बिहार राज्य के गिद्धौर जिला से संवाददाता भीम राज ने मोबाइल वाणी के माध्यम से कहा कि हमारे भारत देश के सभी राज्यों से गोरैया पक्षी अब विलुप्त हो रही है। उसकी वजह है हम जैसे आम इंसान। संवाददाता ने कहा कि जिस तरह से हम जैसे आम इंसान स्वच्छ भारत अभियान की बात करते हैं। क्या उसे हम अपना रहे हैं ? नहीं। क्योंकि स्वच्छ भारत अभियान तो सरकार द्वारा चलाई गई योजना तो बस दिखावे के लिए बनी है। संवाददाता ने कहा कि जिस तरह से वायु प्रदुषण, मोबाइल टॉवर के रेडिएशन से, गाड़ी के धुंवे से गोरैया पक्षी तो मर ही रही है। साथ ही और भी अनेकों पक्षियाँ इन प्रदूषणो का शिकार बन रही है । संवाददाता ने कहा कि गोरैया को बस हम अपने मोबाइल के वॉलपेपर में रख कर उसे देख सकते हैं। भीम राज ने यह भी कहा कि हमारी सरकार ने जिस तरह से 20 मार्च 2016 को विश्व गोरैया दिवस का नीव रखा वह भी दिखावे के लिए रखा गया। इन गोरैयों और अन्य पक्षियों की मौत की वजह तो हम लोग ही है।

बिहार राज्य के गिद्धौर जिला से संवाददाता रंजन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से कहा कि हमारे समाज में सभ्यता और असभ्यता सबसे बड़ी चीज है। रंजन ने कहा कि आज के समय में सभ्य समाज के लोग अपने से बड़ो का आदर करते है और साथ ही साथ असभ्य समाज के लोग बड़े तो बड़े छोटो का भी आदर नहीं करते है। हमरे देश में होली को प्रेम और भाई चारगी का प्रतिक माना जाता है। संवाददाता ने कहा कि पहले के समय में हमारे समाज में लोग फाल्गुन माह में गीत संगीत और भाई चारगी के साथ होली मनाते थे। पहले के समय में होली में लोग एक गाँव से दूसरे गाँव में जाकर गीत संगीत का कार्यक्रम रखते थे। लेकिन अभी के समय में कुछ लोगो ने इस होली को हुड़दंग बना कर रख दिया है। संवाददाता ने कहा कि अभी के समय में लोग होली नशीले पदार्थ का सेवन और कपड़े फाड़ने का रीति रिवाज बना दिया गया है। इस कारण से समाज में तनाव उत्पन होना शुरू होने लगता है और होली के सरे मजे को किरकिरा कर देता है। संवाददाता ने कहा कि आज के समाज में यह भी देखा जा रहा है कि हमारे समाज के कुछ लोग होली की सभ्यता को भूल कर असभ्यता का इस्तेमाल कर रहे है और गीत संगीत के जगह अभद्र संगीत का प्रयोग कर रहे है। यह ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में देखने को मिल रहा है।ऐसा न हो की आने वाले समय में यह सब चीज धीरे धीरे विलुप्त हो जाए।

बिहार राज्य के गिद्धौर जिला से रंजन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से कहा कि आज कल मनुष्य अपने जीवन में भाग दौड़ की जिंदगी जीने के लिए मजबूर है। सुबह होते ही मनुष्य अपने काम के भाग दौड़ की जिंदगी में लग जाता है। हमारे संवाददाता ने कहा कि सुबह होते ही मनुष्य खेती करना, अखबार बेचना इत्यादि जैसे कामों में लग जाते है। मनुष्य अपने जीवन में भाग दौड़ वाली जिंदगी में बस काम पर ही ध्यान देता है। जैसे मानो मनुष्य एक काम करने वाली मशीन के समान लगने लगी है। जिस तरह मशीन बिना थके अपना काम करता रहता है ठीक उसी प्रकार मनुष्य भी अपनी जिंदगी को भी मशीन के समान कर चूका है। संवाददाता यह भी कहते है कि मनुष्य जब थकना शुरू हो जाता है, तब वह अपने शरीर को आराम देने के लिए जगह को खोजता है। लेकिन मनुष्यों को यह मालूम नहीं है कि इसका असर उनके शरीर पर कितना नुकसान करता जा रहा है। संवाददाता ने कहा कि बड़े आदमी बनने के चक्कर में वह अपने परिवार को और अपने आप को भी भूल जाता है। क्योकि वह पैसे कमाने के पीछे भाग रहा है।

