धनुष कुटीर आश्रम सोनपुर में यात्री निवास के निर्माण व सौंदर्य करण कार्य का मंत्री ने किया शिलान्यास सोनपुर। हरी और हर की धरती पर बिहार सरकार के पर्यटन एवं उद्योग विभाग के मंत्री नीतीश मिश्रा ने शनिवार को सोनपुर पहुँच कर कालीघाट (धनुष कुटीर आश्रम) में यात्री निवास के निर्माण कार्य का शिलान्यास करने के उपरांत उन्होंने कहा कि वर्तमान यात्री निवास पर्यटकों की संख्या के लिए काफी छोटा है एवं जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है।पर्यटकों की सुविधा हेतु 4 करोड़ 98 हजार 37 हजार 200 रूपये की लागत से एक नया चार मंजिला यात्री निवास का निर्माण किया जा रहा है। इसके भूतल पर एक हॉल, प्रथम एवं द्वितीय तल पर एक-एक अदद महिला डॉरमेट्री एवं पुरूष डॉरमेट्री, तृतीय तल पर कुल 08 कमरों का निर्माण शौचालय सहित किया जाना है। प्रत्येक तल का निर्मित क्षेत्रफल करीब 2800 वर्गफीट का होगा। इसके निर्माण से सोनपुर में आने वाले पर्यटकों को काफी सहुलियत होगी। इस मौके पर स्थानीय विधायक रामानुज प्रसाद, स्थानीय सांसद प्रतिनिधि श्री राकेश सिंह, समाजसेवी लालबाबू पटेल उपस्थित थे। कार्यक्रम में बिहार स्टेट टूरिज्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लि०, पटना के प्रबंध निदेशक नन्द किशोर, महाप्रबंधक (योजना एवं विकास) अभिजीत कुमार, मुख्य अभियंता अशोक कुमार उपस्थित थे। वही धनुष कुटी आश्रम के संत बालक बाबा ने कहाँ कि इस भूमि पर स्वयं भगवान श्री हरि सुदर्शन चक्र से ग्राह को मार कर गज को मुक्त किया हरिहर क्षेत्र महोत्सव की स्थापना कर महाकुंभ की भांति हरिहर क्षेत्र महोत्सव सोनपुर मेला का आयोजन की स्थापना किया जो आज भी जीवंत है ,सत्य धर्म और न्याय का प्रतीक गजेंद्र मोक्ष कथा वैश्विक मानचित्र पटल पर अंकित है । हाथी का इकलौता प्रदर्शनी छोटा पक्षी से लेकर हाथी तक का इकलौता पशु मेला जो आदिकाल से भारतीय संस्कृति सभ्यता एवं वैदिक परंपरा की पहचान रही है, जो पूर्णतया विघटित हो चुका है। जिसके सिलसिले में आमूल चूल परिवर्तन किया जाना परम आवश्यक प्रतीत हो रहा है।इस स्थल पर सालो भर तीर्थ यात्रियों, पर्यटकों स्नानानार्थियों साधु संत अतिथियों के सेवा में यहां के लोग सदा तत्पर है। अतएव पर्यटकों, तीर्थ यात्रियों, साधु संत अतिथियों के सुविधा के दृष्टिकोण से धनुष कुटीर आश्रम का विकास एवं सौंदर्यीकरण कार्य योजना का डीपीआर तैयार किया गया है इसके पूर्ण निर्माण में करीब 24.50 को रुपए की योजना कुशल इंजीनियर के द्वारा की गई है। वही सोनपुर विधायक डॉ रामानुज प्रसाद ने शनिवार के संध्याकालीन कालीघाट पर गंगा आरती मे भाग लिए।

आज विश्व पर्यटन दिवस है। घूमना - फिरना,नए जगहों का अनुभव प्राप्त करना,मनोरंजन करना और अपने रोजमर्रा के जीवन से दूर, कुछ पल उमंग और उत्साह के साथ बिताना पर्यटन कहलाता है। नए लोगों के साथ मिलने-जुलने से मस्तिष्क विकसित होता है एवं वहां की संस्कृति और सभ्यता का ज्ञान होता है। पर्यटन का किसी भी देश के सामाजिक,आर्थिक तथा राजनीतिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है।यह दिन प्राकृतिक संसाधनों तथा सांस्कृतिक विरासतों के संरक्षण की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है. .... मोबाइल वाणी परिवार की और से आप सभी को विश्व पर्यटन दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं !

सिविल लाइंस, जो बनाया तो अंग्रेजों के लिए गया था लेकिन वह तो रहे नहीं सो अब हमारे काम आ रहा है। बेहद खूबसूरत, जगमगाती इमारतें, चौड़ी सड़कें, फर्राटा भरती गांडियां और सबकुछ इतना करीने से की घूमने के लिए अद्भुत जगह, मेरा खुद से देखा हुआ अब तक का सबसे शानदार दिलकश, बगल में कॉफी की महक उड़ाता इंडियन कॉफी हाउस। और ज्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें।

किसी भी शहर की वैसे तो कई पहचानें हो सकती हैं, आप की पहचान क्या है यह आपको खुद ढूंढना पड़ेगा, हां यह शहर आपकी मदद कर देगा बिना यह जाने के आप कौन है, कहां से आए हैं, और किसलिए आए हैं। यह इलाहाबाद में ही संभव है कि यह राजनीति की पाठशाला भी बनता है, तो धर्म का संगम भी इसी के हिस्से है, धर्म और अधर्म के बीच झूलती राजनीति को सहारा और रास्ता दिखाने वाली तालीम और साहित्य भी इसी शहर की पहचान हैं। इस सब के बावजूद कोई अगर प्रेम न कर पाए तो फिर उसके मानव होने पर भी संदेह होने लगता है।

इंदौर मप्र के मालवा में बसा हुआ है और मालवा माटी को लेकर कहावत है कि मालव माटी गहन गंभीर, पग पग रोटी डग डग नीर... सैकड़ों बरस पहले कही गई यह बात आज भी उतनी ही सच्ची लगती है। इंदौर की सूरत और सीरत आज भी इस कहावत पर कायम है। आप पूछेंगे कैसे तो वो ऐसे कि यहां आने वाला कोई आदमी शायद ही कभी भूखे लौटता होगा।

नर्मदा के किनारों पर अलग-अलग राजवंशों की न जाने कितनी कहानियां लिखी हुई हैं। हालांकि राजवंशों से ज्यादा सभ्यता की कहानियां ज्यादा मुक्कमल दिखाई देती हैं। नर्मदा और उसकी महत्ता को बेहतर समझना हो तो हर साल होने वाली नर्मदा परिक्रमा को देख आना चाहिए। कहने को तो यह परिक्रमा धार्मिक है लेकिन उससे ज्यादा यह सामाजिक है, और प्रकृति के साथ मानव के सहअस्तिव का ज्ञान कराती है।

अगर कोई चतरा आये और झारखण्ड के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल इटखोरी के बारे में बात न करें , ऐसा तो हो ही नहीं सकता। तो हम भी यहाँ के दर्शन और इतिहास को खँगालने यहाँ आ पहुँचे। गौरवपूर्ण अतीत को संभाल कर रखने वाले इटखोरी के भद्रकाली में तीन धर्मों का समागम है। हिंदू, बौद्ध एवं जैन धर्म के लिए यह पावन भूमि है। ज्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को सुने ...

चतरा को झारखण्ड या छोटा नागपुर का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। 1857 के विद्रोह के दौरान छोटानागपुर में विद्रोहियों और ब्रिटिशों के बीच लड़ा जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण लड़ाई ‘चतरा की लड़ाई’ थी। चतरा झारखंड राज्य की राजधानी से रांची जिले से करीब 124 किलोमीटर दूर है। चतरा में आप सड़क माध्यम के द्वारा पहुंच सकते है। और क्या क्या घूमने लायक है चतरा ज़िले में , ये जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें।

बिहार राज्य के सारण जिला के परसा प्रखंड से मोबाइल वाणी संवाददाता विकास कुमार ने बताया की परसा प्रखंड क्षेत्र में जल संसाधन को बढ़ावा देने के लिए प्रखंड के चार तालाब का चयन केंद्र सरकार की अमृत सरोवर योजनान के तहत सौन्द्रीकरण के लिए किया गया है। ज़्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें।

माँझी नगर पंचायत क्षेत्र को जल जमाव से मुक्त करके तीन प्रमुख जल संग्रह स्थल को पर्यटन की दृष्टि से रमणीक बनाया जाएगा। यह बातें माँझी नगर पंचायत की मुख्य पार्षद विजया देवी ने शपथ ग्रहण के उपरांत कही। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से माँझी में स्थित जल संग्रह केन्द्रों को लगातार उपेक्षित किया गया है। उन केन्द्रों को नाला के माध्यम से सरयू नदी से जोड़ा जाएगा।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।