बिहार राज्य के औरंगाबाद जिला से सलोनी कुमारी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिला सशक्तिकरण के साधन के रूप में भूमि अधिकारों का महत्व स्पष्ट है, क्योंकि यह महिलाओं को वित्तीय सुरक्षा, आश्रय, आय और आजीविका के अवसर प्रदान करता है। लेकिन भारत में भूमि से संबंधित मौजूदा कानूनी ढांचा महिलाओं के भूमि अधिकारों को कितनी गम्भीरता से लेता है? और वे कौन सी समस्याएं हैं जिन पर बात करने की आवश्यकता है?सभी को भूमि अधिकार के प्रति महिलाओं को जागरूक करना चाहिए। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

बिहार राज्य के औरंगाबाद जिला से सलोनी कुमारी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि भारत में महिलाओं के भूमि अधिकारों का अध्याय, स्वाधीनता के सात दशकों के बाद भी अब तक अपूर्ण है। इसका एक अर्थ यह है कि आधी आबादी की 'स्वाधीनता' अब तक अधूरी है। और इसके निहितार्थ यह भी हैं कि भारत में महिलाओं की 'स्वाधीनता' स्वयं समाज और सरकार ने कमतर कर दी है।लेकिन जवाब आखिर कहां और किसके पास होने चाहिए? क्या समाज और सरकार के समक्ष महिलाओं को यह साबित करना होगा कि वह भी 'समानता' के संवैधानिक दायरों में शामिल हैं? क्या महिलाओं को सार्वजनिक रूप से प्रमाणित करना होगा कि ‘संपत्ति और भूमि’ में कानूनन उनका भी आधा हिस्सा है? इन मुद्दों पर महिलाओं को पूरी तरह से जागरूक होना होगा और अपने भूमि हक़ के लिए लड़ना होगा। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

बिहार राज्य के औरंगाबाद जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता कोमल कुमारी जानकारी दे रही हैं कि महिलाओं को भूमि अधिकार देना महत्वपूर्ण है। भूमि अधिकार देने का अर्थ है उन्हें सशक्त बनाना, प्रशिक्षण के माध्यम से उन्हें मजबूत करना। हमें बहुत पहले ही एहसास हो गया था कि हमें समाजसेवी संस्थाओं के एक बड़े समूह को सक्रिय रूप से क्षमता निर्माण सहायता प्रदान करके पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर किए जा रहे काम में तेजी लाने और उसे व्यापक बनाने की आवश्यकता है। जिससे विशेष रूप से उन लोगों को लाभ होगा जिन्हें अनौपचारिक रूप से भूमि अधिकारों के मुद्दे से जुड़े होते हैं। जिनसे ये अधिक गहराई से जुड़ने की क्षमता या आत्मविश्वास की कमी होती है

बिहार राज्य के औरंगाबाद जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता कोमल कुमारी जानकारी दे रही हैं कि महिलाओं के मामले में भारतीय समाज में भूमि अधिकारों के मामले में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। महिलाएं अक्सर अपने परिवार और समुदाय के साथ रहती हैं और उन्हें भूमि अधिकारों की पहुंच से बाहर रखा जाता है। सामाजिक प्रतिष्ठा संस्कृति और मान्यताओं के कारण भी महिलायें अपने अधिकार से वंचित रह जाती हैं

बिहार राज्य के औरंगाबाद जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता शिव कुमारी जानकारी दे रही हैं कि महिलाओं को अगर जमीन पर अधिकार मिलने लगा तो वो उस पर खेती कर के या कुछ अन्य कार्य कर के अपना और अपने बच्चों का भरण-पोषण आसानी से कर पायेंगी। जमीन पर काम कर वो खुद को आर्थिक रूप से मजबूत कर सकती हैं

बिहार राज्य के औरंगाबाद जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता शिव कुमारी जानकारी दे रही हैं कि हमारे देश में महिलाओं को भूमि और संपत्ति पर अधिकार नहीं दिया जाता है। पैतृक संपत्ति पर भी उन्हें कोई हक़ नहीं मिलता है। इसके पीछे कारण कानून हो या हमारे समाज की सोच इससे महिलाओं का भविष्य खतरे में पड़ जाता है। महिलायें कई बार परिस्थितियों के कारण आर्थिक रूप से कमजोर हो जाती है।

बिहार राज्य के औरंगाबाद जिला से मुकेश ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि उन हे मोबाइल वाणी पर चल रहा कार्यक्रम मं कुछ भी कर सकती हूँ बहुत अच्छा लगा

बिहार राज्य के औरंगाबाद जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता सलोनी कुमारी जानकारी दे रही हैं कि महिलाओं को अपने जमीन के अधिकार के लिए जरूर आगे आना चाहिए। कई बार परिवार वाले महिला को उसके हक़ से वंचित रखने का प्रयास करते हैं। ऐसे समय में महिला को कमजोर नहीं पड़ना चाहिए। बल्कि अपने हक़ की लड़ाई लड़नी चाहिए

बिहार राज्य के औरंगाबाद जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता सलोनी कुमारी जानकारी दे रही हैं कि महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना जरुरी है। क्योंकि जानकारी के अभाव में कई बार महिलाओं का भविष्य बर्बाद हो जाता है। ऐसे लोगों के सम्पर्क में जरूर रहें जो महिलाओं के अधिकार के बारें में सही जानकारी रखते हैं

बिहार राज्य के औरंगाबाद जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता सलोनी कुमारी जानकारी दे रही हैं कि महिलाओं को भी भूमि पर अधिकार मिलना चाहिए। इससे वे ना केवल आर्थिक रूप से सशक्त होंगी बल्कि धीरे-धीरे कई बदलाव देखने को मिलेंगे। इन बदलावों से ना केवल महिलाओं का विकास होगा बल्कि समाज और देश में भी सकारात्मक प्रभाव नजर आएंगे