गर्मी सितम ढाह रही है। इसका असर खेती पर भी पड़ रहा है। मूंग की फसल भी पानी के अभाव में सुख रही है। गरमा धान भी बारिश नहीं होने से पीले पड़ रहे हैं। किसान हर दो दिन पर सिंचाई कर रहे हैं। खेतों में नमी नहीं होने के कारण धान के बिचड़ा तैयार करने में भी देरी हो रही है।किसान बारिश का बेसब्री से इंतजार कर रहे है। बारिश नहीं होने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खीच रही है। आखिर किसान कितना सिंचाई कर धान का बिचड़ा गिराये। किसान धान का बिचड़ा गिरा भी देते है तो उसे बिना बारिश के बचाना संभव नहीं होगा। दुकानों में धान का बीज आ चुका है, लेकिन बारिश नहीं होने से इसकी बिक्री अभी शुरू नहीं हो पायी है। किसान रामबिहारी सिंह, सरफराज आलम, बिपिन बिहारी प्रसाद आदि का कहना है कि धान का बिचड़ा गिराने के लिए खेतों में नमी है ही नहीं। बिचड़ा गिर भी जाता है तो वह जम नहीं पाएगा क्योंकि खेतों में नमी नहीं है। बारिश हुए कई महीने हो गए। सिंचाई की व्यवस्था माकूल नहीं होने से किसानों को खरीफ खेती के लिए परेशानी हो रही है। वर्षा नहीं होने से मूंग की फसल पर गहराने लगे हैं संकट के बादल मधुबन। वर्षा नहीं होने से मधुबन में मूंग की फसल पर संकट के बादल गहराने लगे हैं। किसान फसल को बचाने के लिए 7 दिनों के अंतराल पर मूंग की फसल में पानी का पटवन कर रहे हैं। किसान बच्चालाल सहनी,पप्पू यादव,भरत महतो,रंजीत पटेल, सत्यनारयण भगत आदि ने बताया कि मूंग की फसल में पानी का पटवन करने के बाद उसमें कीड़ा लग जा रहा है। जो फसल को बर्बाद कर रहा है। दवा का छिड़काव करने के बाद कीड़ा मर जा रहा है। किंतु अगला पटवन करने के बाद फिर से फसल में कीड़ा पकड़ ले रहा है। मूंग की कई खेतों में दरारें पड़ गयी हैं। वहीं वर्षा के अभाव में धान की खेती के लिए बिचड़ा को तैयार करना भी किसानों के लिए संभव नहीं हो पा रहा है। बताया कि नमी के अभाव में खेतों को जुताई नहीं हो पा रही है। तपती धूप व गर्मी से गरमा फसलें खेतों में सूख रही है। किसान सब्जी के साथ मूंग की फसल को बचाने के लिए बार-बार पटवन कर रहे हैं।