नमस्कार दोस्तों, कोरोना वायरस का कहर कम होता दिख रहा है, शहर और रास्ते फिर खुलने लगे हैं, लोग अपने काम पर वापस जाने की तैयारी में है. लेकिन इन सबके पीछे एक अहम मसला है...जो छूट रहा है! ये है ग्रामीण स्वास्थ्य की बदहाल व्यवस्था.. जिस पर बात करना इसलिए जरूरी है कि क्योंकि भारत की अधिकांश आबादी अभी भी गांवों में बसती है. जिनकी सेहत वहां के बदहाल प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र या फिर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर निर्भर है. कोरोना की दूसरी लहर में सबसे ज्यादा भयावह स्थिति ग्रामीण इलाकों में बनी. साथियों, हमें बताएं कि आपके गांव के सामुदायिक, प्राथमिक और उप स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थिति कैसी है? क्या वहां दवाएं, चिकित्सक और दूसरा मेडिकल स्टॉफ है? क्या इन केन्द्रों पर पर्याप्त बिस्तर, आॅक्सीजन सिलेंडर और दूसरे जरूरी उपकरण उपलब्ध हो रहे हैं? कोरोना काल के दौरान क्या इन स्वास्थ्य केन्द्रों पर गर्भवती महिलाओं, बच्चों और दूसरी बीमारियों से ग्रसित लोगों को इलाज मिल सका? क्या कोरोनाकाल के दौरान गांव में टीकाकरण का काम प्रभावित हुआ है?अपनी बात हम तक पहुंचाने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.
झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग़ जिला ,इचाक प्रखंड से टेक नारायण कुशवाहा ने दिनांक 10-05-21 को झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि उन्होंने दिनांक 09-05-21 को झारखण्ड मोबाइल वाणी पर एक खबर प्रसारित की थी। जिसमें बताया गया था कि ईचाक प्रखंड के खुटरा गाँव में 12 दिनों के अंदर कोरोना से दस लोगों की मौत होने के बाद भी अब तक कोई ग्रामीणों की सुध लेने नहीं पहुँचा।इस खबर को आलाधिकारी ,स्वास्थ्यकर्मी एवं कंट्रोल रूम को फॉरवर्ड कर जानकारी दी गयी। इसके बाद ईचाक प्रखंड के खुटरा गाँव में कोरोना जाँच शिविर लगा कर लोगों को जागरूक किया गया साथ ही 35 लोगों की कोरोना जाँच भी की गयी।
ईचाक प्रखंड के खुटरा गाँव में 12 दिनों के अंदर कोरोना से दस लोगों की मौत होने के बाद भी अब तक कोई ग्रामीणों की सुध लेने नहीं पहुँचा है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।