक्रमित मादा एनोफिलिज मच्छर के काटने से होता है। मलेरिया एक प्रकार का बुखार है जो किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता। इसमें कपकपी के साथ 103 से लेकर 105 डिग्री तक बुखार होता और कुछ घंटों के बाद पसीने के साथ बुखार उतर जाता है, लेकिन बुखार निश्चित अंतराल पर आते-जाते रहता है। उन्होंने बताया कि फेलसीपेरम मलेरिया (दिमागी मलेरिया) की अवस्था में तेज बुखार होता है। बुखार दिमाग पर चढ़ जाता है। फेफड़े में सूजन हो जाती है। पीलिया एवं गुर्दे की खराबी फेलसीपेरम मलेरिया की मुख्य पहचान है जिसमें खून की कमी हो जाती है। जलजमाव वाली जगहों को मिट्टी से भर दें : संजय कुमार विश्वकर्मा ने मलेरिया से बचने की सलाह देते हुए कहा कि पूरे बदन को ढकने वाले कपड़े पहनें तथा सोते समय हमेशा मच्छरदानी का प्रयोग करें। इसके साथ ही घर के आसपास जलजमाव वाली जगहों को मिट्टी से भर दें। जलजमाव वाले स्थान पर केरोसिन तेल या डीजल या जले हुए मोबिल डालें। घर के आसापस बहने वाली नाले की साफ-सफाई करते रहें। उन्होंने बताया कि मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में सरकार की तरफ से डीडीटी का छिड़काव कराया जाता है। छिड़काव कर्मियों के आने पर उनका सहयोग करें और छिड़काव की तिथि की जानकारी ग्रामीणों को दें। सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क जांच व इलाज की सुविधा : उन्होंने बताया कि मलेरिया बुखार होने पर पीड़ित व्यक्ति को अपने गांव की आशा दीदी या नजदीकी सरकारी अस्पताल जाना चाहिए। खून की जांच में मलेरिया निकलने पर डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवा लेनी चाहिए। सरकारी अस्पतालों में इसकी निःशुल्क जांच और इलाज की सुविधा है। वहीं, आशा कार्यकर्ता क्षेत्र में जाकर मलेरिया के संभावित मरीजों की आरडीटी किट से जांच कर रही हैं। प्रति जांच उन्हें 15 रुपये की राशि देने की भी व्यवस्था है। साथ ही मरीज मिलने पर उसका इलाज कराने पर 75 रुपये प्रति मरीज अलग से दिए जाने की व्यवस्था है।

25 अप्रैल को जिलाभर में मनाया जाएगा विश्व मलेरिया दिवस - जिला से प्रखण्ड स्तर तक आयोजित होंगे जागरूकता कार्यक्रम - सफल संचालन को ले वेक्टर जनित रोग कार्यक्रम बिहार के अपर निदेशक ने पत्र जारी कर दिए निर्देश मुंगेर, 13 अप्रैल। आगामी 25 अप्रैल को जिला भर में विश्व मलेरिया दिवस दिया मनाया जाएगा। इस दिन जिला मुख्यालय से प्रखण्ड स्तर पर मलेरिया से बचाव को लेकर विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस दिन आयोजित होने वाले जागरूकता कार्यक्रम के सफल संचालन को लेकर वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम बिहार के अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम निदेशक ने मुंगेर सहित अन्य जिलों के सिविल सर्जन, एसीएमओ और जिला वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोलिंग ऑफिसर को पत्र जारी कर निर्देश जारी किया है। जिला वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोलिंग ऑफिसर डॉ. अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि वैश्विक स्तर पर मलेरिया बीमारी पर नियंत्रण स्थापित करने के किए जाने वाले वैश्विक प्रयास को बढाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि सन 2000 में विश्व ने इस दिशा में ऐतिहासिक सफलता हासिल की थी ,जब पूरे विश्व में मलेरिया से पीड़ित करोड़ो लोगों की जान को बचाया जा सका था। उन्होंने बताया कि भारत में पूरी दुनिया के मलेरिया रोगियों का 3 प्रतिशत है। भारत में भी पिछले कुछ दशक से मलेरिया रोगियों की संख्या में काफी कमी देखी गई है। सन 2030 तक भारत से मलेरिया उन्मूलन के लिए किए जाने वाले प्रयास की गति काफी बढ़ा दी गई है। विश्व मलेरिया दिवस के अवसर पर विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे हैं। ताकि विभिन्न स्तर पर मलेरिया से पीड़ित लोगों की सही समय पर सही जांच, सही इलाज से मलेरिया जैसी बीमारी से मुक्त किया जा सके। उन्होंने बताया कि मलेरिया बीमारी गंदगी और मादा एनोफिलिस मच्छर के काटने से होती है । इसलिए इससे बचने के लिए आवश्यक है सभी लोग साफ-सफाई का अच्छी तरह से ख्याल रखें और मादा एनोफिलीज मच्छर के डंक से बचने के लिए सभी लोग मच्छरदानी सहित अन्य संसाधनों का इस्तेमाल करें ।

