कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की स्वीकारोकती के बाद सवाल उठता है, कि भारत की जांच एजेंसियां क्या कर रही थीं? इतनी जल्दबाजी मंजूरी देने के क्या कारण था, क्या उन्होंने किसी दवाब का सामना करना पड़ रहा था, या फिर केवल भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। जिसके लिए फार्मा कंपनियां अक्सर कटघरे में रहती हैं? मसला केवल कोविशील्ड का नहीं है, फार्मा कंपनियों को लेकर अक्सर शिकायतें आती रहती हैं, उसके बाद भी जांच एजेंसियां कोई ठोस कारवाई क्यों नहीं करती हैं?

कोई भी राजनीतिक दल हो उसके प्रमुख लोगों को जेल में डाल देने से समान अवसर कैसे हो गये, या फिर चुनाव के समय किसी भी दल के बैंक खातों को फ्रीज कर देने के बाद कैसी समानता? आसान शब्दों में कहें तो यह अधिनायकवाद है, जहां शासन और सत्ता का हर अंग और कर्तव्य केवल एक व्यक्ति, एक दल, एक विचारधारा, तक सीमित हो जाता है। और उसका समर्थन करने वालों को केवल सत्ता ही सर्वोपरी लगती है। इसको लागू करने वाला दल देश, देशभक्ति के नाम पर सबको एक ही डंडे से हांकता है, और मानता है कि जो वह कर रहा है सही है।

बिल पास करने के एवज में पंचायत सचिव ने मांगी थी रिश्वत, लोकायुक्त ने रंगेहाथों पकड़ा..लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगी हुई है लेकिन इसके बावजूद रिश्वतखोर अधिकारी कर्मचारी रिश्वत लेने से बाज नहीं आ रहे हैं। सतना में लोकायुक्त ने रंगेहाथों एक पंचायत सचिव को पकड़ा है। पंचायत सचिव ने बिल पास करने के एवज में रिश्वत की मांग की थी जिसकी शिकायत लोकायुक्त रीवा में फरियादी ने की थी। लोकायुक्त ने शिकायत पर कार्रवाई करते हुए इस कार्रवाई को अंजाम दिया है।मामला सतना जिले का है जहां झरी रोड बस स्टैंड पर लोकायुक्त रीवा की टीम ने झरी गांव के पंचायत सचिव को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा है। आरोपी सचिव का नाम रामसनेही शिवहरे है। जिसने केला गांव के रहने वाले राजा भैय्या तिवारी से पंचायत में हुए कामों के बिलों को पास करने के एवज में 14 हजार रिश्वत की मांग की थी। पंचायत सचिव रामसनेही शिवहरे के द्वारा रिश्वत मांगे जाने की शिकायत फरियादी राजा भैय्या तिवारी ने रीवा लोकायुक्त से की थी। लोकायुक्त ने पहले तो शिकायतकर्ता राजा भैय्या तिवारी की शिकायत की जांच की और शिकायत सही पाए जाने पर जाल बिछाकर फरियादी राजा भैय्या तिवारी को रिश्वत के पैसे लेकर पंचायत सचिव रामसनेही के पास भेजा। झरी रोड बस स्टैंड पर जैसे ही रिश्वतखोर सचिव ने रिश्वत के 14 हजार रुपए लिए तभी लोकायुक्त की टीम ने उसे रंगेहाथों पकड़ लिया।

सतना जिले का रजिस्ट्री कार्यालय इन दिनों भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ है। इस संबंध में शिकायत करते हुए वेंडरों ने बताया है की रजिस्ट्री कार्यलय में जमकर मनमानी और भ्रष्टाचार किया जा रहा है।

एडीआर संस्था ने अपनी एक और रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में राजनीतिक पार्टियों की कमाई और खर्च का उल्लेख है। यह रिपोर्ट बताती है कि कैसे राजनीतिक पार्टियां अपने विस्तार और सत्ता में बने रहने के लिए बड़े पैमाने पर खर्च करती हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश के सबसे बड़े सत्ता धारी दल ने बीते वित्तीय वर्ष में बेहिसाब कमाई की और इसी तरह खर्च भी किया। इस रिपोर्ट में 6 पार्टियों की आय और व्यय के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, सीपीआई एम और बीएसपी और एनपीईपी शामिल हैं। दोस्तों, *---- आपको क्या लगता है, कि चुनाव लडने पर केवल राजनीतिक दलों की महत्ता कितनी जरूरी है, या फिर आम आदमी की भूमिका भी इसमें होनी चाहिए? *---- चुनाव आयोग द्वारा लगाई गई खर्च की सीमा के दायेंरें में राजनीतिक दलों को भी लाना चाहिए? *---- सक्रिय लोकतंत्र में आम जनता को केवल वोट देने तक ही क्यों महदूद रखा जाए?

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तमाम गैर सरकारी रिपोर्टों के अनुसार इस समय देश में बेरोजगारी की दर अपने उच्चतम स्तर पर है। वहीं सरकारें हर छोटी मोटी भर्ती प्रक्रिया में सफल हुए उम्मीदवारों को नियुक्त पत्र देने के लिए बड़ी-बड़ी रैलियों का आयोजन कर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों को भी आमंत्रित कर रही हैं, जिससे की बताया जा सके कि युवाओं को रोजगार उनकी पार्टी की सरकार होने की वजह से मिल रहा है।

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