उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बलरामपुर से श्री देवी सोनी , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहती है कि जिस तरह से पुरुषों का अपनी जमीन पर अधिकार है, महिलाओं को उतने ही अधिकार हैं। अपने हर कर्तव्य के साथ, चाहे वह मजदूर के रूप में हो या कर्मचारी के रूप में या उद्यमी के रूप में या मालिक के रूप में, यह भी देखना आवश्यक है कि खेतों में काम करने वाला कौन है। कई मामलों में हमारे भारत जैसे देशों में, यह अक्सर देखा गया है कि गरीब और वंचित महिलाएं , पोषण और आर्थिक कठिनाई के लिए परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए खेतों में काम करती है।

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"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिल देव शर्मा पौधों में बोरोन की कमी और अधिकता के लक्षण के बारे में जानकारी दे रहे हैं । अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बलरामपुर से वीर बहादुर यादव , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि महिलाओं के लिए आर्थिक स्वतंत्रता और भूमि में हिस्सेदारी होना बहुत महत्वपूर्ण है । उनके पास स्वामित्व का अधिकार है, क्योंकि भूमि के कारण उन्हें समाज में मान्यता प्राप्त है, इसलिए यदि समाज में पहचान भूमि के अधिकार के कारण पुरुष द्वारा बनाई जाती है, तो इस विषय पर महिलाओं को भी अपना भूमि अधिकार मिलना चाहिए, भारत में महिलाओं को भूमि अधिकार नहीं दिए जा रहे हैं यह गलत है और महिलाओं को भूमि की स्वतंत्रता है और भूमि में हिस्सेदारी होना चाहिए ।

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से प्रियंका सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि एलएआर लोगों के अधिकारों को मान्यता देता है, जो पुनर्वास के लिए जमीन पर ही निर्भर होते हैं। लेकिन उनके पास जमीन नही होती है। इस कानून के अनुसार इलाके की जमीन पर मालिकाना हक़ रखने वाले 70-80 फीसदी परिवार को अधिग्रहण के लिए सहमति देनी होगी। इस तरह भूमिहीन परिवार की महिला को बड़े पैमाने पर बसाया जाता है, लेकिन उसके लिए सहमति नहीं ली जाती है।जमीन पर मालिकाना हक़ रखने वाले परिवार को मुआवजा,पुनर्वास और स्थान परिवर्तन का अधिकार होता है.लेकिन लेकिन भूमिहीन परिवार मुआवजे और पुनर्वास दोनों के अधिकार से वंचित हैं। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से प्रियंका सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि बालिकाओं को उचित शिक्षा देकर और उन्हें मुफ्त उच्च शिक्षा प्रदान करके भारत में लैंगिक असमानता को कम किया जा सकता है, गैर-सरकारी संगठनों का उपयोग महिला सशक्तिकरण के बारे में समाज में जागरूकता पैदा करने के लिए किया जा सकता है, और विशेष रूप से लैंगिक असमानता को दूर करने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न नीतियां शुरू की जा सकती है। महिलाओं और लड़कियों को राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक असमानता का सामना करना पड़ता है। गरीबी के उच्च स्तर से लेकर बुनियादी और उच्च शिक्षा तक की कमी से लेकर नेतृत्व और निर्णय लेने में उनके कम प्रतिनिधित्व तथा लैंगिक असमानता के मूल कारणों में से एक जाने जाते हैं। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से प्रियंका सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि बलरामपुर में रोजगार मेले का आयोजन होने वाला है। जिसमें बलरामपुर के बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिल सकता है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से प्रियंका सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिलाओं की स्थिति लगभग हर पैमाने पर बदतर है। चाहे वह वेतन का अंतर हो, बिना भुगतान के देखभाल में बिताया गया समय, लैंगिक हिंसा की उच्च दर, या नेतृत्व और सार्वजनिक स्थानों में पर्याप्त महिलाएँ न होना, सब एक ही बात पर वापस आता है। लैंगिक असमानता। लिंग विविधता वाले लोगों के लिए, पारंपरिक लिंग द्विआधारी के बाहर लिंग की पहचान करना, उसे व्यक्त करना और/या उसका अनुभव करना विभिन्न प्रकार के भेदभाव, कलंक और बहिष्कार का परिणाम है। यह भेदभाव अधिकारों का उल्लंघन करता है। यह समाज में भागीदारी को सीमित करता है। यह लिंग विविधता वाले लोगों के लिए खराब स्वास्थ्य, आर्थिक और सामाजिक परिणामों की ओर भी ले जाता है।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

उत्तरप्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से नीलू पाण्डेय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से नीतू यादव से बातचीत किया। बातचीत के दौरान नीतू यादव ने बताया की वे झालर बनाने का काम करती हैं, और उसे बेच कर अपने परिवार का रोजी रोटी चलाती हैं।