Transcript Unavailable.
नमस्कार मेरा नाम रंजन है। मैं मोबाइल वाणी से बोल रहा हूँ। प्रवासी मजदूर जो काम की तलाश में प्रदेश जाता है। और जब वह वापस अपना गांव आता है। गांव आने के बाद उसे खाद्य सामग्री यानी की राशन तो उसे उपलब्ध हो जाता है। लेकिन आवास और पेंशन का लाभ उसे नहीं मिल पाता है। क्योंकि प्रवासी मजदूरों को यह जानकारी नहीं है की आवास और पेंशन का लाभ कैसे लिया जाए। साथ ही साथ उसे यह भी जानकारी नहीं है की इसके लिए आवेदन कहाँ किया जाता है। तथा इसमें कौन - कौन सा कागजात चाहिए। और इसका आवेदन किस कार्यालय में किया जाता है। जिसके कारण प्रवासी मजदूर इन दो योजनाओं से वंचित रह रहा है।
मनरेगा में भ्रष्टाचार किसी से छुपा हुआ नहीं है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा दलित आदिवासी समुदाय के सरपंचों और प्रधानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि पहले तो उन्हें गांव के दबंगो और ऊंची जाती के लोगों से लड़ना पड़ता है, किसी तरह उनसे पार पा भी जाएं तो फिर उन्हें प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस मसले पर आप क्या सोचते हैं? क्या मनरेगा नागरिकों की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएगी?
अजय कुमार कि रिपोर्ट। बिहार मोबाइल वाणी चंदन सिंह के साथ खास बातचीत अधिक जानकारी हेतु क्लिक करें या डाउनलोड करें।
पहाड़ की तराई का इलाके वाला रक्सौल अनुमंडल क्षेत्र में पिछले एक पखवाड़े से लगातार पड़ने वाले कड़ाके की ठंड से बिहारी मजदूरों के समक्ष रोजगार की समस्या उन्हें बेहाल कर पलायन को मजबूर कर दिया है। शहर में दिहाड़ी मजदूरों को काम न मिलने की स्थिति में वे मुंबई, पंजाब, कश्मीर, लुधियाना, दिल्ली की ओर रोजगार के लिए भारी संख्या में जाने लगे है। इसका खुलासा गुरुवार को हुआ। जब स्थानीय रेलवे स्टेशन पर भारी संख्या में दिहाड़ी मजदूरों को कर्मभूमि एक्सप्रेस ट्रेन जो रक्सौल से मुंबई जाती है पकड़ने जाते पाया गया। उन्होंने बताया की ठंड में यहां कोई काम नहीं मिल रहा है। जॉब कार्ड के बावजूद काम नदारद है। परिवार के समक्ष रोजी रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है। ऐसे में बाहर जाना उनकी मजबूरी है। अनुमंडल के आदापुर श्यामपुर निवासी सुमन भगत व नंदकिशोर ने बताया कि वे लोग मजदूरी काम के लिए मुंबई जा रहे है। शुक्रवार शाम रक्सौल से मुंबई जाने वाली कर्म भूमि एक्सप्रेस ट्रेन में जा रहे दिहाड़ी मजदूरों से जब संवाददाता ने पलायन का कारण जानने का प्रयास किया। तो एक ही जवाब मिला की ठंड में रोजगार की समस्या के कारण बाहर मजदूरी के लिये जा रहे हैं। ठंड में यहां काम नहीं मिल रहा है। तो परिवार का भरण पोषण के लिए बाहर जाना पड़ रहा है। रोजगार की व्यवस्था उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। उनके साथ लगभग एक दर्जन दिहाड़ी मजदूरों का समूह है जो मुंबई के फैक्ट्री में काम करेंगे। उसी प्रकार स्टेशन पर अनुमंडल सहित नेपाल तक के बिभिन्न स्थान से दिहाड़ी मजदूरों को बाहर काम की तलाश मे जाते पाया गया।
Transcript Unavailable.
Transcript Unavailable.
Transcript Unavailable.
Transcript Unavailable.
दोस्तों, यह व्यवस्था बायोमैट्रिक सिस्टम पर आधारित है. इससे राशन कार्ड धारक की पहचान उसकी आंख और हाथ के अंगूठे से होती है. इस योजना से देशभर के 32 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश जुड़ चुके हैं. अगर कोई राशन कार्ड धारक दूसरे शहर जा रहा है तो वह 'मेरा राशन ऐप' पर खुद रजिस्टर कर के जानकारी दे सकता है. रजिस्ट्रेशन करने बाद उसे वहीं राशन मिल जाएगा. इसके साथ ही प्रवासी लाभार्थियों को इस ऐप के जरिए पता करना आसान होगा कि उनके आसपास पीडीएस के तहत संचालित राशन की कितनी दुकानें हैं. कौन सी दुकान उनके सबसे ज्यादा करीब है, यह भी आसानी से पता लगाया जा सकता है. दोस्तों, अगर आप कार्ड बनवा चुके हैं तो क्या आपको समय पर राशन मिल रहा है? और क्या आपको एक देश एक राशन कार्ड योजना के बारे में जानकारी थी? अपनी बात हम तक जरूर पहुंचाएं. अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.