एनटीडी : डेंगू एवं चिकनगुनिया के प्रति लोगों को जागरूक करने को जिलाभर में चल रहा अभियान - अभियान की सफलता के लिए सभी पीएचसी और सीएचसी के एमओआईसी को भेजी गयी हैंडबिल /पम्पलेट मुंगेर, 19 जनवरी। नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज (एनटीडी) के अंतर्गत डेंगू एवं चिकनगुनिया बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए जिला भर में जागरूकता अभियान चल रहा है। इस संबंध में सिविल सर्जन के निर्देशानुसार जिला के सभी सीएचसी और पीएचसी के मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी के साथ समन्वय स्थापित कर जागरूकता अभियान को सफल बनाने का प्रयास किया गया है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के द्वारा स्वास्थ्य कर्मियों को हैंड बिल/ पम्पलेट उपलब्ध करायी गयी ताकि लोगों को इसके लिए जागरूक किया जा सके। डिस्ट्रिक्ट वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल डॉ. अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज (एनटीडी) के अंतर्गत करीब 20 बीमारी (डिजीज) आती हैं। जिनमें प्रमुख बीमारी मलेरिया, फाइलेरिया,कालाजार, डेंगू और चिकनगुनिया है। जो किसी न किसी मच्छर के काटने से होता है। इनमें वर्षा का मौसम शुरू होने के साथ ही डेंगू और चिकनगुनिया का संक्रमण काल भी शुरू हो जाता है। इसके लिए डेंगू एवं चिकनगुनिया बीमारी पर नियंत्रण के लिए गतिविधियों में और गतिशीलता लाने का कार्य किया गया है। इसके तहत लार्विसाइडल स्प्रे, रैपिड रिस्पांस टीम का गठन करने के साथ ही टेक्नीकल मालाइथिल का, डेंगू केस रिपोर्टिंग के साथ-साथ जनजागरूकता अभियान चलाया गया है। उन्होंने बताया कि डेंगू एवं चिकनगुनिया से बचाव को ले राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए हैंड बिल/पम्पलेट को जिला के सभी सीएचसी और पीएचसी के मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी को उपलब्ध करा दी गयी है। ये पदाधिकारी अपने क्षेत्र में कार्यरत आशा कार्यकर्ता को ये हैंड बिल /पम्पलेट देंगे जो घर-घर जाकर लोगों को इस पम्पलेट के माध्यम से डेंगू और चिकनगुनिया बीमारी से बचने के लिए जागरूक करेंगी। उन्होने बताया कि जिला में कहीं भी यदि डेंगू एवं चिकनगुनिया का संक्रमित मरीज पाया जाता है तो उस ब्यक्ति के घर से 500 मीटर की परिधि में टेक्नीकल मालाइथिलका फॉगिंग करायी जाती है। बरियारपुर पीएचसी क्षेत्र में भी लोगों को डेंगू और चिकनगुनिया बीमारी के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से मुख्य चिकित्सा पदाधिकरी विजय कुमार के नेतृत्व में हैंड बिल/ पम्पलेट लोगों के सामने प्रस्तुत किया गया। उन्होंने बताया कि डेंगू एवं चिकनगुनिया की बीमारी एडिस मच्छर के काटने से होती है। यह मच्छर दिन में काटता है एवं स्थिर साफ पानी में पनपता है। डेंगू और चिकनगुनिया के लक्षण : मुंगेर के वेक्टर डिजीज कंट्रोल ऑफिसर संजय कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि लोगों में डेंगू और चिकनगुनिया के ये लक्षण हो सकते हैं - - तेज बुखार, बदन,सर एवं जोरों में दर्द तथा आंख के पीछे दर्द - त्वचा पर लाल धब्बे/चकते का निशान - नाक, मसूड़ों से उलटी के साथ रक्त श्राव होना बचने के उपाय : - दिन में भी मच्छरदानी और मच्छर भगाने वाली क्रीम का करें इस्तेमाल । - अपने आसपास रखें साफ-सुथरा एवम जमा पानी में करें कीटनाशक दवाओं का छिड़काव । - गमला, फूलदानी का पानी हर दूसरे दिन बदलें, जमे हुए पानी पर मिट्टी का तेल डालें।

डेंगू और चिकनगुनिया के लक्षण : - तेज बुखार, बदन,सर एवं जोड़ो में दर्द तथा आंख के पीछे दर्द - त्वचा पर लाल धब्बे/चकते का निशान - नाक, मसूड़ों से उलटी के साथ रक्त श्राव होना बचने के उपाय : - दिन में भी मच्छरदानी और मच्छर भगाने वाली क्रीम का करें इस्तेमाल । - अपने आसपास रखें साफ-सुथरा एवम जमा पानी में करें कीट नाशक दवाओं का छिड़काव । - गमला, फूलदानी का पानी हर दूसरे दिन बदलें, जमे हुए पानी पर मिट्टी का तेल डालें।

मेडिकेटेड मछरदानी देखते ही भागेंगे मच्छर।

महंगाई पर चर्चा करने के लिए उपेंद्र पासवान बंगलवा बांसी से सीधी बातचीत