बिहार राज्य के औरंगाबाद ज़िला से शिव कुमारी ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि स्त्री-पुरुष के बीच समानता लाने के लिए ये जरुरी है कि स्त्री को भी भूमि का अधिकार मिले
बिहार राज्य के औरंगाबाद जिला से कोमल कुमारी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि बच्चे खेल और खेल में बहुत कुछ सीखते हैं और उनकी मानसिक स्थिति बहुत अच्छी हो जाती है।हर माता-पिता को अपने बच्चों के साथ थोड़ा समय बिताना चाहिए। उनके साथ खेलें ताकि बच्चे का मानसिक और शारीरिक विकास अच्छी तरह से हो पाए ।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
बिहार राज्य के औरंगाबाद जिला से कोमल कुमारी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिलाओं को भूमि का अधिकार होना बहुत जरुरी है। क्योंकि महिलाओं को पूरी तरह से अपना अधिकार और हक़ अभी तक नही मिला है। इस हक़ से महिलाएं अभी तक वंचित हैं। पुरुषों और महिलाओं के बीच कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। जिससे पुरुषों के समान महिलाओं को भी उनका अधिकार और समानता मिल सके। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
बिहार राज्य के औरंगाबाद जिला से सलोनी कुमारी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि अगर महिलाओं को भूमि अधिकार नही मिलता है तो लोग औरत को घर से भगाने की कोशिश करते हैं और ये भी बोलते हैं कि तुम्हारा यहां बचा क्या है। विधिवा औरतों के ससुराल वाले उनको कुछ नही समझते हैं और उनको जमीन पर अधिकार नही देते हैं। महिला सशक्तिकरण कार्यक्रमों को अपने दायरे में भूमि अधिकारों को शामिल करने के बारे में सोचना चाहिए। क्योंकि भूमि व्यक्ति की पहचान और अस्तित्व से गहरा जुड़ा होता है।व्यक्तिगत और संस्थागत दोनों ही स्तरों पर एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि गरिमा और समानता इस तरह के पाठ्यक्रमों का एक अभिन्न पहलू है। विशेष रूप से जो कार्य योजनाएं लोगों के सबसे कमजोर वर्गों के लिए बनाई गई हैं। भूमि, महिलाओं की पहचान, स्वतंत्रता, अधिकार और आजीविका का मूलभूत आधार है। यदि हम भूमि अधिकारों के बारे में बात नहीं कर रहे हैं तो हम महिलाओं के लिए सम्मान और समानता के जीवन का मार्ग प्रशस्त करने वाले एक महत्वपूर्ण घटक को पीछे छोड़ रहे हैं।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
बिहार राज्य के औरंगाबाद जिला से सलोनी कुमारी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि भूमि अधिकार से जुड़ी कुछ ऐसी समाज में समस्याएं हैं जो बहुत पहले से चलते आ रहे हैं। मगर जब मुझे पता चला भूमि अधिकार जैसे मामलों में काम करने वाले लोगों की जरुरत है तो मैंने मैंने तुरंत इस पद के लिए काम करना शुरू कर दिया। इनके दादाजी के देहांत के बाद दादी को अपनी संपत्ति के कागजात प्राप्त करने में बहुत परेशानी हुई थी,इसलिए इन्होने विधवा महिलाओं की सहायता करने का निर्णय लिया। हमारे समाज में विधवाओं को अक्सर अपनी संपत्ति से वंचित किया जाता है क्योंकि उनके पास अपने अधिकारों को साबित करने के लिए कोई ठोस कागज या सबूत नहीं होता है। संपत्ति में अधिकार मिलने से विधवा महिलाओं को अपने बच्चों के भरण-पोषण और शिक्षा में आसानी हो जाती है तथा उन्हें कई तरह के सरकारी लाभ भी मिलते हैं। सलोनी अधिकांश महिलाओं को भूमि अधिकार दिलाने के लिए काम करना शुरू कर दिया है। हर महिला को भूमि अधिकार मिल जाना चाहिए। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
