चुनावी रैलियों से कोरोना संक्रमण दूर करने का शोध समाप्त हो गया। प्रजातंत्र में तंत्र को बचाना प्रजा से ज़्यादा ज़रूरी हो गया जबकि मतदान का अधिकार छोड़कर प्रजाओं में कोई सामान्यता नहीं दिखी| कॉम्पनियों में खपने वाले मज़दूर और खपाने वाले पूंजीपतियों में से मज़दूर हमेशा की तरह प्रजातंत्र में प्रजा की ही श्रेणी में नज़र आया आये।

पंचायतीराज के माध्यम से शासन में समाज के अंतिम व्यक्ति की भागीदारी सुनिश्चित होती है जिससे सुदूर ग्रामीण प्रदेशों के नागरिक भी लोकतंत्रात्मक संगठनों में रुचि लेते हैं। आज की कड़ी में हमलोग जानेंगे पंचायतीराज के 73वें संशोधन के बारे में. जिससे पंचायतो को पूर्ण शक्ति मिली. तो आप हमें बताएं कि क्या आप अपनी पंचायत में होने वाले कार्यो के बारे में जानते है या उसकी योजना बनाते समय आपकी राय ली जाती है? साथ ही क्या आप अपनी परेशानी पंचायत के साथ साझा कर पाते है औ क्या आपकी बात वहां सुनी जाती है ? और आपके मुखिया में क्या क्या गुण होने चाहिए ?

आप सभी का बहुत बहुत स्वागत है हमारे नए कार्यक्रम “मेरा मुखिया कैसा हो” में। जहाँ आप अपनी पंचायत से जुड़े मुद्दे और अपने अधिकार के बारे में और अधिक विस्तार से जान पाएंगे .ताकि जब आपके पंचायत का चुनाव आए तो आप सही उम्मीदवार का चयन कर सकें. साथियों , लोकतंत्र का सही अर्थ होता है सार्थक भागीदारी और उद्देश्यपूर्ण जवाबदेही . और इसी भागीदारी और जवाबदेही दोनों को सुनिश्चित करता है जीवंत एवं मज़बूत स्थानीय शासन . सही मायनों में स्थानीय सरकार का अर्थ है, स्थानीय लोगों द्वारा स्थानीय मामलों का प्रबंधन . तो आप हमें बताएं कि क्या आप पंचायत में होने वाले कार्यो के बारे में जानते है ? अपनी पंचायत में होने वाली समस्या के बारे में आपकी भूमिका क्या रहती है ? और स्थानीय शासन या ग्राम पंचायत आम नागरिको को कैसे फायदा पहुंचाता है.

सरकार सिर्फ पूंजीपतियों के लिए ही बानी है। श्रमिक कल भी संघर्ष कर रहे थे और आज भी कर रहे हैं। न्यूनतम वेतन ना मिलना तो अब आम समस्या बन गयी है । श्रमिक संगठन भी कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं। आज भी दिल्ली जैसे शहर में बहुसंख्यक पुरुष और महिलाएं गांव से आकर कार्य करते हैं। क्योंकि उनके पास इसके अलावा और कोई चारा नहीं है