मधुबनी खजौली। स्थानीय किसान भवन के सभागार में प्रगति समाजसेवी युवा समिति खजौली के तत्वावधान में रविवार को पुरस्कार वितरण सह सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस दौरान 12 जनवरी 2025 को राष्ट्रीय युवा दिवस पर आयोजित प्रखंड स्तरीय सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता तथा 23 जनवरी 2025 को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती पर आयोजित स्लो साइकिल रेस, 200 मीटर दौड़ एवं पेंटिंग प्रतियोगिता में अव्वल आने वाले छात्र-छात्राओं को सम्मानित व पुरस्कृत किया गया। सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में प्रथम आने वाले अभिषेक कुमार, द्वितीय स्थान पाने वाले विकास कुमार व केशव कुमार, तृतीय स्थान पाने वाले पुण्य सदन कुमार, आरती कुमारी एवं मनीष कुमार दास, चतुर्थ स्थान पाने वाले रोहित कुमार, सरोज कुमार यादव एवं टॉय प्रकाश, तथा पांचवी स्थान पाने वाले कृतिका कुमारी, काजल कुमारी, राजीव रंजन, केशव चंद्र एवं चंदा कुमारी को क्रमशः साइकिल, स्टैंड फैन, आयरन, दीवाल घड़ी एवं प्रमाण पत्र देकर सम्मानित व पुरस्कृत किया गया। जबकि 23 जनवरी को आयोजित स्लो साइकिल रेस प्रतियोगिता में अव्वल आने वाले आयुष कुमार, शशि सिंह, मो. जाकिर तथा 200 मीटर दौड़ में आलोक राज, आयुष कुमार एवं शशि सिंह, जबकि पेंटिंग प्रतियोगिता में खुशबू कुमारी, मधु कुमारी, तन्नु कुमारी, साक्षी कुमारी एवं अनुषा कुमारी को भी प्रमाण पत्र व दीवाल घड़ी देकर सम्मानित किया गया। समिति के अध्यक्ष अरुण कुमार यादव की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ बतौर मुख्य अतिथि दिलीप कुमार, अति विशिष्ट अतिथि समाजसेवी ब्रज किशोर यादव, कल्पना सिंह, राम प्रसाद राउत, प्रभारी थानाध्यक्ष राम कुमार, शिक्षाविद उमेश कुमार, शंभू नाथ ठाकुर द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया। इस दौरान आगत अतिथियों को समिति सदस्यों द्वारा भाग दुपट्टा एवं वूमेन टू देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर उपस्थित गणमान्य लोगों ने समिति के कार्य की सराहना की। कहां की सामाजिक उत्थान के क्षेत्र में समिति द्वारा जो कार्य किया जा रहा है वह बेहद प्रशंसनीय है। इस मौके पर समिति के रौशन कुमार साह, कौशल कुमार साह, मिथिलेश कुमार यादव, रामाशीष रमण सहित अन्य गण्यमन लोग उपस्थित थे।
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साथियों , हर वर्ष की तरह आज 12 अगस्त को पूरे विश्व में मनाया जा रहा है अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य युवाओं से जुड़े मुद्दों को अंतराष्ट्रीय समुदाय के ध्यान में लाना और आज के वैश्विक समाज में भागिदार के रूप में युवाओं की क्षमता का जश्न मनाना है । इस दिन की स्थापना 1999 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा दुनिया भर के युवाओं के सामने आने वाली चुनौतियों और अवसरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए की गई थी।अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस हर साल एक विशेष थीम पर मनाया जाता है, जिसके केंद्र में युवाओं को सशक्त करने के प्रयास होते हैं। इस वर्ष का थीम है : 'क्लिक से प्रगति तक : सतत विकास के लिए युवा डिजिटल मार्ग ' . युवा नई तकनीकों को अपनाने और सकारात्मक रूप से बदलाव लाने में सबसे आगे है। युवा विकास के लिए यह शक्तिशाली विषय डिजिटलीकरण और सतत विकास लक्ष्यों की प्रगति के बीच महत्वपूर्ण सम्बन्ध स्थापित करता है। साथियों, इस अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर आप सभी युवाओं को मोबाइल वाणी के परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं।
तमाम गैर सरकारी रिपोर्टों के अनुसार इस समय देश में बेरोजगारी की दर अपने उच्चतम स्तर पर है। वहीं सरकारें हर छोटी मोटी भर्ती प्रक्रिया में सफल हुए उम्मीदवारों को नियुक्त पत्र देने के लिए बड़ी-बड़ी रैलियों का आयोजन कर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों को भी आमंत्रित कर रही हैं, जिससे की बताया जा सके कि युवाओं को रोजगार उनकी पार्टी की सरकार होने की वजह से मिल रहा है।