बिहार राज्य के औरंगाबाद जिला से सलोनी कुमारी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि एक महिला सुबह से लेकर रात तक घर के कामों में लगी रहती है। फिर भी वो अचंभित है कि आखिर उसे भूमि का अधिकार क्यों नहीं मिल रहा है? महिलाओं को अब जागरूक होना होगा और मैके तथा ससुराल दोनों जगह की सम्पत्ति में अपना नाम जुड़वाना होगा। समाज में आय दिन विभिन्न प्रकार के सम्पत्ति विवाद देखने को मिलते रहते हैं। इसलिए महिलाओं को सम्पत्ति से जुड़े सभी कागजातों को देखकर समझ लेना चाहिए। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
बिहार राज्य के औरंगाबाद जिला से सलोनी कुमारी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पिता या पति के जीवित रहते ही अगर औरत का नाम सम्पत्ति के कागजों में जोड़ दिया जाए तो, महिला को भूमि हक़ से जुड़ी चुनौतियों एवं समस्याओं से बचाया जा सकता है। यदि कोई महिला विधवा हो जाती है तो उसे सामाजिक नियमों के अनुसार एक महीने तक घर के अंदर रहना पड़ता है। मृत्यु प्रमाण पत्र की जरुरत और उनकी जानकारी के अभाव में आगे जा कर ऐसी महिलाओं का जीवन कठीन हो जाता है। अगर महिला मृत्यु प्रमाण पत्र हासिल करने के प्रयास में लगती है तब उन्हें नोटरी शुल्क सहित कई प्रकार के खर्च उठाने पड़ते हैं। इन कागजी कार्यवाई को पूरा करने में बहुत समय लगता है। औरतों को कई महीनों तक इसका इंतज़ार करना पड़ता है। इन सभी मुश्किलों से बचने का कोई रास्ता नही है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
बिहार राज्य के औरंगाबाद जिला से सलोनी कुमारी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि औरतों के साथ भूमि से जुड़े अधिकारों पर काम करने के क्रम में सबसे बड़ी बाधा लोगों की सोच होती है। आज की ही बात है मैं एक महिला के मामले को लेकर एक सरकारी कर्मचारी से मिली। उसने मुझसे कहा कि विधवाओं को सम्पत्ति का अधिकार हासिल करने के लिए क़ानून का सहारा लेने के बजाय दोबारा शादी कर लेनी चाहिए।विधवाओं के ससुराल वालों को यह चिंता सताती है कि अगर कोई विधवा दोबारा शादी करेगी तो सम्पत्ति पर उसके दूसरे पति का भी अधिकार हो जाएगा। उन्हें यह भी लगता है कि सम्पत्ति में हिस्सा मिल जाने के बाद वे घर का काम करना बंद कर देंगी या घर से भाग जाएँगी। नतीजतन ससुराल वाले इन विधवाओं को उनके माता-पिता के घर वापस भेज देते हैं।हमें महिलाओं को भूमि हक़ और अधिकार के लिए जागरूक करना बहुत जरुरी है
उत्तरप्रदेश राज्य के हरदोई ज़िला से मुकेश ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि महिलाओं को भूमि पर अधिकार है ही। सरकार ने महिलाओं के लिए बहुत काम किया है। महिलाओं को बहुत अधिकार है। पति की मृत्यु पर पत्नी को पूरा अधिकार है। पुरुष और महिला का जमीन पर बराबरी का अधिकार है। केवल सोच लोगों की अलग अलग है। बहुत महिलाओं को अपने अधिकार का जानकारी नहीं है। इसीलिए उन्हें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना होगा
बिहार राज्य के औरंगाबाद जिला से सलोनी कुमारी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि समाजसेवी संस्थाओं को महिलाओं को सबसे पहले समझाना होगा कि भूमि अधिकार उनके सम्मान से जीने का अधिकार भी है। भूमि अधिकार एक महत्वपूर्ण मानव अधिकार मुद्दा है क्योंकि यह भोजन, आश्रय और सुरक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं तक पहुंचने लायक बनाता है।आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों को प्राप्त करने के लिए यह मूलभूत है। लेकिन महिलाओं की गरिमा और सम्मान को ध्यान में रखे बिना भूमि अधिकारों से जुड़ी बातचीत अधूरी है क्योंकि ये सभी मानवाधिकर मुद्दों में शामिल हिस्से हैं। वास्तव में महिलाओं को भूमि अधिकार मिलना चाहिए। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
