आप सुन रहे हैं कि मोबाइल वाणी संत कबीर नगर। मच्छरों का संक्रमण, मच्छरों के कारण लोगों में बहुत समस्या हो रही है, सरकार एक तरफ कहती है। कि मच्छरों के प्रकोप के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन वह हवा हवा में बहने वाली साबित हो रही है। मच्छरों से छुटकारा पाने के लिए, केवल एक ही सहारा है। गाँव के गलियारों में नालियों की सफाई नहीं की गई तो लोगों की जान बचेगी, जिससे मच्छरों से छुटकारा पाने के लिए रोगियों को मच्छरों का शिकार होना पड़ता है। सरकार कुछ भी छिड़काव नहीं कर रही है, इसलिए डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें मच्छरदानी का उपयोग करना चाहिए। हो सकता है, लेकिन मच्छर विकर्षक का छिड़काव नहीं किया जा रहा है, जिसके कारण मच्छर लोगों की नींद उड़ा रहे हैं।

संत कबीर नगर जिले में रोगियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इन दिनों टीवी अस्पताल में एक हफ्ते से इस बीमारी की दवा उपलब्ध नहीं है। हर दिन दो दर्जन से अधिक मरीज दवा के लिए अस्पताल में परेशान हो रहे हैं। सी. एम. ओ. ने सभी प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों के साथ बैठक की और दवाओं की खरीद के निर्देश दिए। जिले में उन्नीस सौ बत्तीस टीवी मरीज सक्रिय हैं। ये मरीज सरकार से भी मुक्त हैं। अस्पताल में इलाज के लिए ट्रीटमेंट टीवी दिया जाता है, लेकिन जो मरीज इन दिनों दवा लेने अस्पताल जा रहे हैं, उन्हें दवा नहीं मिल पा रही है। अब उन्हें जिले में वापस जाना है। जिला अस्पतालों में टीबी रोगियों के लिए दवा उपलब्ध नहीं है, जिससे रोगियों को परेशानी हो रही है।

कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की स्वीकारोकती के बाद सवाल उठता है, कि भारत की जांच एजेंसियां क्या कर रही थीं? इतनी जल्दबाजी मंजूरी देने के क्या कारण था, क्या उन्होंने किसी दवाब का सामना करना पड़ रहा था, या फिर केवल भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। जिसके लिए फार्मा कंपनियां अक्सर कटघरे में रहती हैं? मसला केवल कोविशील्ड का नहीं है, फार्मा कंपनियों को लेकर अक्सर शिकायतें आती रहती हैं, उसके बाद भी जांच एजेंसियां कोई ठोस कारवाई क्यों नहीं करती हैं?

टीबी बीमारी को क्षयरोग के नाम से भी जाना जाता है. हर वर्ष 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस के रूप में मनाया जाता है। टीबी एक गंभीर बीमारी है जिसे लेकर आज भी लोगों के बीच कई सारी अफवाह फैली हुई हैं।विश्व स्वास्थ्य संगठन इस दिन दुनिया भर में तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित करता है ताकि लोग इसके प्रति जागरूक हो। हर साल विश्व क्षयरोग दिवस एक निर्धारित थीम के तहत मनाया जाता है। अभी 2024 की थीम यस! वी कैन एंड टीबी! इस थीम का उद्देश्य है टीबी उपचार के प्रति जागरूकता बढ़ाना। मरीज़ों और उनके परिवारों को प्रेरणा देना की टीबी का जड़ से उपचार संभव है और वह हार न मानें। टीबी का खात्मा हम सब मिलकर कर सकते हैं। इसलिए हमें इससे बचने के लिए विभिन्न उपाय करने चाहिए जैसे टीकाकरण संतुलित आहार लेना और एक्टिव लाइफस्टाइल को शामिल करना चाहिए ।खांसते और छींकते समय चेहरे को साफ नैपकिन या रुमाल से कवर करना और इस्तेमाल के बाद इन चीजों को कूड़े में डाल देने की आदत अपनाने चाहिए ।तो दोस्तों हमें अपनों और खुद का ख्याल रखना है और टीबी से बचाव के उपाय को अपनाना है तभी तो हम टीबी को हराएंगे और देश को जिताएंगे।

हम सभी रोज़ाना स्वास्थ्य और बीमारियों से जुड़ी कई अफवाहें या गलत धारणाएं सुनते है। कई बार उन गलत बातों पर यकीन कर अपना भी लेते हैं। लेकिन अब हम जानेंगे उनकी हकीकत के बारे में, वो भी स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मदद से, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में। याद रखिए, हमारा उद्देश्य किसी बीमारी का इलाज करना नहीं, बल्कि लोगों को उत्तम स्वास्थ्य के लिए जागरूक करना है। सेहत और बीमारी को लेकर अगर आपने भी कोई गलत बात या अफवाह सुनी है, तो फ़ोन में नंबर 3 दबाकर हमें ज़रूर बताएं। हम अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञों से जानेंगे उन गलत बातों की वास्तविकता, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में।

हम सभी रोज़ाना स्वास्थ्य और बीमारियों से जुड़ी कई अफवाहें या गलत धारणाएं सुनते है। कई बार उन गलत बातों पर यकीन कर अपना भी लेते हैं। लेकिन अब हम जानेंगे उनकी हकीकत के बारे में, वो भी स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मदद से, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में। याद रखिए, हमारा उद्देश्य किसी बीमारी का इलाज करना नहीं, बल्कि लोगों को उत्तम स्वास्थ्य के लिए जागरूक करना है।सेहत और बीमारी को लेकर अगर आपने भी कोई गलत बात या अफवाह सुनी है, तो फ़ोन में नंबर 3 दबाकर हमें ज़रूर बताएं। हम अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञों से जानेंगे उन गलत बातों की वास्तविकता, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में।

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