बिहार राज्य के गिद्धौर जिला से संवाददाता रंजन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से कहा कि हमारे समाज में होली की परंपरा आज भी जीवित है। संवाददाता ने बताया की जिस दिन होलिका दहन होता है, तो हमारे आस-पास के लोग बूढ़े, बच्चे और जवान लोग अपने घरों से होलिका दहन को देखने के लिए आते है और इसके चारो तरफ गोल-गोल घूमते है। उसके बाद अपनी हर बुराईयों को दूर भागने के लिए प्राथना करते है। ठीक उसके दुसरे दिन होली खेलना सुरु कर देते है। संवाददाता कहते है कि पहले के समय में ग्रामीण के युवा और बुजुर्ग लोग ढोल और झाल लेकर पवित्र स्थान पर बैठ कर होली गीत संगीत का आयोजन करते थे। पहले के समय में ग्रामीण इलाकों में जब होली का गीत संगीत का आयोजन किया जाता था तो उस समय एक युवा महंत का भी चुनाव होता था। साथ ही यह भी परंपरा थी की उस युवा महंत को होली में अपने घर पर बुलाते थे। आज भी कुछ ऐसे जगह है जहाँ पर यह परंपरा कायम है। संवाददाता ने यह भी कहा कि सुबह होते ही अपने अपने समाज के लोग ढोल झाल लेकर सभी अपने समाज के घरों में जाते है और होली खेलने के साथ साथ गीत संगीत का भी आयोजन किया जाता है। साथ ही होलिका दहन की राख से होली खेलते है। जिसे धुरखेल के नाम से जाना जाता है। संवाददाता ने यह भी कहा कि शाम होते ही बच्चे और युवा हाथों में गुलाल लेकर अपने माँ बाप को पैरों में गुलाल लगाकर आशीर्वाद लेते है।

बिहार राज्य के गिद्धौर जिला से संवाददाता भीम राज ने मोबाइल वाणी के माध्यम से सभी लोगो को यह सुचना देते हुए कहा कि जिस तरह से हम पानी का इस्तेमाल बेकार चीजों में कर रहे है। आने वाले समय में हमारी पीढ़ी पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसेगी। संवाददाता ने कहा कि अगर हम जरुरत के अनुसार पानी का इस्तेमाल करें तो जो हो रहे पानी की बर्बादी को रोक सकते हैं। संवाददाता ने यह भी कहा कि विश्व में कुछ ऐसे देश है जहाँ पर लोग पानी के लिए तरसते रहते है और पानी को खरीदने के लिए मजबुर हो जाते है। संवाददाता ने कहा कि बिहार के कुछ ऐसे जिले है जहाँ पर गंदे पानी पिने को लोग मजबूर है तथा आये दिन बिमारियों का सामना करना पड़ रहा है। लोग यह नहीं सोचते की पानी हमारे जीवन में कितना महत्वपूर्ण है। लेकिन फिर भी इस बात को न समझते हुए पानी की बर्बादी करने लगते है।

बिहार राज्य के गिद्धौर जिला से संवाददाता रंजन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से निकिता दीदी से साक्षात्कार करते हुए पूछा गया कि मालवीय समाज में किस प्रकार से होली मनाई जाती है ? निकिता दीदी ने कहा कि हमारे मालवीय समाज में लोग होली के उत्सव को मनाने का तरीका अलग कर लिया है। दीदी ने कहा कि हमारे समाज में लोग होली को प्रेम पूर्वक मनाने की जगह शराब पी कर हुड़दंग करना, किसी के साथ जबरदस्ती करना और मारपीट करना जैसे होली को बिगाड़ रहे है। दीदी ने यह भी कहा कि हमारे समाज में भाईचारगी खत्म हो रही है। साथ ही बेरोजगारी होने तथा महंगाई होने की वजह से होली का रंग फीका पड़ता जा रहा है। दीदी ने कहा कि पहले के समय में लोग होली को बड़े धूम धाम से मनाते थे और कोई भी गलत नशीला पदार्थ का सेवन नहीं करते थे।साथ ही भाईचारगी का भी संदेश देते थे।

