उत्तर प्रदेश राज्य के हरदोई जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता बुद्ध सेन सोनी ने एक समाजसेवी से बातचीत की जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि महिलाओं को भी पुरुषों के समान ही भूमि में अधिकार मिलना चाहिए। इससे वो अपने जीवन में हर कार्य का निर्वहन सश्क्ता के साथ कर सकती हैं। इससे हमारे देश का भी विकास होगा। महिलाओं को भूमि में अधिकार नहीं मिलना या उस तक पहुँचने में चुनोतियों का सामना शिक्षा और जागरूकता का अभाव के कारण करना पड़ता है
उत्तरप्रदेश राज्य के हरदोई ज़िला से मुकेश ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि टमाटर की खेती के लिए मंसूरी टमाटर के बीज को ले आये। इसके बाद बीज को जाँच कर भुरभुरी मिट्टी में बो दें। इसकी पूरी जानकारी के लिए सुनें ऑडियो
उत्तरप्रदेश राज्य के हरदोई ज़िला से मुकेश ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि मैं कुछ भी कर सकती हूँ कार्यक्रम बहुत अच्छा लगता है। कार्यक्रम में सभी किरदार अच्छा लगता है
दोस्तों, समाज में लैंगिक समानता प्राप्त करने के लिए सामाजिक असमानता को दूर करना सबसे ज़रूरी है। शिक्षा, जागरूकता, और कानूनों का कड़ाई से पालन करके हम एक ऐसा समाज बना सकते हैं जहाँ पुरुषों और महिलाओं को समान अधिकार और अवसर प्राप्त हों। तो दोस्तों, हर समस्या का समाधान होता है आप हमें बताइए कि _____ हमारे समाज में लैंगिक असमानता क्यों मौजूद हैं? _____आपके अनुसार से लैंगिक समानता को मिटाने के लिए सरकार के साथ साथ हमें किस तरह के प्रेस को करने की ज़रूरत है ?
लैंगिक असमानता का मुख्य कारण, पुराणी कथा, लोगों में असमानता जागरूकता व कड़े कानून का लागू नहीं होना है। लैंगिक असामनता को मिटाने के लिए शिक्षा, जागरूकता और कड़े कानूनों को लागू करना होगा।
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उत्तर प्रदेश राज्य के हरदोई जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता बुद्धसेन सोनी ने जानकारी दी कि महिलाओं को भूमि अधिकार मिलना जरुरी है। क्योंकि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को समान अधिकार नहीं प्राप्त होता है।महिलाओं को सशक्त बनाने में समाज की भूमिका बहुत महत्वपुर्ण है। अगर पूरा समाज जागरूक और एकजुट हो कर महिलाओं को उनका अधिकार दें या दिलाने का प्रयास करें तो स्थिति हर तरह से बेहतर हो सकती है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
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उत्तर प्रदेश राज्य के हरदोई जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता अनुराग गुप्ता ने जानकारी दी कि उत्तर प्रदेश में जातीय, धार्मिक और क्षेत्रवाद के प्रभाव में आकर मतदाता वोट करता है। वही महाराष्ट्र में तमाम कामगार संगठन अपने हितों को लेकर वोट करते हैं। यूपी के हरदोई में अभी तक कभी भी नागरिक संगठनों के द्वारा चुनाव के दौरान सियासी दलों के बीच घोषणा पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया। हरदोई में मतदाता अपनी विचारधारा के दल या प्रत्याशी से प्रभावित होकर वोट करता है। क्षेत्रीय समस्याएं तो बहुतायात में यहां होती हैं, लेकिन लोकल स्तर पर नागरिक समूह इन्हें उठाने से कतराते रहते हैं। हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के दौरान हरदोई जनपद में एक बड़ी समस्या अन्ना मवेशियों की रही है, इसके अलावा कई अन्य समस्याएं भी है। लेकिन किसी भी नागरिक समूह के द्वारा इन समस्याओं को एक घोषणा पत्र के रूप में परिवर्तित करने की पहल नहीं की जा सकी है । जिसतरह चुनाव के दौरान तमाम राजनीतिक पार्टियां अपना-अपना घोषणा पत्र जारी कर जनता से तमाम वायदे करती हैं। उसी तरह नागरिकों को भी नागरिक समूह बनाकर उसकी ओर से चुनाव के दौरान घोषणा पत्र जारी करना चाहिए, ताकि प्रमुख स्थानीय समस्याओं को सभी राजनीतिक दलों के समक्ष लाया जा सके।
उत्तर प्रदेश राज्य के हरदोई जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता अनुराग गुप्ता ने जानकारी दी कि लिंग के आधार पर घर, समाज दोनों जगहों पर शोषण, अपमान और भेदभाव करना लैंगिक असमानता कहलाता हैं, जो 21 वीं सदी में भी भारतीय समाज में गहराई तक फैला हुआ हैं । हाई सोसायटी में अब लैंगिक असमानता काफी हद तक दम तोड़ती नजर आ रही हैं। लेकिन समाज का एक बड़ा तबका अभी भी लैंगिक असमानता की जद में हैं। लैंगिक असमानता को मिटाने के लिए उत्तर प्रदेश के हरदोई में लोगों को सबसे पहले लिंग के आधार पर भेदभाव को खत्म करना होगा, और इसके लिए लोगों को अपने घर से ही पहल करनी होगी । लड़के और लड़की को एक नजर से देखना होगा । दोनों को बराबर महत्व देना होगा । लैंगिक असमानता को खत्म करने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान पर जोर देना होगा, और इस अभियान से हर एक व्यक्ति और परिवार को अनिवार्य रूप से जोड़ना होगा। समाज में मिशन शक्ति और महिला सशक्तिकरण को लेकर भी जागरूकता फैलानी होगी । तभी लैंगिक समानता भारतीय समाज का हिस्सा बन सकती है। हालांकि उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार मिलकर कई ऐसी योजनाएं चल रही है, जिससे लैंगिक असमानता की दर में कमी आ रही है। हरदोई जनपद की अगर बात की जाए तो यहां लैंगिक असमानता को खत्म करने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, सुरक्षा और रोजगार जैसे सही कारणों का समर्थन करना होगा ।