बिहार के नवादा जिले के एक गांव में रहने वाली फगुनिया या फिर उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के किसी गांव में रहने वाली रूपवती के बारे में अंदाजा लगाइये, जिसके पास खुद के बारे में कोई निर्णय लेने की खास वज़ह नहीं देखती हैं। घर से बाहर से आने-जाने, काम काज, संपत्ति निर्माण करने या फिर राजनीतिक फैसले जैसे कि वोट डालने जैसे छोटे बड़े निर्णय भी वह अक्सर पति या पिता से पूछकर लेती हो? फगुनिया और रूपवती के लिए जरूरी क्या है? क्या कोई समाज महज दो-ढाई महिलाओं के उदाहरण देकर उनको कब तक बहलाता रहेगा? क्या यही दो-ढ़ाई महिलाएं फगुनिया और रूपवती जैसी दूसरी करोड़ों महिलाओं के बारे में भी कुछ सोचती हैं? जवाब इनके गुण और दोष के आधार पर तय किये जाते हैं।दोस्तों इस मसले पर आफ क्या सोचते हैं अपनी राय रिकॉर्ड करें .

भूमि सुधार कानूनों में संशोधन करके महिलाओं के भूमि अधिकार को सुनिश्चित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, कानूनों में यह प्रावधान किया जा सकता है कि महिलाओं को पैतृक संपत्ति में समान अधिकार होगा और विवाह के बाद भूमि का अधिकार हस्तांतरित नहीं होगा। सभी जमीनों का दस्तावेजीकरण किया जाना चाहिए ताकि महिलाएं अपने भूमि अधिकारों का दावा कर सकें। तब तक दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- आपके हिसाब से महिलाओं को भूमि का अधिकार देकर घर परिवार और समाज में किस तरह के बदलाव लाए जा सकते हैं? *----- साथ ही आप इस मुद्दे पर क्या सोचते है ? और आप किस तरह अपने परिवार में इसे लागू करने के बारे में सोच रहे है ?

कुछ महीने पहले की बात है, सरकार ने महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए कानून बनाया है, जिससे उन्हें राजनीति और नौकरियों में आरक्षण मिलेगा, सवाल उठता है कि क्या कानून बना देने भर से महिलाओं को उनका हक अधिकार, बेहतर स्वास्थय, शिक्षा सेवाएं मिलने लगेंगी क्या? *----- शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आर्थिक अवसरों तक महिलाओं की पहुंच में सुधार के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं *----- महिलाओं को जागरूक नागरिक बनाने में शिक्षा की क्या भूमिका है? *----- महिलाओं को कानूनी साक्षरता और उनके अधिकारों के बारे में जागरूक कैसे किया जा सकता है"

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की 2021 की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया भर में आर्थिक समानता में महिलाओं की संख्या 58 फीसदी है। लेकिन पुरुषों के बराबर आने में उन्हें अभी सदियां लग जाएंगी। 156 देशों में हुए इस अध्ययन में महिला आर्थिक असमानता में भारत का स्थान 151 है। यानी महिलाओं को आर्थिक आजादी और अचल संपत्ति का हक देने के मामले में एक तरह से हम दुनिया में सबसे नीचे आते हैं। दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं के जीवन का बड़ा समय इन अधिकारों को हासिल करने में जाता है, अगर यह उन्हें सहजता से मिल जाए तो उनका जीवन किस तरह आसान हो सकता है? *----- महिलाओं के लिए भूमि अधिकारों तक पहुंच में सुधार के लिए कौन- कौन से संसाधन और सहायता की आवश्यकता हैं?

बिहार सरकार ने हाल में राज्य के 45 हजार गांवो की जमीन का सर्वे का निरिक्षण कराने का फैसला किया है। सर्वे कराये जाने को लेकर सरकार का कहना है कि इससे वह राज्य के 50 साल पुराने जमीन के रिकॉर्ड को अपडेट करना चाहती है। क्योंकि इन पचास सालों में जमीन के मालिकाना हक पर काफी बदलाव हुए हैं। सरकार की तरफ से कहा जा रहा है कि इस सर्वे में जमीन से जुड़ी 170 से ज्यादा प्रकार की जानकारियां इकट्ठी की जाएंगी। इसके अलावा 'इस सर्वे का एक उद्देश्य जमीन विवादों को कम करना भी है। पुराने रिकॉर्ड की वजह से कई बार विवाद होते हैं। नए सर्वे से यह समस्या दूर होगी।' सर्वे के दौरान लोगों को अपने जमीन के कागजात दिखाने होंगे। *----- दोस्तों इस मसले पर आपकी क्या राय है, क्या आपको भी लगता है कि शिक्षा के अभाव और कानून के उल्झे हुए दांव-पेचों ने महिलाओं को उनके हक और अधिकार से वंचित कर रखा है? *----- महिलाओं को भूमि अधिकार के बदले अर्थव्यवस्था में एक बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। इसके बदले में महिलाएं को किस तरह के सशक्तिकरण और स्वतंत्रता की उम्मीद की जा सकती है। *----- महिलाओं के लिए भूमि अधिकारों को मजबूत करने के लिए क्या किया जा सकता है?

