कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की स्वीकारोकती के बाद सवाल उठता है, कि भारत की जांच एजेंसियां क्या कर रही थीं? इतनी जल्दबाजी मंजूरी देने के क्या कारण था, क्या उन्होंने किसी दवाब का सामना करना पड़ रहा था, या फिर केवल भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। जिसके लिए फार्मा कंपनियां अक्सर कटघरे में रहती हैं? मसला केवल कोविशील्ड का नहीं है, फार्मा कंपनियों को लेकर अक्सर शिकायतें आती रहती हैं, उसके बाद भी जांच एजेंसियां कोई ठोस कारवाई क्यों नहीं करती हैं?

प्रदेश के 10 जिलों में फैला संक्रमण इंसानों और पशुओं दोनों को संक्रमित करने वाले संक्रामक रोग लेप्टोस्पायरोसिस यानी रैट फीवर का संक्रमण सतना भी आ पहुंचा है। इस संक्रामक बीमारी से पीड़ित मरीज प्रदेश के 10 जिलों समेत सतना में भी पाए गए हैं। सतना के सीएमएचओ कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय जनजाति स्वास्थ्य अनुसंधान लैब जबलपुर से आई रिपोर्ट में प्रदेश के 10 जिलों में लेप्टोस्पायरोसिस के 21 मरीज मिले हैं, जिनमें सतना का भी मरीज शामिल है। ये मरीज 5 से 24 फरवरी के बीच कराए गए सैंपल टेस्ट में पाए गए हैं। हालांकि अभी मरीज के नाम और निवास स्थान के बारे में जानकारी साझा नहीं की गई है, लेकिन यह जानकारी मिलते ही सतना का स्वास्थ्य अमला अलर्ट मोड पर आ गया है। कैसे फैलता है संक्रमण चिकित्सकों ने बताया कि लेप्टोस्पायरोसिस को रैट फीवर के नाम से भी जाना जाता है। यह एक जीवाणु संक्रमण है जो बग लेप्टोस्पायरा के कारण होता है। इसका संक्रमण संक्रमित पशुओं के यूरिन से फैलता है। बीमारी के लक्षण - लेप्टोस्पायरोसिस नाम की बीमारी से संक्रमित मरीज के लक्षण 5 से 14 दिन में दिखते हैं। इसमे संक्रमित को बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, आंखों में लालिमा, उल्टी-दस्त, पेट दर्द, पीलिया और शरीर मे लाल चकत्ते निकलने की समस्या भी हो सकती है। कई मामलों में इसका असर गुर्दों और लीवर पर भी पड़ता है।

Roasted chana benefits : चना, जिन्हें आप छोले के नाम से भी जानते हैं, एक लोकप्रिय दाल है। इन्हें आप कई तरह से खा सकते हैं, पर क्या आप जानते हैं कि भुने हुए चने सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होते हैं? जी हां, भुने हुए चने प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और मिनरल्स का भरपूर खजाना होते हैं। तो आइए जानते हैं भुने हुए चने खाने के 5 शानदार फायदे: Roasted chana benefits : प्रोटीन का पावरहाउस: भुने हुए चने (Roasted Chana) प्रोटीन का बहुत अच्छा स्रोत होते हैं। प्रोटीन हमारे शरीर की मांसपेशियों को मजबूत बनाने, शरीर की कोशिकाओं को ठीक करने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है। मांसाहारी भोजन न करने वालों के लिए तो भुना हुआ चना (Roasted Chana) प्रोटीन का एक बेहतरीन विकल्प पाचन क्रिया को दुरुस्त रखें: भुने हुए चने (Roasted Chana) फाइबर से भरपूर होते हैं. फाइबर हमारे पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने में मदद करता है. यह खाना अच्छे से पचाने में मदद करता है और पेट की गैस, कब्ज जैसी समस्याओं से भी राहत दिलाता है. साथ ही फाइबर आपको जल्दी भूख लगने से रोकता है, जिससे वजन को कंट्रोल करने में भी मदद मिलती है.