भारत में हर पाँच मिनट पर घरेलू हिंसा की एक घटना रिपोर्ट की जाती है। नेशनल फैमिली हेल्थ रिपोर्ट के अनुसार सख्त घरेलू हिंसा कानून- 2005 होने के बावजूद देश में हर तीन महिलाओं में से एक महिला घरेलू हिंसा की शिकार हैं। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि 79.4% महिलाएं कभी अपने पति के जुल्मों की शिकायत ही नहीं करती। दोस्तों, हर रोज महिलाओं के खिलाफ जुर्म बढ़ रहे हैं , क्या अब हमारी संस्कृति को ठेस नहीं पहुंच रही , जिस पर इतने डींगे हाँकते है ? समाज में उत्पीड़न, शोषण और हिंसा का निरंतर बढ़ता ग्राफ अब बढ़ता ही जा रहा है। और जिस पर हमें अपनी चुप्पी तोड़नी ही होगी। हमें इस मुद्दे पर अपनी आवाज़ उठानी ही होगी।
सुनिए जेंडर हिंसा के खिलाफ चलने वाले इस कार्यक्रम, 'बदलाव का आगाज़', में आज सुनिए पतोत्री वैद्य जी को, जिनका कहना है युवाओं की सोच में एक नई उम्मीद और दृष्टिकोण है जो समाज में जेंडर के खिलाफ होने वाली हिंसा को रोकने के लिए सक्रिय रूप से उतर रहा है। युवा समझते हैं कि जेंडर परिवर्तन का मतलब सिर्फ नारा नहीं है, बल्कि सोच और आदतों में भी बदलाव लाना है।अब आप हमें बताएं कि जेंडर आधारित हिंसा के खिलाफ आप क्या सोच रहे हैं और इसे खत्म करने के लिए क्या कोशिश कर रहे हैं? अपने विचार और सुझाव हमें बताएं अपने फ़ोन में नंबर 3 दबाकर
यूनेस्को की 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 1.10 लाख ऐसे स्कूल हैं जो केवल एक ही शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। इसके अलावा देश भर में शिक्षकों के लगभग 11.16 लाख पद खाली हैं और उसमें से भी तक़रीबन 70 फीसदी पद गांव के इलाके के स्कूलों में हैं। है ना मज़ेदार बात। जो गाँव देश की आत्मा है , जिसके लिए सभी सरकारें खूब बड़ी बड़ी बातें बोलती रहती है। कभी किसान को अन्नदाता , भाग्य विधाता, तो कभी भगवान तक बना देती है। उसी किसान के बच्चों के पढ़ने के लिए वो स्कूलों में सही से शिक्षक नहीं दे पाती है। जिन स्कूलों में शिक्षक है वहाँ की शिक्षा की हालत काफी बदहाल है. माध्यमिक से ऊपर के ज्यादातर स्कूलों में संबंधित विषयों के शिक्षक नहीं हैं. नतीजतन भूगोल के शिक्षक को विज्ञान और विज्ञान के शिक्षक को गणित पढ़ाना पड़ता है. ऐसे में इन बच्चों के ज्ञान और भविष्य की कल्पना करना मुश्किल नहीं है. लोग अपनी नौकरी के लिए तो आवाज़ उठा रहे है। लेकिन आप कब अपने बच्चो की शिक्षा के लिए आवाज़ उठाएंगे और अपने जन प्रतिनिधियों से पूछेंगे कि कहाँ है हमारे बच्चो के शिक्षक? खैर, तब तक, आप हमें बताइए कि ------आपके गाँव या क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में कितने शिक्षक और शिक्षिका पढ़ाने आते है ? ------ क्या आपने क्षेत्र या गाँव के स्कूल में हर विषय के शिक्षक पढ़ाने आते है ? अगर नहीं , तो आप अपने बच्चों की उस विषय की शिक्षा कैसे पूरी करवाते है ? ------साथ ही शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है , ताकि हमारे देश का भविष्य आगे बढे।
दोस्तों, दुनिया भर में काम के घंटे घटाए जाने की मांग बढ़ जा रही है, दूसरी तरफ भारत काम के घंटों को बढ़ाए जाने की सलाह दी जा रही है। भारत में ज्यादातर संस्थान छ दिन काम के आधार पर चलते हैं, जिनमें औसतन 8-9 घंटे काम होता है, उस हिसाब से यहां औसतन पैंतालिस घंटे काम किया जाता है। जबकि दुनिया की बाकी देशों में काम के घंटे कम हैं, युरोपीय देशों में फ्रांस में औसतन 35 घंटे काम किया जाता है, ऑस्ट्रेलिया में 38 घंटे औसतन साढ़े सात घंटे काम किया जाता है, अमेरिका में 40 घंटे, ब्रिटेन में 48 घंटे और सबसे कम नीदरलैंड में 29 घंटे काम किया जाता है। दोस्तों, बढ़े हुए काम घंटों की सलाह देना आखिर किस सोच को बताता है, जबकि कर्मचारियों के काम से बढ़े कंपनी के मुनाफे में उसका हक न के बराबर या फिर बिल्कुल नहीं है? ऐसे में हर बात पर देशहित को लाना और उसके नाम पर ज्यादा काम की सलाह देना कितना वाजिब है? इस मसले पर अपना राय को मोबाईल वाणी पर रिकॉर्ड करें और बताएं कि आप इस मसले पर क्या सोचते हैं, आप भले ही मुद्दे के पक्ष में हों या विपक्ष में, इसे रिकॉर्ड करने के लिए दबाएं अपने फोन से तीन नंबर का बटन
बिस्फी ब्लॉक के तहत लोगों में है पढ़ने पढ़ने पर तमंचे आगे बढ़ाने के लिए उनको गाइड करना जरूरी है
आज मधुबनी में जिला स्तरीय युवा दिवस के अवसर पर अरविंद कुमार वर्मा ने दीप प्रज्वलित कर जिला स्तरीय युवा दिवस का शुभारंभ किया।