मनरेगा में भ्रष्टाचार किसी से छुपा हुआ नहीं है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा दलित आदिवासी समुदाय के सरपंचों और प्रधानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि पहले तो उन्हें गांव के दबंगो और ऊंची जाती के लोगों से लड़ना पड़ता है, किसी तरह उनसे पार पा भी जाएं तो फिर उन्हें प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस मसले पर आप क्या सोचते हैं? क्या मनरेगा नागरिकों की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएगी?

आपका पैसा आपकी ताकत की आज की कड़ी में हम सुनेंगे अपने श्रोताओं की राय

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आपका पैसा आपकी ताकत की आज की कड़ी में हम जानेंगे एसएचजी यानि की स्वयं सहायता समुह से जुड़ने के क्या फायदे हैं और इससे जुड़ कर कैसे आप अपने जीवन में बदलाव ला सकते हैं।

मध्यप्रदेश राज्य के जिला सतना से फ़िरोज़ मोबाइल वाणी के माध्यम से कह रहे है कि उन्होंने 11-02-2024 को एक खबर प्रसारित किया था। खबर में बताया गया था कि सतना के झूलेलाल मंदिर के समीप रहने वाली बबिता मुस्कान ने सतना मोबाइल वाणी में अपनी समस्या रिकॉर्ड कराई थी। जिसमें उन्होंने बताया था कि अपना पत्तल दोना का व्यवसाय बढ़ाने के लिए उन्हें लोन की आवश्यकता थी पर कई बार लोन के लिए आवेदन करने के बाद भी उन्हें लोन नहीं मिल पा रहा था। इस खबर को सतना मोबाइल वाणी पर हमारे सामुदायिक संवाददाता फ़िरोज़ ने प्रकाशित किया इसके साथ ही खबर को नगर निगम के अधिकारियों के साथ साझा किया अतः खबर का असर कुछ इस प्रकार हुआ कि आज दिनांक 20-02-2024 को बबिता की लोन की उन्हें स्वीकृति मिल गई है। अंत में खबर के असर हो जाने से बबिता बहुत खुश है और मोबाइल वाणी को धन्यवाद कर रही हैं।

इसके बरक्स एक और सवल उठता है कि क्या सरकारें चाहती हैं कि वह लोगों का खाने-पीने और पहनने सहित सामान्य जीवन के तौर तरीकों को भी तय करें? या फिर इस व्यवसाय को एक धार्मिक समुदाय को निशाना बनाने के लिए इस तरह के आदेश जारी किये जा रहे हैं। सरकार ने इस आदेश को जारी करते हुए इस बात पर भी ध्यान नहीं दिया कि उसके एक आदेश से कितने लोगों की रोजी रोटी पर असर पड़ेगा