प्रिंस कुमार, उम्र 18 वर्ष, पिन कोड 811305
प्रभात तिवारी, उम्र 30 वर्ष, पिन कोड 811305
रितिक कुमार, उम्र 25 वर्ष, पिन कोड 811305
संजय तिवारी, उम्र 56 वर्ष, पिन कोड 811305
नाम वर्षा रानी।उम्र 23 साल। पिन कोड -811305
विद्यालय में चलाई जा रही मध्यान भोजन योजना का प्रभाव पढ़ाई पर पड़ रहा है
दैनिक जागरण बिहार की मई 2023 की रिपोर्ट के अनुसार नरपतगंज प्रखंड से सटे सुपौल जिला के छातापुर प्रखंड अंतर्गत मध्य विद्यालय ठूठी में सोमवार को एमडीएम परोसने के क्रम में बच्चों के भोजन में मरी हुई छिपकली मिली, जिसके बाद बच्चों व गांव वालों में हड़कंप मच गया। लेकिन क्या ये हड़कंप हमारा अपने जन प्रतिनिधियों के सामने झलकता है ? जिस पन्ना ज़िले के स्कुल में 40 बच्चे बीमार हो गए , क्या वोट देते समय हम ये बात सोचते है? नहीं .. बिलकुल भी नहीं सोचते। क्योंकि हम एक वोट देने की मशीन में ढल चुके है। कुछ लोग इसे मेरी ही मूर्खता करार देंगे कि मध्यान भोजन के लिए हम नेताओ को दोष क्यों दें ? लेकिन सच ये है कि जब तक कोई घटना हमारे या हमारे अपनों के साथ नहीं घटती , तब तक हम राजनितिक पार्टियों की चाटुकारिता में लगे रहते है। लोग आपको ही बार बार समझायेंगे कि हमें इन सभी पचड़ों में नहीं पड़ना चाहिए। दोस्तों, अपने देश, समाज और बच्चों के भविष्य को बदलने के लिए किसी न किसी को शुरुआत करनी पड़ेगी और वह शुरुआत स्वयं से ही होगी, इसके बाद अन्य समाज के लोगों का साथ मिलता चला जाएगा। तब तक आप हमें बताइए कि * ------ आपके गाँव या क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन की स्थिति क्या है ? *------- आपने क्षेत्र या गाँव के सरकारी स्कूलों में बच्चों को कैसा पौष्टिक खाना मिलता है क्या ? आपके अनुसार बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन का क्या मतलब है ? *------ साथ ही शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है , ताकि हमारे देश का भविष्य आगे बढे।
जमुई जिले में माध्याहन भोजन की स्थिति दिन प्रति दिन सुधर रहा है लेकिन बच्चे भूखे रह रहे हैं
दोस्तों , MDM या मध्याह्न भोजन योजना को दुनिया का सबसे बड़ा स्कूल फीडिंग प्रोग्राम माना जाता है। इस योजना के तहत प्राथमिक स्तर पर प्रत्येक बच्चे के लिए 450 कैलोरी और 12 ग्राम प्रोटीन और उच्च प्राथमिक स्तर पर 700 कैलोरी और 20 ग्राम प्रोटीन वाला मध्याह्न भोजन दिया जाता है। लेकिन ये तो सरकार के वेबसाइट और कार्यक्रम में सुनने में अच्छा लगता है। आज भी कई जगहों पर हकीकत कुछ और ही है। हमारे समाज में वैसे सामाजिक संस्कार पल बढ़ रहे हैं जिनका सही तरह के सवाल पूछने से कोई लेना देना नहीं हो रहा है। हमारे समाज का लोकतंत्र ऐसी बेकार की बातों से सड़ रहा है। लोगों में नागरिकता का एहसास पैदा नहीं किया जा रहा है। उन्हें नहीं बताया जा रहा है कि वह तभी ठीक ढंग से जी पायेंगे जब वह सरकार और प्रशासन से सही तरह के सवाल पूछेंगे। केवल एक दिन नहीं हर दिन पूछेंगे। तभी गंगा साफ़ हो पाएगी और स्कूलों के मिड डे मील में धाँधली नहीं होगी। तभी दूध की जगह पानी और रोटी के साथ नमक नहीं मिलेगा। आप हमें बताइए कि *--------- आपके गाँव या क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन की स्थिति क्या है ? *--------- आपने क्षेत्र या गाँव के सरकारी स्कूलों में बच्चों को कैसा पौष्टिक खाना मिलता है है ? *---------- साथ ही शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है , ताकि हमारे देश का भविष्य आगे बढे।
गिरते जलस्तर का शिकार हो रहे विद्यालयी बच्चे कई दिनों से बंद पड़ा मध्यान्ह भोजन योजना << जल की समस्या से प्रभावित हुआ मध्यान भोजन>> << दर्जनों से अधिक विद्यालयों में बंद हुआ नौनिहालों का भोजन>> << संबंधित विभाग से नहीं मिल पा रहा अपेक्षित सहयोग>> << आम नागरिकों में भी पनप रहा असंतोष>> सोनो (जमुई)/ प्रखंड अंतर्गत गिरते जलस्तर का शिकार अब तक आम ग्रामीण हो रहे थे अब यह समस्या विद्यालयों तक जा पहुंची। प्रखंड के दर्जनों से अधिक ऐसे विद्यालय हैं जहां विगत 20-22 दिनों से जल की कमी के कारण मध्यान्ह भोजन योजना पूरी तरह बंद पड़ा। क्षेत्र में विगत 1 वर्षों से जिस प्रकार नदियों से बालू का अत्यधिक उठाव किया गया वह कहीं ना कहीं गिरते जलस्तर का मुख्य कारण बना। क्षेत्र अंतर्गत बहने वाली लगभग सभी प्रमुख नदिया कहीं-कहीं तालाब का शक्ल अख्तियार कर बैठी तो कहीं-कहीं बहते नाले के समान प्रतीत हो रही। मानक के अनुरूप बालू के अत्यधिक उठाव ने सदियों से रह रहे आम ग्रामीणों के जीवन पर भी कुठाराघात किया, जो पीने की पानी की समस्या के मोहताज हो गए। नदी किनारे बसे लगभग गांव की स्थिति एक जैसी है जहां बोरिंग से लेकर कुए का पानी पूरी तरह सूख चुका, बदलते मौसम के अनुसार जिस प्रकार ग्रीष्म ऋतु अपनी प्रचंडता धारण करते जा रही वह आगामी महीने में और भी रौद्र रूप धारण कर सकती है, सबसे अधिक और विकट समस्या तो सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले नौनिहालों के साथ है जो सुबह भूखे पेट विद्यालय इस आस में पहुंचते की मध्यान योजना के तहत एक समय भोजन की प्राप्ति हो पाएगी। जल की समस्या को लेकर विद्यालय के प्रधानाध्यापकों ने बताया कि विभाग को कई बार पत्र द्वारा समस्या से अवगत कराने के पश्चात समस्या यथावत बनी हुई है, वही गिरते जलस्तर को लेकर ग्रामीणों में भी असंतोष का माहौल व्याप्त है। जिला प्रशासन से लेकर आला अधिकारियों तक गुहार लगाते हुए समस्या के समाधान की मांग की।