दोस्तों, प्रधानमंत्री के पद पर बैठे , किसी भी व्यक्ति से कम से कम इतनी उम्मीद तो कर ही सकते हैं कि उस पद पर बैठने वाला व्यक्ति पद की गरिमा को बनाए रखेगा। लेकिन कल के भाषण में प्रधानमंत्री ने उसका भी ख्याल नहीं रखा, सबसे बड़ी बात देश के पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ खुले मंच से झूठ बोला। लोकतंत्र में आलोचना सर्वोपरि है वो फिर चाहे काम की हो या व्यक्ति की, सवाल उठता है कि आलोचना करने के लिए झूठ बोलना आवश्यक है क्या? दोस्तों आप प्रधानमंत्री के बयान पर क्या सोचते हैं, क्या आप इस तरह के बयानों से सहमत हैं या असहमत, क्या आपको भी लगता है कि चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जाना अनिवार्य है, या फिर आप भी मानते हैं कि कम से कम एक मर्यादा बनाकर रखी जानी चाहिए चाहे चुनाव जीतें या हारें। चुनाव आयोग द्वारा कोई कार्रवाई न करने पर आप क्या सोचते हैं। अपनी राय रिकॉर्ड करें मोबाइलवाणी पर।

2024 के आम चुनाव के लिए भी पक्ष-विपक्ष और सहयोगी विरोधी लगभग सभी प्रकार के दलों ने अपने घोषणा पत्र जारी कर दिये हैं। सत्ता पक्ष के घोषणा पत्र के अलावा लगभग सभी दलों ने युवाओं, कामगारों, और रोजगार की बात की है। कोई बेरोजगारी भत्ते की घोषणा कर रहा है तो कोई एक करोड़ नौकरियों का वादा कर रहा है, इसके उलट दस साल से सत्ता पर काबिज राजनीतिक दल रोजगार पर बात ही नहीं कर रहा है, जबकि पहले चुनाव में वह बेरोजगारी को मुद्दा बनाकर ही सत्ता तक पहुंचा था, सवाल उठता है कि जब सत्ताधारी दल गरीबी रोजगार, मंहगाई जैसे विषयों को अपने घोषणापत्र का हिस्सा नहीं बना रहा है तो फिर वह चुनाव किन मुद्दों पर लड़ रहा है।

सतना के कांग्रेस पूर्व महापौर और पूर्व लोकसभा प्रत्याशी राजाराम त्रिपाठी आज भाजपा के सदस्यता लेंगे

मनरेगा में भ्रष्टाचार किसी से छुपा हुआ नहीं है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा दलित आदिवासी समुदाय के सरपंचों और प्रधानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि पहले तो उन्हें गांव के दबंगो और ऊंची जाती के लोगों से लड़ना पड़ता है, किसी तरह उनसे पार पा भी जाएं तो फिर उन्हें प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस मसले पर आप क्या सोचते हैं? क्या मनरेगा नागरिकों की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएगी?

हमारी सूखती नदियां, घटता जल स्तर, खत्म होते जंगल और इसी वजह से बदलता मौसम शायद ही कभी चुनाव का मुद्दा बनता है। शायद ही हमारे नागरिकों को इससे फर्क पड़ता है। सोच कर देखिए कि अगर आपके गांव, कस्बे या शहर के नक्शे में से वहां बहने वाली नदी, तालाब, पेड़ हटा दिये जाएं तो वहां क्या बचेगा। क्या वह मरुस्थल नहीं हो जाएगा... जहां जीवन नहीं होता। अगर ऐसा है तो क्यों नहीं नागरिक कभी नदियों-जंगलों को बचाने की कवायद को चुनावी मुद्दा नहीं बनाते। ऐसे मुद्दे राजनीति का मुद्दा नहीं बनते क्योंकि हम नागरिक इनके प्रति गंभीर नहीं हैं, जी हां, यह नागरिकों का ही धर्म है क्योंकि हमारे इसी समाज से निकले नेता हमारी बात करते हैं।

मध्यप्रदेश राज्य के सतना जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता संध्या विश्वकर्मा ने बताया की लोकसभा निर्वाचन 2024 के दूसरे चरण में 28 मार्च से शुरू हो रही नामांकन प्रक्रिया के लिए सतना के संयुक्त कलेक्ट्रेट भवन में तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। जगह - जगह बेरिकेड्स लगा कर प्रवेश और प्रतिबंधित क्षेत्र निर्धारित कर दिए गए हैं। अभ्यर्थी अपने नाम निर्देशन पत्र 28 मार्च से 4 अप्रैल के बीच सिर्फ 6 दिन ही प्रस्तुत कर सकेंगे।इस खबर को सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।

कोई भी राजनीतिक दल हो उसके प्रमुख लोगों को जेल में डाल देने से समान अवसर कैसे हो गये, या फिर चुनाव के समय किसी भी दल के बैंक खातों को फ्रीज कर देने के बाद कैसी समानता? आसान शब्दों में कहें तो यह अधिनायकवाद है, जहां शासन और सत्ता का हर अंग और कर्तव्य केवल एक व्यक्ति, एक दल, एक विचारधारा, तक सीमित हो जाता है। और उसका समर्थन करने वालों को केवल सत्ता ही सर्वोपरी लगती है। इसको लागू करने वाला दल देश, देशभक्ति के नाम पर सबको एक ही डंडे से हांकता है, और मानता है कि जो वह कर रहा है सही है।

सतना लोकसभा क्षेत्र के मैहर विधानसभा सीट से कई बार विधायक रह चुके नारायण त्रिपाठी ने समाजवादी पार्टी से पहले विधानसभा चुनाव जीता था इसके बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ले ली लेकिन ज्यादा दिनों तक वहां भी नहीं रह पाए इसके बाद उन्होंने भाजपा में सदस्य ले ली लेकिन 2023 के चुनाव में जब भाजपा ने उन्हें प्रत्याशी नहीं बनाया तो उन्होंने खुद की विंध्य जनता पार्टी का गठन कर लिया जिन्हें 2023 के विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा अब लोकसभा चुनाव में नारायण त्रिपाठी बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए हैं अब देखना यह होगा कि आखिर उनका यह फैसला उनकी राजनीति को कहां तक ले जा पता है।

लोकसभा चुनाव के ठीक पहले कांग्रेसी खेमे में हलचल मच गई है और कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने गुरुवार को भोपाल पहुंचकर मुख्यमंत्री मोहन यादव और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के हाथों भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ले ली है।

देश में इस समय माहौल चुनावी है और राजनीति हावी है। यह चुनाव अहम है क्योंकि पिछले कुछ साल भारतीय राजनीति के लिए अप्रत्याशित रहे हैं। इस दौरान ऐसा बहुत कुछ हुआ जो पहले लोकतंत्र के लिए अनैतिक कहा जाता था।