उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बलरामपुर से अंकिता मिश्रा , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहती कि घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा प्रदान करने वाला अधिनियम 26 अक्टूबर, 2006 से प्रभावी है। पत्नी या उसके साथ रहने वाली किसी भी महिला को पति या उसके साथ रहने वाले किसी भी पुरुष या उसके रिश्तेदारों की हिंसा से बचाना है । इस अधिनियम के तहत उन महिलाओं को भी सुरक्षा प्रदान की गई है जो बिना दवा के एक पुरुष के साथ रह रही हैं। शारीरिक, शारीरिक, यौन, भावनात्मक या आर्थिक रूप से दुर्व्यवहार या धोखाधड़ी करना भी इस कानून के तहत अपराध माना जाता है।

उत्तरप्रदेश राज्य के बलरामपुर ज़िला से नीलू ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि पुरुषों की तरह महिलाओं को भी सम्मान और हक़ मिलना चाहिए। आज भी उनके गाँव में ऐसी महिलाएं है जो प्रताड़ित होती है। सामान दर्ज़ा मिलने से महिलाओं पर ताड़नाएँ रुकेगी

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बलरामपुर से नीलू , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहती है कि हमारे समाज में महिलाओं पर अत्यचार होते रहते है। हमे महिलाओं पे हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए आवाज उठाना चाहिए।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बलरामपुर से श्री देवी सोनी , मोबाइल वाणी के माध्यम से बताना चाहती है कि महिलाओं के साथ हिंसा बढ़ गया है। हिंसा नहीं होना चाहिए। महिलाओं को यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।

उत्तरप्रदेश राज्य के बलरामपुर ज़िला से श्रीदेवी सोनी ,मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती है कि बहुत महिलाएँ चाहे वो शहर की हो या ग्रामीण इलाके की लेकिन वो अभी भी शिक्षा से वंचित है। उनमे शिक्षा के प्रति जागरूकता ही नहीं है । शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, रोजगार और राजनीतिक भागीदारी जैसे क्षेत्रों में महिलाओं के साथ अक्सर भेदभाव किया जाता है। महिलाओं के खिलाफ दहेज़ ,शोषण बढ़ रहा है। महिलाएँ अपने अधिकारों को खुद ही समझ नहीं पा रही है

महिलाओं को अक्सर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, रोजगार और राजनीतिक भागीदारी जैसे क्षेत्रों में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। यह भेदभाव उन्हें अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने से रोकता है। महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, दहेज हत्या और बाल विवाह जैसी हिंसा लैंगिक असमानता का एक भयानक रूप है। यह हिंसा महिलाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसान पहुंचाती है और उन्हें डर और असुरक्षा में जीने के लिए मजबूर करती है। लैंगिक असमानता गरीबी और असमानता को बढ़ावा देती है, क्योंकि महिलाएं अक्सर कम वेतन वाली नौकरियों में काम करती हैं और उन्हें भूमि और संपत्ति जैसे संसाधनों तक कम पहुंच होती है। दोस्तों, आप हमें बताइए कि *-----लैंगिक असमानता के मुख्य कारण क्या हैं? *-----आपके अनुसार से लैंगिक समानता को मिटाने के लिए भविष्य में क्या-क्या तरीके अपनाएँ जा सकते हैं? *-----साथ ही, लैंगिक असमानता को दूर करने के लिए हम व्यक्तिगत रूप से क्या प्रयास कर सकते हैं?

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लैंगिक असमानता घरेलू हिंसा महिलाओं के प्रति भेदभाव करना सही नहीं है
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June 11, 2024, 2:59 p.m. | Tags: autopub  


भारत में हम लड़कियों को शिक्षित करके उन में भेदभाव या अन्य चीजों से उन्हें शिक्षा से विकसित कर सकते हैं
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June 11, 2024, 3:05 p.m. | Tags: autopub  


लैंगिक स असमानता से समाज में बहुत ही असमानताएं होती हैं
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June 11, 2024, 3:07 p.m. | Tags: autopub  

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बलरामपुर से अंकिता मिश्रा , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहती है कि वर के परिवार को भूषण और अन्य कीमती सामान देना दहेज कहा जाता है, लेकिन बदलते समय के साथ लोगों में लालच विकसित हुआ और इस प्रथा ने एक बुराई पैदा कर दी।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बलरामपुर से अंकिता मिश्रा , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि दहेज प्रथा, महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा, हिंसा और शिशु हत्या, असमानता, बाल श्रम, यौन कार्य आदि जैसी सामाजिक बुराइयाँ है। जो की ख़त्म होना चाहिए।

उत्तरप्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से स्मृति मिश्रा ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि डायरी सुन कर बहुत अच्छा लगता है और इससे लोगों को फायदा भी हो रहा है। साथ ही उन्होंने बताया कि दहेज़ प्रथा एक ऐसी महामारी है जिससे अधिक लोग ग्रषित है। ये कुप्रथा सदियों से हमारे समाज में चली आ रही है। दहेज़ के कारण ही कन्या भ्रूण हत्या, लड़कियों के प्रति भेदभाव तथा महिलाओं के प्रति अपराध में वृद्धि होती है। इस कुप्रथा को लेकर लोगों के बीच जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से प्रियंका सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का अर्थ तह सुनिश्चित करना है कि महिलाएं सभ्य कार्य और सामाजिक सुरक्षा में समान रूप से भाग ले सकें और लाभ उठा सकें ।आर्थिक रूप से सशक्त बनने के क्रम में महिलाओं के सामने कई चुनौतियां है। जैसे- पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कम मजदूरी मिलना,ग्रामीण महिलाओं के लिए अनुकूल नौकरियों की कमी,समाज में महिलाओं के साथ होने वाली घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न,इत्यादि।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।