भारत जैसे देश में महिलाओं की स्थिति का थोड़ा सा अंदाजा इन आंकड़ों से भी लग सकता है। आजादी के महज चार सालों बाद साल 1951 में भारत की कुल साक्षरता दर केवल 18.3 फीसदी थी, इसमें से महिलाओं की साक्षरता दर 9 फीसदी से भी कम थी। वहीं, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के डाटा के अनुसार साल 2021 में देश की औसत साक्षरता दर 77.70 प्रतिशत थी जिसमें पुरुषों की साक्षरता दर 84.70 प्रतिशत, जबकि महिलाओं की साक्षरता दर 70.30 प्रतिशत थी। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि आजादी के बाद से अब तक महिलाओं की साक्षरता दर में वृद्धि हुई है। दोस्तों, *----- आपको क्या लगता है कि महिलाओं के प्रति हो रहे भेदभाव की क्या वजह हैं, "*----- महिलाओं के पास भी भूमि अधिकार हों! इस नज़रिए से हमारे कानूनों और नीतियों में आपको क्या कोई कमियां नज़र आती हैं? *----- महिलाओं को भूमि का अधिकार मिले , इसे हासिल करने के लिए हमारे कानूनों के नीतियों में ऐसे कौन से बदलाव होने चाहिए जिससे महिलाओं के लिए भूमि अधिकार पाना कुछ आसान बन सके?"

दोस्तों, क्या आपको भी लगता है कि महिलाओं को उनके अधिकार दिए जाने चाहिए, घर परिवार के आर्थिक मसलों पर उन्हें शामिल किया जाना चाहिए, जो पुरुष अपना तनख्वाह और खेती की कमाई अपनी पत्नियों को सौंप देते हैं और इसको सशक्तिकरण मानते हैं वह क्यों महिलाओं को संपत्ति का आधा हिस्सा उन्हें देकर कहें कि परिवार को चलाने बच्चों का पढ़ाने और आगे बढ़ने में मदद करने के लिए आवश्यक निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं। *-----महिलाओं के गरीबी के चक्र को तोड़ने में आर्थिक अवसरों और सामाजिक सुरक्षा उपायों तक पहुंच कैसे बढ़ाई जा सकती है? *-----महिलाओं के लिए रोजगार के अवसरों को कैसे बढ़ाया जा सकता है? *-----महिलाओं के जीवन में गरीबी पर काबू पाया जा सके, इसमें सरकार, व्यवसाय और नागरिक समाज की क्या भूमिका है?

Transcript Unavailable.

साथियों, आपके यहां पानी के प्रदूषण की जांच कैसे होती है? यानि क्या सरकार ने इसके लिए पंचायत या प्रखंड स्तर पर कोई व्यवस्था की है? अगर आपके क्षेत्र में पानी प्रदूषित है तो प्रशासन ने स्थानीय जनता के लिए क्या किया? जैसे पाइप लाइन बिछाना, पानी साफ करने के लिए दवाओं का वितरण या फिर पानी के टैंकर की सुविधा दी गई? अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो आप कैसे पीने के पानी की सफाई करते हैं? क्या पानी उबालकर पी रहे हैं या फिर उसे साफ करने का कोई और तरीका है? पानी प्रदूषित होने से आपको और परिवार को किस किस तरह की दिक्कतें आ रही हैं?

जिलाधिकारी अरविन्द कुमार वर्मा ने समाहरणालय के विभिन्न शाखाओं एवं कार्यालयों के प्रधान लिपिकों , सहायकों आदि के साथ बैठक कर कर कई आवश्यक दिशा निर्देश दिए। उन्होंने सभी प्रधान लिपिकों एवं सहायकों को निर्देश दिया कि आगत पंजी,निर्गत पंजी,रोकड़ पंजी,अवकाश पंजी सहित सभी पंजियों को अधतन रखे।जिलधिकारी ने सेवान्त लाभ , विभागीय अनुशासनिक कार्रवाई, सी0डब्लू0जे0सी/एम0जे0सी0/डी0सी0 विपत्र/लोकायुक्त से संबंधित मामले/लोक शिकायत/लोक सभा/विधान सभा प्रश्न आदि की समीक्षा कर कई निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक कार्यालय के मुख्य रोकड़ पंजी के अंतिम पृष्ठ की सत्यापित प्रति पत्येक कार्यालय के प्रधान सहायक द्वारा समीक्षा हेतु बैठक में अचूक रूप से लाना सुनिश्चित करेंगे। उक्त बैठक में अपर समाहर्ता शैलेश कुमार, स्थापना उप समाहर्ता चंदन कुमार सहित कार्यालयों के प्रधान सहायक उपस्थित थे।