बिहार राज्य के किशनगंज जिले के दिघलबैंक प्रखंड में पछुआ हवा का समय आते ही क्षेत्र के लोग अगलगी की आशंका से आशंकित हैं। प्रखंड क्षेत्र के दिघलबैंक थाना परिसर में एक मात्र छोटे वाहन में अग्निशमन यंत्र लगा हुआ है। उस गाड़ी में इतना पानी नहीं है, जिससे बड़ी अगलगी को नियंत्रित कर सके। जिला मुख्यालय से प्रखंड मुख्यालय की दूरी लगभग 35 किलोमीटर है। ऐसे में वहां से दमकल की गाड़ी को पहुंचने में बहुत विलंब होता है।
बिहार राज्य के किशनगंज जिला के दिघलबैंक प्रखंड के लोहागाड़ा पंचायत के बानटोली मलमली सेकेंद्रा धार पर वर्षों से पुल क्षतिग्रस्त है। इसके निर्माण को लेकर कोई भी रुचि नहीं ले रहें हैं। पुल के अभाव में लोहागाड़ा गांव के लोग बरसात के महीने में केले के भूरा (नाव) और बाकी के महीने टूटे फूटे डायवर्सन पर चलने को मजबूर हैं।
बिहार राज्य के किशनगंज जिला से सामुदायिक संवाददाता धीरज सिंहा मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि दिघलबैंक प्रखंड में जंगली हाथियों का झुंड रविवार की रात से एक बार फिर गांव की आबादी वाले इलाके के बीच मक्का खेतों में डेरा जमा डाला है। जिससे ग्रामीणों की फसल को काफी छती हुई है। ग्रामीण मांग कर रहे हैं कि हाथियों को लेकर उचित व्यवस्था किया जाए।
बिहार राज्य के किशनगंज जिला के दिघलबैंक प्रखंड से मुकेश कुमार मोबाईल वाणी के माध्यम से जानना चाहते हैं कि राशन कार्ड में नाम जुड़वाने की क्या प्रक्रिया है ?
दिघलबैंक ब्लॉक चौक टप्पू से सोमनी हाट को जोड़ने वाली प्रधानमंत्री सड़क के कांटाबाड़ी गांव के समीप सालों से पुल क्षतिग्रस्त है। पुल के क्षतिग्रस्त होने के बाद भी इसकी सूधी लेने वाला कोई नहीं है। लोग जान जोखिम में डालकर क्षतिग्रस्त पुल के ऊपर से आवागमन करने को विवश हैं।
दिघलबैंक प्रखंड के अंतर्गत जहां एक तरफ सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है, वहीं दिघलबैंक प्रखंड क्षेत्र अंर्तगत सिंघीमारी पंचायत के सीमांत गांव के लोगों को दशकों बाद भी पक्की सड़क नसीब नहीं हुई है। सीमांत गांव के पलसा, बलवाडांगी, डाकूपाड़ा, बैधनाथ पलसा, मंदिरटोला गांव के लोगों गए पुलों पर रोज चलने को मजबूर और टूटे बिजली के खंबों से बनाये गए पुलों पर रोज चलने को मजबूर होना पर रहा है।
दिघलबैंक प्रखंड के तुलसिया पंचायत में रेलवे द्वारा अधिग्रहित भूमि का उचित मुआवजा राशि नहीं मिलने सहित अन्य मामलों को लेकर तुलसिया पंचायत के सैकड़ों प्रभावितों ने रविवार को सड़क पर उतरकर अपना विरोध प्रकट किया।गांव के दर्जनों लोगों को रेलवे द्वारा अधिग्रहित भूमि से कम भूमि का मुआवजा दिया गया है। यही नही गांव में बारिश के मौसम में हमेशा जलजमाव कि समस्या बनती है ऐसे में सही जगह पर रेलवे पुल नहीं बनाने से समस्या और विकराल हो जाएगी तथा आन वाले बारिश के मौसम में गांव टापू बन जाएगा।
दिघलबैंक प्रखंड मुख्यालय को पूर्वी क्षेत्र से जोड़ने वाले तुलसिया डोम सड़क के बांसवाड़ी गांव के समीप छह वर्ष पूर्व ध्वस्त पुल का निर्माण अब तक नहीं होने से एक बड़ी आबादी की मुश्किलें जस का तस बनी हुई है। नवनिर्मित पुल का निर्माण हो।
दिघलबैंक ब्लॉक चौक टप्पू से सोमनी हाट को जोड़ने वाली प्रधानमंत्री सड़क के कांटाबाड़ी गांव के समीप सालों से पुल क्षतिग्रस्त है। पुल के क्षतिग्रस्त होने के बाद भी इसकी सूधी लेने वाला कोई नहीं है। लोग जान जोखिम में डालकर क्षतिग्रस्त पुल के ऊपर से आवागमन करने को विवश हैं।
दिघलबैंक प्रखंड के तुलसिया से बीबीगंज जाने वाली सड़क में बहादुरगंज विधानसभा अंतर्गत धनगढ़ा पंचायत में मरिया धार पर बना पुल 15 वर्ष पूर्व आई विनाशकारी बाढ़ में ध्वस्त हो गया था। तब से लेकर आज तक यह पुल अपने उद्धारकर्ता का बाट जोह रहा है लेकिन उक्त पुल पर किसी भी जनप्रतिनिधि का ध्यान नहीं गया।