दिल्ली के रहने वाले राजेश कुमार पाठक।जिनकी उम्र उनचास साल की है।मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते हैं कि यह पुरानी परम्परा है किसी का मजाक बनाना।लोग दूसरों को उनके शारीरिक बनावट के हिसाब से मजाक बनाते हैं।कई लोग किसी के अधिक पढ़ने पर भी सवाल उठाते हैं।लोग अगर बेरोजगार है तो उनपर भी सवाल उठाते है।

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विशेषज्ञ श्री जीबदास साहू आम की अच्छी उपज के बारे में जानकारी दे रहे हैं। पूरी जानकारी विस्तार से सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.

नमस्कार, आदाब दोस्तों ! स्वागत है आपका मोबाइल वाणी और माय कहानी की खास पेशकश कार्यक्रम भावनाओं का भवर में। साथियों हम सभी 21 वीं सदी में जी रहे हैं और आज के इस चकाचौंध भरी दुनिया में सादगी के बजाय दिखावा, तुलनात्मकता और भेदभाव ज्यादा देखने को मिलती है। और यह भेदभाव लगभग सभी क्षेत्र में देखने को मिलती है , चाहे रूप रंग हो या रहन सहन, अब न चाहते हुए भी एक दूसरे से तुलना करने ही लगते है। पर दोस्तों यह भी सच है कि आज के समय में लोगों के ऐसे तुलनात्मक सोच और बातों को एक तरफ रख कर आगे बढ़ने की जरुरत है. वो कहते है न , कुछ तो लोग कहेंगे , लोगों का काम है कहना ! तो चलिए आज की कड़ी में जानते है कि हम सभी के लिए कितना जरुरी है खुद को और अपने आसपास के लोगो को उनके बास्तविक रूप में ही स्वीकार करना . और अगर ऐसा न हुआ तो हमारे मानसिक स्वस्थ्य पर उसका क्या प्रभाव पड़ सकता है। आखिरकार मानसिक विकार किसी की गलती नहीं इसलिए इससे जूझने से बेहतर है इससे जुड़ी पहलुओं को समझना और समाधान ढूंढना। तो चलिए, सुनते है आज की कड़ी।.....साथियों, अभी आपने सुना कि हम जिस रूप में हैं हमें खुद को और अपने आस पास के लोगों को अपने वास्तविक रूप में ही स्वीकार करना चाहिए। आप हमें बताएं कि आखिर ऐसा क्यों होता है कि आज के समय में अक्सर लोग दूसरों को निचा दिखाने की कोशिश करते हैं बिना इसकी परवाह किये की उनके मानसिक स्वास्थ्य पर इस बात का क्या असर पड़ेगा ? आपके अनुसार इस तरह के भेदभाव को हमारे सोच और समाज से कैसे मिटाया जा सकता है ? दोस्तों इस से जुड़ी आपके मन में अगर कोई सवाल है तो जरूर रिकॉर्ड करे. अपने फ़ोन में नंबर 3 दबाकर। हम आपके सवाल का जवाब तलाशने की पूरी कोशिश करेंगे। साथ ही इसी तरह की और भी जानकारी सुनने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें https://www.youtube.com/@mykahaani

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"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विशेषज्ञ श्री जीबदास साहू आम के फल नहीं आने का कारण और उसके उपचार के बारे में जानकारी दे रहे हैं। पूरी जानकारी विस्तार से सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.

नमस्कार, आदाब दोस्तों ! स्वागत है आपका मोबाइल वाणी और माय कहानी की खास पेशकश कार्यक्रम भावनाओं का भवर में।दोस्तों समस्त मानव जगत को कुदरत ने बनाई है। और यह कुदरत का करिश्मा ही है की दुनिया का हर इंसान किसी न किसी तरह से एक दूसरे से अलग है , चाहे वो शारीरिक तरीके से हो या मानसिक तरीके से। इन्ही में से कुछ लोग बेहद खास भी होते है, किसी न किसी हुनर से सराबोर। पर इसका मतलब यह नहीं होता है कि जिन में गगन चुम्बी प्रतिभा नहीं है वो बेकार है या किसी के लिए कोई मायने नहीं रखते है। लोग अपनी खुद की पहचान को ताख पर रख कर दूसरे का जीवन जीना चाहते है पर भूल जाते है की हम जिन्हें खास समझते है कई बार उनकी जीवन भी काफी चुनौतीपूर्ण होती है। तो चलिए , आज क कड़ी में बात करते है की क्यों हमें खुद को और अपने आसपास के लोगो को उनके बास्तविक रूप में ही स्वीकार करना चाहिए और अगर ऐसा न हुआ तो हमारे मानसिक स्वस्थ्य और उसका क्या प्रभाव पड़ता है। आखिरकार मानसिक विकार किसी की गलती नहीं इसलिए इससे जूझने से बेहतर है इससे जुड़ी पहलुओं को समझना और समाधान ढूंढना। तो चलिए, सुनते है आज की कड़ी।....... साथियों, ऐसा देखने को मिलता है कि आज के पढ़े लिखे और सभ्य समाज में भी शारीरिक और मानसिक रूप से असामान्य लोगों को अलग दृष्टि से देखा जाता है आखिर इस तरह के लोगों के व्यवहार के पीछे क्या कारण हैं ? आपको को क्या लगता है ऐसा क्यों होता है कि समाज में एक सामान्य व्यक्ति अपने से अलग लोगों को स्वीकार नहीं कर पाता ? आपके अनुसार समाज में फैले इस तरह की भेदभाव की भावना को कैसे दूर किया जा सकता है ? दोस्तों, आपके मन में आज के विषय से जुड़ा कोई भी सवाल है तो जरूर रिकॉर्ड करें अपने फ़ोन में नंबर 3 दबाकर। हम आपके सवाल का जवाब ढूंढ कर आप तक पहुंचाने की पूरी कोशिश करेंगे। साथ ही इसी तरह की और भी जानकारी सुनने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें https://www.youtube.com/@mykahaani