"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विशेषज्ञ श्री जिव दास साहू मटर के फसल में लगने वाली बीमारियां एवं उपचार से जुड़ी जानकारी दे रहे हैं। पूरी जानकारी विस्तार से सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.
एड्स इस नाम से हम सभी भली भांति परिचित हैं इसका पूरा नाम है 'एक्वायर्ड इम्यूलनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम ' यह एक तरह का वायरस है जिसे एचआईवी के नाम से भी जाना जाता है।यह एक जानलेवा बीमारी है लेकिन आज भी लोगों में एड्स को लेकर सतर्कता नहीं है।साथ ही इसे समाज में भेदभाव की भावना से देखा जाता है। एड्स के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। दोस्तों , हम सभी को एड्स को लेकर सतर्क रहना है ,साथ ही लोगों में सर्तकता लाने की भी ज़रुरत है।साथियों, एड्स का उपचार भेदभाव नहीं बल्कि प्यार है। आइये हम सभी मिलकर विश्व एड्स दिवस मनाए और लोगों में एड्स के प्रति अलख जगाए। सतर्क रहें,सुरक्षित रहें
सारण जिले से अजय कुमार की रिपोर्ट खबरें स्वास्थ्य विभाग से =छपराफाइलेरिया उन्मूलन को लेकर हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर पेशेंट सपोर्ट प्लेटफार्म का गठन • मुखिया सरपंच और अन्य जनप्रतिनिधियों की भूमिका होगी अहम • पेशेंट सपोर्ट प्लेटफार्म गठन सीफार संस्था कर रही है टेक्निकल सपोर्ट • फाइलेरिया के मरीजों के अधिकार और बचाव के प्रति करेंगे जागरूक छपरा। जिले में फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा विभिन्न स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। अब फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर जिले में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर स्तर पर पेशेंट सपोर्ट प्लेटफार्म का गठन किया जा रहा है। रिविलगंज प्रखंड के इनई स्थित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर फाइलेरिया के मरीजों के अधिकारों के प्रति तथा बीमारी के इलाज के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से पेशेंट सपोर्ट प्लेटफार्म बनाया गया है। इसका उद्देश्य फाइलेरिया के मरीजों के अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाना और बीमारी के इलाज के बारे में लोगों को जानकारी प्रदान करना है। इस पहल में सीफार संस्था द्वारा टेक्निकल सपोर्ट दिया जा रहा है। फाइलेरिया उन्मूलन के इस अभियान में मुखिया, सरपंच और अन्य जनप्रतिनिधियों की भूमिका अहम होगी। वे स्थानीय स्तर पर जागरूकता फैलाने में मदद करेंगे और मरीजों के अधिकारों तथा बचाव के उपायों के बारे में लोगों को जागरूक करेंगे। इस पहल के माध्यम से, फाइलेरिया के मरीजों को उपचार, सही जानकारी और सहायता मिल सकेगी, जिससे बीमारी के प्रसार को रोका जा सके और स्वास्थ्य सुरक्षा में सुधार हो सके। वहीं इस दौरान 12 फाइलेरिया के मरीजों के बीच एमएमडीपी कीट का वितरण किया गया। पेशेंट सपोर्ट प्लेटफार्म में जनप्रतिनिधियों की भूमिका महत्वपूर्ण: इनई हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर सीएचओ दीपक जाट और वीबीडीएस घनश्याम यादव की अध्यक्षता में पीएसपी का गठन किया गया है। इस पहल में हितधारकों के रूप में स्थानीय जनप्रतिनिधियों, जैसे कि मुखिया, सरपंच, वार्ड सदस्य, जीविका कार्यकर्ता, किसान सलाहकार, ग्रामीण चिकित्सक, फाइलेरिया मरीजों की भूमिका अहम होगी। पीएसपी में स्थानीय सरपंच चन्द किशोर सिंह, जीविका के पिंटू कुमार, विकास मित्र प्रभावती देवी, ग्रामीण चिकित्सक ध्रुवशर्मा, स्थानीय आंगनवाड़ी सेविका, आशा कार्यकर्ता और एएनएम को शामिल किया गया है। सभी ने इस पहल के महत्व को समझा और नाइट ब्लड सर्वे एवं आईडीए राउंड में सहयोग देने का संकल्प लिया, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग फाइलेरिया उन्मूलन अभियान में शामिल हो सकें और दवाओं का सेवन कर सकें। फाइलेरिया रोगी खुद पेशेंट सपोर्ट प्लेटफार्म के रूप में एक समूह बनाकर गांव- गांव जाकर आम लोगों को फाइलेरिया बीमारी के बारे में अपने अनुभवों के आधार पर जागरूक करेंगे। रोगियों को स्वास्थ्यकर्मियों और जन-समुदाय से जोड़ना पीएसपी का उद्देश्य: सीएचओ दीपक जाट ने कहा कि पेशेंट सपोर्ट प्लेटफार्म का उद्देश्य फाइलेरिया के रोगियों के साथ स्वास्थ्यकर्मियों और जन-समुदाय को जोड़ने का प्रयास किया जायेगा। पीएसपी के माध्यम से फाइलेरिया से बचाव के प्रति जागरूकता और प्रचार-प्रसार करने तथा लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी। प्रत्येक माह पीएसपी का बैठक किया जायेगा। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर फाइलेरिया मरीज, आशा, एएनएम, जीविका समूह के सदस्य, वार्ड, विकास मित्र, सरपंच और ग्रामीण चिकित्सक के सहयोग से पीएसपी बनाया गया है। इस मौके पर सीएचओ दीपक जाट, वीबीडीएस घनश्याम चादव, सीफार के प्रोग्राम एसोसिएट कृष्णा सिंह, स्थानीय सरपंच चन्द किशोर सिंह, जीविका के पिंटू कुमार, विकास मित्र प्रभावती देवी, ग्रामीण चिकित्सक ध्रुवशर्मा, स्थानीय आंगनवाड़ी सेविका शोभा देवी एवं , आशा कार्यकर्ता और एएनएम मौजूद थी।
यह कार्यक्रम बताता है कि कैसे अनियमित बारिश, सूखा और बाढ़ किसानों की आजीविका, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य और समग्र जीवन गुणवत्ता को प्रभावित कर रहे हैं। यह श्रोताओं को अपने अनुभव साझा करने और समाधान सुझाने के लिए आमंत्रित करता है, जिससे जागरूकता बढ़ाने और सामुदायिक समर्थन को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जाता है।
पानी में आर्सेनिक, लोह तत्व और दूसरे घातक पदार्थों की मात्रा महिलाओं के स्वास्थ्य पर सबसे बुरा असर कर रही है और फिर यही असर गर्भपात, समय से पहले बच्चे का जन्म या फिर कुपोषण के रूप में सामने आ रहा है. साथियों, हमें बताएं कि आपके परिवार में अगर कोई गर्भवति महिला या नवजात शिशु या फिर छोटे बच्चे हैं तो उन्हें पीने का पानी देने से पहले किस प्रकार साफ करते हैं? अगर डॉक्टर कहते हैं कि बच्चों और महिलाओं को पीने का साफ पानी दें, तो आप उसकी व्यवस्था कैसे कर रहे हैं? क्या आंगनबाडी केन्द्र, एएनएम और आशा कार्यकर्ता आपको साफ पानी का महत्व बताती हैं? और ये भी बताएं कि आप अपने घर में किस माध्यम से पानी लाते हैं यानि बोरवेल, चापाकल या कुएं और तालाबों से?
साथियों, आपके यहां पानी के प्रदूषण की जांच कैसे होती है? यानि क्या सरकार ने इसके लिए पंचायत या प्रखंड स्तर पर कोई व्यवस्था की है? अगर आपके क्षेत्र में पानी प्रदूषित है तो प्रशासन ने स्थानीय जनता के लिए क्या किया? जैसे पाइप लाइन बिछाना, पानी साफ करने के लिए दवाओं का वितरण या फिर पानी के टैंकर की सुविधा दी गई? अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो आप कैसे पीने के पानी की सफाई करते हैं? क्या पानी उबालकर पी रहे हैं या फिर उसे साफ करने का कोई और तरीका है? पानी प्रदूषित होने से आपको और परिवार को किस किस तरह की दिक्कतें आ रही हैं?
लू लगने के लक्षण और घरेलू उपचार के साथ साथ सावधानियां और बचाव के तरीके, डॉक्टरी सलाह के साथ गर्मी से निपटने की तैयारियां। क्या आपने भीषण गर्मी यानी लू लगने के ऐसे लक्षण खुद में या अपने परिवार, दोस्त या पड़ोसी में देखे हैं? अगर हाँ, तो आपने या उन्होंने ऐसे में क्या कदम उठाए? भीषण गर्मी से जुड़ी और किस तरह की जानकारी आप सुनना चाहेंगे?
सारण जिले से अजय कुमार की रिपोर्ट।कैंसर की बीमारी अब लाइलाज बीमारी नहीं है। लेकिन इसका सही समय पर जानकारी होने के साथ ही शुरुआती दौर में इसकी लक्षणों पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि वर्तमान समय के युवाओं में पान, गुटखा या पान मसाला खाने के कारण पुरुषों में मुंह के कैंसर के अत्यधिक मामले सामने आ रहे हैं। वहीं महिलाओं में इन दिनों स्तन कैंसर प्रमुख कारण बन रहा है। इसके लिए जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों की आशा, विद्यालय के शिक्षकों , सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) और एएनएम के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की स्वीकारोकती के बाद सवाल उठता है, कि भारत की जांच एजेंसियां क्या कर रही थीं? इतनी जल्दबाजी मंजूरी देने के क्या कारण था, क्या उन्होंने किसी दवाब का सामना करना पड़ रहा था, या फिर केवल भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। जिसके लिए फार्मा कंपनियां अक्सर कटघरे में रहती हैं? मसला केवल कोविशील्ड का नहीं है, फार्मा कंपनियों को लेकर अक्सर शिकायतें आती रहती हैं, उसके बाद भी जांच एजेंसियां कोई ठोस कारवाई क्यों नहीं करती हैं?
गुंजन कुमारी दनियावां से मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं की चमकी बुखार बहुत खतरनाक बीमारी है अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें और पूरी जानकारी सुनें