बिहार राज्य के जिला भोजपुर के सन्देश प्रखंड के खांडोल पंचायत के वार्ड नंबर पांच से कुमार गौरव की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से साना खातून से हुई।साना खातून यह बताना चाहती है कि उनको नल जल का लाभ नहीं मिला है।उनको नाली , गल्ली , इंदिरा आवास का लाभ भी नहीं मिला है।
बिहार राज्य के जिला भोजपुर के सन्देश प्रखंड के खांडोल पंचायत के वार्ड नंबर पांच से कुमार गौरव की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से सुदान अली से हुई। सुदान अली यह बताना चाहते है कि उनको नल जल ला लाभ नहीं मिला है।उनको नाली , गल्ली , इंदिरा आवास का लाभ भी नहीं मिला है
बिहार राज्य के जिला भोजपुर के खंडोल पंचायत के सन्देश प्रखंड के पांच नंबर वार्ड से कुमार गौरव की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से राजदेव पासवान से हुई। राजदेव पासवान यह बताना चाहते है कि पूर्वी टोला में पानी की सुविधा नहीं मिला है। इंदिरा आवास नहीं मिला है। लोगों को स्वक्ष पानी मिलना चाहिए
बिहार राज्य के जिला भोजपुर के खंडोल पंचायत के पांच नंबर वार्ड से कुमार गौरव की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से ममता कुमारी से हुई।ममता कुमारी यह बताना चाहती है कि उनके गली में पानी नहीं आ रहा है। सफाई वाला भी नहीं आता है। जब से टंकी गड़ा है तब से पानी नहीं आया है।
बिहार राज्य के जिला भोजपुर के खांडोल पंचायत ,वार्ड नंबर दो से राम उदय सिंह, मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि उनको नल जल योजना का लाभ नहीं मिला है। वह लोगों को पर्सनल पानी देते है।
बिहार राज्य के जिला भोजपुर के ग्राम खांडोल, थाना सन्देश,पंचायत खांडोल के वार्ड नंबर चार से ऋषि देव , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि उनका नल जल एक साल से काम नहीं कर रहा है। वह चाहते है इसका जल्द समाधान किया जाए
बिहार राज्य के जिला भोजपुर के सन्देश पंचायत से हमारे श्रोता , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि उनके घर में पानी नहीं आता है। वह चाहते है की उनके घर में पानी दिया जाए।
बिहार राज्य के जिला भोजपुर के सन्देश प्रखंड से ऋतिक कुमार की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से मनोज कुमार से हुई। मनोज कुमार यह बताना चाहते है कि उनके क्षेत्र में पानी की बहुत बर्बादी होती है, समय-समय पर पानी नहीं आता है और चापाकल सूख गया है और उन लोगों को बहुत सारी समस्याएं हैं, सरकार ध्यान नहीं दे रही है।
राजनैतिक सिंद्धांत औऱ प्रक्रियाओं में न्याय सबसे पुरानी अवधारणाओं में से एक है, न्याय के सिद्धांत को लेकर तमाम प्रकार की बातें कहीं गई हैं, जिसे लगभग हर दार्शनिक और विद्वान ने अपने समय के अनुसार समझाया है और सभी ने इसके पक्ष में अपनी आवाज को बुलंद किया है। न्याय को लेकर वर्तमान में भी पूरी दुनिया में आज भी वही विचार हैं, कि किसी भी परिस्थिति में सबको न्याय मिलना चाहिए। इसके उलट भारत में इस समय न्याय के मूल सिद्धामत को खत्म किया जा रहा है। कारण कि यहां न्याय सभी कानूनी प्रक्रियाओं को धता को बताकर एनकाउंटक की बुल्डोजर पर सवार है, जिसमें अपरधियों की जाति और धर्म देखकर न्याय किया जाता है। क्या आपको भी लगता है कि पुलिस को इस तरह की कार्रवाइयां सही हैं और अगर सही हैं तो कितनी सही हैं। आप इस मसले पर क्या सोचते हैं हमें बताइये अपनी राय रिकॉर्ड करके, भले ही इस मुद्दे के पक्ष में हों या विपक्ष में
नए नए आजाद हुए देश के प्रधानमंत्री नेहरू एक बार दिल्ली की सड़कों पर थे और जनता का हाल जान रहे थे, इसी बीच एक महिला ने आकर उनकी कॉलर पकड़ कर पूछा कि आजादी के बाद तुमको तो प्रधानमंत्री की कुर्सी मिल गई, जनता को क्या मिला, पहले की ही तरह भूखी और नंगी है। इस पर नेहरु ने जवाब दिया कि अम्मा आप देश के प्रधानमंत्री की कॉलर पकड़ पा रही हैं यह क्या है? नेहरू के इस किस्से को किस रूप में देखना है यह आप पर निर्भर करता है, बस सवाल इतना है कि क्या आज हम ऐसा सोच भी सकते हैं?