उत्तरप्रदेश राज्य के बरेली जिला से ममता मोबाइल वाणी के माध्यम से ये कहना चाहती है कि उन्होंने नीलिमा की कहानी सुनी जिससे उन्हें बहुत सीख मिली। वह बताती है कि उनके क्षेत्र में भी प्रवासी महिलाओं एवं मजदूरों को जो लॉकडाउन के दौरान वापस आ रहे थे उन्हें रस्ते में बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा जिनमे खास कर महिलाओं एवं लड़कियों को काफी सारी दिक्कतें उठानी पड़ी

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला महोबा से बबली मेरी शक्ति मेरी पंचायत के माध्यम से यह कहती हैं कि उन्हें नीलिमा की कहानी सुनकर बहुत ही अच्छा लगा। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम के माध्यम से यह जानकारी मिली की माहवारी के समय लड़कियों और महिलाओं को अपने पोषण पर पूरा ध्यान देना चाहिए और साथ ही पैड ना होने पर साफ़ सूती कपड़े का इस्तेमाल करना चाहिए। जिससे की वह हर बिमारियों से बच सके। उन्होंने यह भी कहा कि हमें प्रवासी मजदूरों की भी सहायता करनी चाहिए। क्योंकि लॉकडाउन के कारण उनके पास खाने से लेकर स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही हमें उन प्रवासी महिलाओं और लड़कियों की भी सहायता करनी चाहिए जो माहवारी के समय बहुत सी दिक्कतों का सामना करती हैं।

उत्तरप्रदेश राज्य के बरेली जिले से सुधा कुमारी मेरी पंचायत मेरी शक्ति के माध्यम से यह कहती हैं कि इस कार्यक्रम के माध्यम से यह जानकारी मिली की माहवारी के समय लड़कियों और महिलाओं को अपने पोषण पर पूरा ध्यान देना चाहिए और साथ ही माहवारी के समय पैड ना होने पर साफ़ सूती कपड़े का इस्तेमाल करना चाहिए। जिससे की वह हर बिमारियों से बच सके। साथ ही अपने पोषण पर पूरा ध्यान देना चाहिए । जिससे की हम माहवारी से बच भी सकते हैं और किसी भी प्रकार की बीमारी से भी बच सकते हैं। 

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उत्तरप्रदेश राज्य के महोबा जिला से सुमन कुमारी मेरी पंचायत मेरी शक्ति के माध्यम से यह कहती हैं कि कार्यक्रम के माध्यम से दरभंगा वाली लड़की की कहानी सुनी ठीक वैसे ही जब इनके पिता बीमार हुए तो उनको डॉक्टर से दिखाने के लिए बाहर ले गयी। ये लोग नीलिमा की कहानी सुनती रहती है जिससे इनलोगो का हौसला बढ़ता रहता है

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उत्तरप्रदेश राज्य के बरेली जिला के जयपुर मोहल्ला से शबनम मोबाइल के माध्यम से ये बताना चाहती है,की वो नीलिमा की कहानी सुनती हैं।आज हमारे देश में कोरोना की महामारी फैली हुई है,लोग जिससे बहुत परेशान है पर हमें हिम्मत नहीं हारना है,बल्कि उसे दूर करने का सोचना होगा और जो पुरुष अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए कमाने के लिए दूसरे राज्य गए हुए हैं ,और अभी अपने -अपने घर वापस आ रहे है ,तो इसका मतलब ये नहीं कि वो पराये हो गये हों हमें उनका साथ देना चाहिए और उनकी हर तरह से मदद करनी चाहिए।हम सभी को कोरोना माहमारी को दूर भगाना है और दुरी बना कर रहना है।

साथियों, आप सुन रहे हैं जीत गई जिंदगी लेकिन आज एक जिंदगी हर गई और इस हार की वजह शायद इन्सान की वो जरूरत है। जिसे पूरा करने एक सपना हम सब देखते हैं। कोरोना का सबसे ज्यादा असर हमरे देश की प्रगति के पहियों यानी की गरीबों,दिहाड़ी पर काम कर रहे कामगारों पर पड़ा है। पर साथियों यदि आपको किसी भी तरह से अपनी जरूरत पूरी करने में कोई मुश्किल आ रही है तो हम तक जरूर साझा कीजिये अपने फोन में नंबर-3 दबाकर

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