अगर इस जहां में मजदूरों का नामोंनिशां न होता, फिर न होता हवामहल और न ही ताजमहल होता!! नमस्कार /आदाब दोस्तों,आज 1 मई को विश्व अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस या मई दिवस मना रहा है।यह दिन श्रमिक वर्ग के संघर्षों और विजयों से भरा एक समृद्ध और यादगार इतिहास है। साथियों,देश और दुनियाँ के विकास में मजदूर भाई-बहनों का योगदान सराहनीय है।हम मजदूर भाई-बहनों के जज्बे को सलाम करते हैं और उनके सुखमय जीवन की कामना करते हैं। मोबाइल वाणी परिवार की तरफ से मजदूर दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !

महिलाओं की लगातार बढ़ती हिस्सेदारी और उसके सहारे में परिवारों के आर्थिक हालात सुधारने की तमाम कहानियां हैं जो अलग-अलग संस्थानों में लिखी गई हैं, अब समय की मांग है कि महिलाओं को इस योजना से जोड़ने के लिए इसमें नए कामों को शामिल किया जाए जिससे की ज्यादातर महिलाएं इसका लाभ ले सकें। दोस्तों आपको क्या लगता है कि मनरेगा के जरिए महिलाओँ के जीवन में क्या बदलाव आए हैं। क्या आपको भी लगता है कि और अधिक महिलाओं को इस योजना से जोड़ा जाना चाहिए ?

मनरेगा में भ्रष्टाचार किसी से छुपा हुआ नहीं है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा दलित आदिवासी समुदाय के सरपंचों और प्रधानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि पहले तो उन्हें गांव के दबंगो और ऊंची जाती के लोगों से लड़ना पड़ता है, किसी तरह उनसे पार पा भी जाएं तो फिर उन्हें प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस मसले पर आप क्या सोचते हैं? क्या मनरेगा नागरिकों की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएगी?

भारत का आम समाज अक्सर सरकारी सेवाओं की शिकायत करता रहता है, सरकारी सेवाओं की इन आलोचनाओं के पक्ष में आम लोगों सहित तमाम बड़े बड़े अर्थशास्त्रियों तक का मानना है कि खुले बाजार से किसी भी क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों में कंपटीशन बढ़ेगा जो आम लोगों को बेहतर सुविधाएं देगा। इस एक तर्क के सहारे सरकार ने सभी सेवाओं को बाजार के हवाले पर छोड़ दिया, इसमें जिन सेवाओं पर इसका सबसे ज्यादा असर हुआ वे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर पड़ा है। इसका खामियाजा गरीब, मजदूर और आम लोगों को भुगतना पड़ता है।

नमस्कार दोस्तों, मोबाइल वाणी पर आपका स्वागत है। तेज़ रफ्तार वक्त और इस मशीनी युग में जब हर वस्तु और सेवा ऑनलाइन जा रही हो उस समय हमारे समाज के पारंपरिक सदस्य जैसे पिछड़ और कई बार बिछड़ जाते हैं। ये सदस्य हैं हमारे बढ़ई, मिस्त्री, शिल्पकार और कारीगर। जिन्हें आजकल जीवन यापन करने में बहुत परेशानी हो रही है। ऐसे में भारत सरकार इन नागरिकों के लिए एक अहम योजना लेकर आई है ताकि ये अपने हुनर को और तराश सकें, अपने काम के लिए इस्तेमाल होने वाले ज़रूरी सामान और औजार ले सकें। आज हम आपको भारत सरकार की विश्वकर्मा योजना के बारे में बताने जा रहे हैं। तो हमें बताइए कि आपको कैसी लगी ये योजना और क्या आप इसका लाभ उठाना चाहते हैं। मोबाइल वाणी पर आकर कहिए अगर आप इस बारे में कोई और जानकारी भी चाहते हैं। हम आपका मार्गदर्शन जरूर करेंगे। ऐसी ही और जानकारियों के लिए सुनते रहिए मोबाइल वाणी,