बिहार राज्य के नालंदा जिला से संवाददाता रंजन कुमार ने मोबाइल वाणी के माध्यम से कहा कि आज कल पुरे भारत देश में हम महिलाओं को देवी का रूप मानते है। लेकिन क्या हम उस देवी को इज्जत भरी निगाहों से देख रहे है ? नहीं। क्योंकि हर समाचारों में, अखबारों में बस यही सुनते है की महिलाओं के साथ या फिर किसी बच्चियों के साथ बलात्कार हुआ है। मोदी सरकार के कानून बनने के बाद भी लोग खुले आम महिला या फिर छोटी बच्चियों को अपने हवस का शिकार बना रहें हैं। जैसे - जैसे साल बीत रहें है, उसी प्रकार बलात्कार का सिलसिला बढ़ता जा रहा है। संवाददाता ने कहा कि अब तो घरों में भी बलात्कार की खबर मिलते रहती है। जिस कारण से महिला और छोटी छोटी बच्चियां बाहर तो बाहर घरों में भी अपने आप को सुरक्षित महसुस नहीं कर पा रहीं है। अगर ऐसा चलता रहा तो आने वाले समय में इसे रोकना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा।

बिहार राज्य के गिद्धौर जिला से संवाददाता रंजन कुमार ने सूरज कुमार से मोबाइल वाणी के माध्यम से साक्षात्कार किया। सूरज कुमार ने कहा कि पहले के समय में महिलाओं को सम्मान के नाम पर कुछ भी नहीं मिलता था। उस समय महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया जाता था। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं को किसी भी प्रकार की आजादी नहीं थी और न ही शिक्षित थी।जब संवाददाता ने पूछा कि सरकार के द्वारा महिलाओं को अभी क्या लाभ मिल रहा है ? तब उन्होंने कहा कि महिलाएं अपने ऊपर हो रहे अत्याचार से लड़कर शिक्षित हो रही है। शिक्षित होने के साथ ही महिलाएं सरकार द्वारा रोजगार योजना का लाभ भी उठा रही है और अपने देश का नाम रौशन कर रही है।

बिहार राज्य के जमुई जिला गिद्धौर प्रखंड से रंजन मोबाइल वाणी के द्वारा कहते हैं की हमारे देश में कब होगा श्रमिकों का सम्मान।अगर हर क्षेत्र में मनरेगा का कार्य बिना किसी घोटाले और नियम के साथ योजना का पालन हो तो मजदुरों को कम वेतन में भी दुसरे राज्यों में काम करने के लिए पलायन नहीं करना पड़ेगा।इस योजना का उद्देश्य ही था मजदुरों के पलायन को रोकना।लेकिन बहुत ही दुर्भाग्य की बात है की इन योजनाओं के तहत होने वाले कार्यों में मजदुरों को नहीं लगाया जाता है।कार्यों को मशीनों के द्वारा करा दिया जाता है।मजदुरों के लिए लेबर कार्ड तो बन जाता है पर उसे मजदुरों को नहीं दिया जाता है।मुखिया और वार्ड पार्षद अपने पास लेबर कार्ड रखते है और लेबर कार्ड को भर कर खुद ही योजना का लाभ ले लिया करते हैं।इस फर्जीवाड़े में सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों की भी पुरी सहभागिता होती है।इस योजना में बड़े पैमाने पर घोटाला किया जा रहा है।इसके बाद भी सरकार इसके प्रति उदासीन है अगर सरकार इसके तरफ रुख करती तो मजदुरों को विवशता में पलायन नहीं करती

बिहार राज्य के जमुई जिला गिद्धौर प्रखंड से भीम राज गिद्धौर मोबाइल वाणी के द्वारा कहते हैं की सुबे भर में 8 मार्च से 22 मार्च तक कुपोषण दूर करने के लिए पोषण पखवारा मनाया जाएगा। श्रेयसी सिंह सद्भावना दूत के रूप में लोगों को जागरूक करेगी। इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए विभिन्न विभागों को लगाया गया। जिसमे आंगनबाड़ी केंद्र, शिक्षा विभाग, ग्रामीण विकास, जीविका, महादलित विकास मिशन, पी एच ई डी आदि से समन्वय स्थापित कर सभी स्तर पर कुपोषण पखवारा की गतिविधियों का आयोजन सुनिश्चित कराया जाएगा।