झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता जे.एम.रंगीला ने बताया कि सहायक पुलिस समायोजन की मांग कर रहे हैं। 2 जुलाई 2024 से ही सहायक पुलिस अपनी मांगों को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे हैं। आज विधानसभा में विशेष सत्र का आयोजन किया गया है। हेमंत सोरेन आज विधानसभा में विश्वास मत पेश करेंगे, वहीं विशेष सत्र के दौरान सहायक पुलिसकर्मियों ने झारखंड विधानसभा पहुंचकर हंगामा शुरू कर दिया। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता बालेश्वर महतो ने बताया कि वेतन वृद्धि व् ईपीएफ की मांग को लेकर रविवार की शाम नावाडीह में सहायक अध्यापक संघर्ष मोर्चा के बैनर तले नावाडीह के सहायक अध्यापकों ने मशाल जुलूस निकाला। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
किसी भी समाज को बदलने का सबसे आसान तरीका है कि राजनीति को बदला जाए, मानव भारत जैसे देश में जहां आज भी महिलाओं को घर और परिवार संभालने की प्रमुख इकाई के तौर पर देखा जाता है, वहां यह सवाल कम से कम एक सदी आगे का है। हक और अधिकारों की लड़ाई समय, देश, काल और परिस्थितियों से इतर होती है? ऐसे में इस एक सवाल के सहारे इस पर वोट मांगना बड़ा और साहसिक लेकिन जरूरी सवाल है, क्योंकि देश की आबादी में आधा हिस्सा महिलाओं का है। इस मसले पर बहनबॉक्स की तान्याराणा ने कई महिलाओँ से बात की जिसमें से एक महिला ने तान्या को बताया कि कामकाजी माँओं के रूप में, उन्हें खाली जगह की भी ज़रूरत महसूस होती है पर अब उन्हें वह समय नहीं मिलता है. महिलाओं को उनके काम का हिस्सा देने और उन्हें उनकी पहचान देने के मसले पर आप क्या सोचते हैं? इस विषय पर राय रिकॉर्ड करें
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झारखंड राज्य के बोकारो जिला से जे.एम्.रंगीला ने मोबाईल वाणी के माध्यम से हीरामन महतो से साक्षात्कार किया। हीरामन महतो ने बताया कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में सभी धर्मों और तबके के लोगों ने अपना योगदान दिया था। मगर दुर्भाग्यवश भारत की आज़ादी के बाद जितनी भी सरकारें बनी,उन्होंने अपने स्वार्थ के लिए पूंजीपतियों का साथ दिया। कांग्रेस की सरकार ने डालमिया के घराने का साथ दिया और गरीबों की अनदेखी की। ठीक वही काम आज भाजपा की सरकार कर रही है। भाजपा अपना उल्लू सीधा करने के लिए अम्बानी और अडानी का साथ दे रही है।
हाल ही में एक रिपोर्ट के अनुसार बीस तीन सालों में दुनिया के पांच बड़े व्यापारियों की संपत्ति में दोगुने से ज्यादा का इजाफा हुआ है, जिस समय इन अमीरों की दौलत में इजाफा हो रहा था, ठीक उसी समय पांच मिलियन लोग गरीब से और ज्यादा गरीब हो रहे थे। इससे ज्यादा मजे की बात यह है कि हाल ही में दावोस में हुई वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम की बैठक में शीर्ष पांच उद्योगपतियों ने एक नई रणनीति पर चर्चा और गठबंधन किया।
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दोस्तों, दुनिया भर में काम के घंटे घटाए जाने की मांग बढ़ जा रही है, दूसरी तरफ भारत काम के घंटों को बढ़ाए जाने की सलाह दी जा रही है। भारत में ज्यादातर संस्थान छ दिन काम के आधार पर चलते हैं, जिनमें औसतन 8-9 घंटे काम होता है, उस हिसाब से यहां औसतन पैंतालिस घंटे काम किया जाता है। जबकि दुनिया की बाकी देशों में काम के घंटे कम हैं, युरोपीय देशों में फ्रांस में औसतन 35 घंटे काम किया जाता है, ऑस्ट्रेलिया में 38 घंटे औसतन साढ़े सात घंटे काम किया जाता है, अमेरिका में 40 घंटे, ब्रिटेन में 48 घंटे और सबसे कम नीदरलैंड में 29 घंटे काम किया जाता है। दोस्तों, बढ़े हुए काम घंटों की सलाह देना आखिर किस सोच को बताता है, जबकि कर्मचारियों के काम से बढ़े कंपनी के मुनाफे में उसका हक न के बराबर या फिर बिल्कुल नहीं है? ऐसे में हर बात पर देशहित को लाना और उसके नाम पर ज्यादा काम की सलाह देना कितना वाजिब है? इस मसले पर अपना राय को मोबाईल वाणी पर रिकॉर्ड करें और बताएं कि आप इस मसले पर क्या सोचते हैं, आप भले ही मुद्दे के पक्ष में हों या विपक्ष में, इसे रिकॉर्ड करने के लिए दबाएं अपने फोन से तीन नंबर का बटन
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