*माननीय मंत्री सत्यानंद भोक्ता के निर्देश के उपरांत राजस्थान में फंसे चतरा के प्रतापपुर प्रखंड के श्रमिकों को किया गया रेस्क्यू* *चतरा जिला के 06 श्रमिकों की राजस्थान के पाली जिले में फंसे होने की सूचना प्रतापपुर प्रखंड अंतर्गत चंद्रीगोविंदपुर पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि जितेंद्र सार्थक द्वारा राज्य के श्रम मंत्री सह चतरा विधायक सत्यानंद भोक्ता को दी गई।* *माननीय मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने त्वरित मामले को संज्ञान में लेते हुए राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष को निर्देश दिया।* *सभी श्रमिकों को एक बारूद कारखाने में काम कराया जा रहा था और उन्होंने असंतोषजनक कामकाजी परिस्थितियों और मालिक के बुरे व्यवहार के कारण झारखंड लौटने की तीव्र इच्छा व्यक्त की थी। वे बंधुआ मजदूर जैसी स्थिति में थे। श्रम विभाग द्वारा संचालित राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष ने राजस्थान के जिला प्रशासन से समन्वय कर मामले पर करवाई की और श्रमिकों को सुरक्षित बचाओ कर लिया गया। सभी श्रमिक सकुशल हैं और कल सुबह झारखंड के लिए प्रस्थान करेंगे। इसी तरह ताजा तरीन खबरों के लिए सुनते रहिए मोबाइल वाणी धन्यवाद

पिछले 10 सालों में गेहूं की एमएसपी में महज 800 रुपये की वृद्धि हुई है वहीं धान में 823 रुपये की वृद्धि हुई है। सरकार की तरफ से 24 फसलों को ही एमएसपी में शामिल किया गया है। जबकि इसका बड़ा हिस्सा धान और गेहूं के हिस्से में जाता है, यह हाल तब है जबकि महज कुछ प्रतिशत बड़े किसान ही अपनी फसल एमएसपी पर बेच पाते हैं। एक और आंकड़ा है जो इसकी वास्तविक स्थिति को बेहतर ढ़ंग से बंया करत है, 2013-14 में एक आम परिवार की मासिक 6426 रुपये थी, जबकि 2018-19 में यह बढ़कर 10218 रुपये हो गई। उसके बाद से सरकार ने आंकड़े जारी करना ही बंद कर दिए इससे पता लगाना मुश्किल है कि वास्तवितक स्थिति क्या है। दोस्तों आपको सरकार के दावें कितने सच लगते हैं। क्या आप भी मानते हैं कि देश में गरीबी कम हुई है? क्या आपको अपने आसपास गरीब लोग नहीं दिखते हैं, क्या आपके खुद के घर का खर्च बिना सोचे बिचारे पूरे हो जाते हैं? इन सब सरकारी बातों का सच क्या है बताइये ग्रामवाणी पर अपनी राय को रिकॉर्ड करके

चतरा उपायुक्त की अध्यक्षता में समाहरणालय स्थित सभा कक्ष में टी बी कमिटी की बैठक की गई। इस बैठक में टी बी मरीजों की जाँच व मरीजों के इलाज हेतु दिए गए कई आवश्यक दिशा निर्देश ।

Transcript Unavailable.

टंडवा प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत शिवपुर -कठौतिया रेलवे लाइन के निर्माण कार्य मे ब्रिज निर्माण करा रही मिलेनियम नामक कंपनी के साईट पर लापरवाही के कारण हुई दुर्घटना में कई मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गए। जानकारी के अनुसार गुरुवार सुबह उक्त घटना तब हुई जब लगभग दो दर्जन मजदूर रक्शी गांव के मातु आहर के पास निर्माणाधीन ओवरब्रिज संख्या 99 के तीन नंबर पैकेज में काम करने के लिए पहुंचे थे। इसी दौरान ब्रिज का सरिया अचानक धराशाई हो गया‌। इस घटना में ब्रिज में कार्य कर रहे एक दर्जन से अधिक मजदूर घायल हो गए।घटना के बाद स्थानीय लोगों की मदद से सभी घायलों को सिमरिया रेफरल अस्पताल में भर्ती करवाया गया,जहां से दो मजदूरों की गम्भीर हालत को देखते हुए हजारीबाग मेडिकल कॉलेजे अस्पताल रेफर कर दिया गया है।वहीं अन्य घायलों का स्थानीय स्तर पर इलाज किया जा रहा है। घटना में गंभीर रूप से घायल मजदूरों की पहचान राय निवासी किटकु महतो के 35 वर्षीय प्रदीप कुमार व पत्थलगड्डा थाना क्षेत्र के तिलरा गांव निवासी गांठों महतो के पुत्र चेतलाल महतो के रूप में की गई। घटना के बाद कंपनी के इंजीनियरिंग पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। जानकारों का कहना है कि कंपनी के ब्रिज में कार्य कर रहे मजदूरो की सुरक्षा से संबंधित कोई भी मापदंड अपनाये नहीं गये हैं। मिलेनियम कंपनी रक्शी से गिद्धौर के दुवारी तक 29 किलोमीटर रेल लाइन के निर्माण कार्य में जुटी हुई है। बताया गया कि पत्थलगड्डा की ओर से लगभग 10 किलोमीटर तक का निर्माण कार्य पूरा हो भी चुका है। घटना के बाद कंपनी के कामगार मौके से फरार बताए जा रहे हैं।