टीबी बीमारी को क्षयरोग के नाम से भी जाना जाता है. हर वर्ष 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस के रूप में मनाया जाता है। टीबी एक गंभीर बीमारी है जिसे लेकर आज भी लोगों के बीच कई सारी अफवाह फैली हुई हैं।विश्व स्वास्थ्य संगठन इस दिन दुनिया भर में तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित करता है ताकि लोग इसके प्रति जागरूक हो। हर साल विश्व क्षयरोग दिवस एक निर्धारित थीम के तहत मनाया जाता है। अभी 2024 की थीम यस! वी कैन एंड टीबी! इस थीम का उद्देश्य है टीबी उपचार के प्रति जागरूकता बढ़ाना। मरीज़ों और उनके परिवारों को प्रेरणा देना की टीबी का जड़ से उपचार संभव है और वह हार न मानें। टीबी का खात्मा हम सब मिलकर कर सकते हैं। इसलिए हमें इससे बचने के लिए विभिन्न उपाय करने चाहिए जैसे टीकाकरण संतुलित आहार लेना और एक्टिव लाइफस्टाइल को शामिल करना चाहिए ।खांसते और छींकते समय चेहरे को साफ नैपकिन या रुमाल से कवर करना और इस्तेमाल के बाद इन चीजों को कूड़े में डाल देने की आदत अपनाने चाहिए ।तो दोस्तों हमें अपनों और खुद का ख्याल रखना है और टीबी से बचाव के उपाय को अपनाना है तभी तो हम टीबी को हराएंगे और देश को जिताएंगे।

हम सभी रोज़ाना स्वास्थ्य और बीमारियों से जुड़ी कई अफवाहें या गलत धारणाएं सुनते है। कई बार उन गलत बातों पर यकीन कर अपना भी लेते हैं। लेकिन अब हम जानेंगे उनकी हकीकत के बारे में, वो भी स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मदद से, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में। याद रखिए, हमारा उद्देश्य किसी बीमारी का इलाज करना नहीं, बल्कि लोगों को उत्तम स्वास्थ्य के लिए जागरूक करना है। सेहत और बीमारी को लेकर अगर आपने भी कोई गलत बात या अफवाह सुनी है, तो फ़ोन में नंबर 3 दबाकर हमें ज़रूर बताएं। हम अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञों से जानेंगे उन गलत बातों की वास्तविकता, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में।

हम सभी रोज़ाना स्वास्थ्य और बीमारियों से जुड़ी कई अफवाहें या गलत धारणाएं सुनते है। कई बार उन गलत बातों पर यकीन कर अपना भी लेते हैं। लेकिन अब हम जानेंगे उनकी हकीकत के बारे में, वो भी स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मदद से, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में। याद रखिए, हमारा उद्देश्य किसी बीमारी का इलाज करना नहीं, बल्कि लोगों को उत्तम स्वास्थ्य के लिए जागरूक करना है।सेहत और बीमारी को लेकर अगर आपने भी कोई गलत बात या अफवाह सुनी है, तो फ़ोन में नंबर 3 दबाकर हमें ज़रूर बताएं। हम अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञों से जानेंगे उन गलत बातों की वास्तविकता, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में।

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टाइफाइड का एकमात्र प्रभावी इलाज एंटीबायोटिक्स है। सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला सिप्रोफ्लोक्सासिन (गैर- गर्भवती वयस्कों के लिए) और सेफ्ट्रिएक्सोन है। एंटीबायोटिक दवाओं के अलावा, पर्याप्त पानी पीना और खानपान का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। अधिक गंभीर मामलों में, पेट में नुकसान पहुंचता है और सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।टाइफाइड के दौरान क्या खाएं-पीएं उबला हुआ पानी गाय का दूध नारियल पानी लौंग का पानी अगला लेख सेब, मौसम्बी, अनार, अंगूर, पपीता, मनुक्का दाना दलिया, चावल, मूंग की दाल की पतली खिचड़ी ऐप पर पढ़ें उबली हुई मूंग की दाल और चपाती सब्जियों में पालक, लौकी, गिलकी, करेला। पूरी तरह आराम करें नहाएं नहीं

पलटवार भी करता है टाइफाइड...डॉ. अजय मोहन के अनुसार, बुखार बना रहता है, लेकिन कोई बड़ी समस्या न आए तो तीन से चार हफ्तों में बीमारी अपने आप ठीक होने लगती है। जो लोग एंटीबायोटिक्स से ठीक हो जाते हैं, उनमें बीमारी के लौटकर आने की आशंका बनी रहती है। सावधानी न बरती जाए तो एक से दो हफ्ते बेहतर महसूस करने के बाद 10 फीसदी लोगों में बीमारी लौट आती है। अगला लेख अधिक जानकारी के लिए देखें: https://www.myupchar.com/disease/typhoid- fever

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