शांति समिति की बैठक का आयोजन आज ============================================= जिले में 25 मार्च 2024 को होली पर्व शांति व सद्भावनापूर्वक मनाये जाने की दृष्टि से विचार-विमर्श के लिये आज शाम 5 बजे कलेक्टर कार्यालय के सभाकक्ष में शांति समिति की बैठक आयोजित की गई है। जिला प्रशासन द्वारा समिति के सभी सदस्यों से इस बैठक में उपस्थिति का अनुरोध किया गया है।

भारत में शादी के मौकों पर लेन-देन यानी दहेज की प्रथा आदिकाल से चली आ रही है. पहले यह वधू पक्ष की सहमति से उपहार के तौर पर दिया जाता था। लेकिन हाल के वर्षों में यह एक सौदा और शादी की अनिवार्य शर्त बन गया है। विश्व बैंक की अर्थशास्त्री एस अनुकृति, निशीथ प्रकाश और सुंगोह क्वोन की टीम ने 1960 से लेकर 2008 के दौरान ग्रामीण इलाके में हुई 40 हजार शादियों के अध्ययन में पाया कि 95 फीसदी शादियों में दहेज दिया गया. बावजूद इसके कि वर्ष 1961 से ही भारत में दहेज को गैर-कानूनी घोषित किया जा चुका है. यह शोध भारत के 17 राज्यों पर आधारित है. इसमें ग्रामीण भारत पर ही ध्यान केंद्रित किया गया है जहां भारत की बहुसंख्यक आबादी रहती है.दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- दहेज प्रथा को लेकर आप क्या सोचते है ? और इसकी मुख्य वजह क्या है ? *----- समाज में दहेज़ प्रथा रोकने को लेकर हमें किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है ? *----- और क्यों आज भी हमारे समाज में दहेज़ जैसी कुप्रथा मौजूद है ?

शांति समिति की बैठक 19 मार्च को ==================================================== होली का पर्व आगामी 25 मार्च को शांति एवं सद्भावनापूर्वक मनाये जाने की दृष्टि से कानून व्यवस्था और अन्य व्यवस्थाओं के संबंध में विचार-विमर्श के लिये आगामी 19 मार्च 2024 को शाम 5 बजे से कलेक्टर कार्यालय के सभाकक्ष में शांति समिति की बैठक का आयोजन किया गया है । कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने शांति समिति के सभी सदस्यों से बैठक में उपस्थित रहने का आग्रह किया है ।

दोस्तों, यह साल 2024 है। देश और विश्व आगे बढ़ रहा है। चुनावी साल है। नेता बदले जा रहे है , विधायक बदले जा रहे है यहाँ तक की सरकारी अधिकारी एसपी और डीएम भी बदले जा रहे है। बहुत कुछ बदल गया है सबकी जिंदगियों में, लेकिन महिलाओं की सुरक्षा आज भी एक बड़ा सवाल बना हुआ है। देश की सरकार तो एक तरफ महिला सशक्तिकरण का दावा करती आ रही है, लेकिन हमारे घर में और हमारे आसपास में रहने वाली महिलाएँ आखिर कितनी सुरक्षित हैं? आप हमें बताइए कि *---- समाज में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर हमें किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है ? *---- महिलाओं को सही आज़ादी किस मायनों में मिलेगी ? *---- और घरेलू हिंसा को रोकने के लिए हमें क्या करना चाहिए ?

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लोकसभा आम निर्वाचन 2024 के संबंध में 28 फरवरी 2024 को दोपहर 12 बजे से कलेक्टर कार्यालय छिंदवाड़ा के सभाकक्ष में निर्वाचन व्यय मॉनिटरिंग संबंधी बैठक का आयोजन किया गया है । कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री शीलेन्द्र सिंह द्वारा बैठक में पुलिस अधीक्षक, संयुक्त आयुक्त आयकर, लीड बैंक मैनेजर, जिला आबकारी अधिकारी, संभागीय आयुक्त वाणिज्यिक कर, जिला परिवहन अधिकारी, सहायक निदेशक आकाशवाणी, स्टेशन प्रबंधक रेल्वे और टीडीएस टेली कम्यूनिकेशन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं कि इस बैठक में निर्वाचन व्यय मॉनिटरिंग के लिये नियुक्त नोडल अधिकारी/संबंधित अधिकारी के साथ उपस्थित रहें ।

समाधान आपके द्वार योजना के अंतर्गत लोक अदालत/शिविर संपन्न ======================== मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के आदेशानुसार प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण छिंदवाड़ा श्री जितेंद्र कुमार शर्मा के निर्देशन में जिला न्यायाधीश एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्रीमती सविता ओगले के मार्गदर्शन में आज ‘‘समाधान आपके द्वार’’ योजना के अंतर्गत संपूर्ण जिले में लोक अदालत/शिविर संपन्न हुआ। इस लोक अदालत/शिविर में राजस्व, पुलिस, वन, विद्युत एवं नगरीय निकाय विभाग के शमनीय आपराधिक मामलों, न्यायालयों में प्रचलित राजीनामा योग्य मामलों और प्री-लिटिगेशन मामलों के 27 हजार 413 प्रकरणों का सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में आपसी समझौते से निराकरण किया गया। साथ ही वन, विद्युत और नगरीय निकाय विभागों द्वारा एक करोड़ 2 लाख 90 हजार 456 रूपये की वसूली की गई। जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री विजय कुमार खोब्रागड़े ने बताया कि इस लोक अदालत/शिविर में विभिन्न न्यायालयों में लंबित 160 आपराधिक, 1261 राजस्व और 196 अन्य प्रकरणों का निराकरण किया गया। इसी प्रकार प्री-लिटिगेशन प्रकरणों में 231 आपराधिक, 502 राजस्व व 640 पुलिस विभाग के प्रकरणों का निराकरण किया गया। साथ ही वन विभाग द्वारा 5 प्रकरणों में 9456 रूपये, विद्युत विभाग द्वारा 2108 प्रकरणों में 98 लाख 64 हजार रूपये और नगरीय निकाय विभाग द्वारा 110 प्रकरणों में 4 लाख 17 हजार रूपये की वसूली कर प्रकरणों का निराकरण किया गया तथा अन्य प्रकृति के 22 हजार 200 प्रकरणों का भी निराकरण किया गया।