जाति आधारित गणना के दूसरे चरण की तैयारी शुरू हो गयी है। अप्रैल के दूसरे सप्ताह से शुरुआत होने की संभावना है। हालांकि अभी इसके लिए कोई तारीख तय नहीं है। दूसरे चरण की गणना के अंतर्गत पहले चरण में चिह्नित किए गए सभी घरों और परिवारों की जाति के अलावा आर्थिक और सामाजिक स्थिति का भी जायजा लिया जाएगा। इसके लिए लोगों से करीब दो दर्जन प्रश्न पूछकर एक निर्धारित फॉर्मेट में भरे जायेंगे। ये सभी जानकारियां ऑनलाइन भी अपलोड की जाएंगी। ताकि आम लोग भी इसे देख सकें। दूसरे चरण के गणना कार्य के लिए 13 करोड़ से अधिक फॉर्म को छपवाने की योजना है। दो दर्जन से अधिक प्रश्नों वाले फॉर्मेट को सरकार के स्तर पर अंतिम रूप दिया जा रहा है। पहले चरण की गणना के बाद प्राप्त आंकड़ों को 9 फरवरी से वेबसाइट पर अपलोड करने का सिलसिला शुरू होगा। ये आंकड़े प्रगणक खंड या ब्लॉक के आधार पर दर्ज किए जाएंगे। यानी एक प्रगणक ने जिस क्षेत्र में मकान और परिवार को गिनने का कार्य किया है, उनके क्षेत्र या नजरी नक्शा के आधार पर दिये इलाके के आधार पर आंकड़ों को अपलोड किया जाएगा। इस तरह से डाटा अपलोड करने के कार्य को बिना किसी त्रुटि के करने के लिए आईटी प्रबंधकों से लेकर डाटा इंट्री ऑपरेटरों तक को ट्रेनिंग दी जा रही है। इस बाबत सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव ने सभी जिलों के डीएम को खासतौर से पत्र लिखा है। इसमें ट्रेनिंग से लेकर इस कार्य को सही तरीके से करने को लेकर दिशा-निर्देश दिए गये हैं। आईटी प्रबंधकों का 4 फरवरी को एक दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण हुआ। 5 एवं 6 फरवरी को आईटी प्रबंधक और डाटा इंट्री ऑपरेटरों का दो दिवसीय प्रशिक्षण एवं पोर्टल पर इंट्री का अभ्यास होगा। 8 फरवरी को प्रशिक्षण के बाद फीडबैक के आधार पर पोर्टल में जरूरी संशोधन होंगे। 9 फरवरी को पोर्टल पर लोकेशन मास्टर के आयात की कार्रवाई होगी। 9 फरवरी से पोर्टल पर डाटा इंट्री ऑपरेटर का कार्य शुरू होने के साथ ही डाटा अपलोड करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। सभी आंकड़ों को अपलोड करने के बाद इनका प्रिंट ऑउट निकाला जाएगा। इसका मिलान अपने-अपने क्षेत्र के चार्ज अधिकारी उपलब्ध आंकड़े से करेंगे। कोई गड़बड़ी होने पर इनमें सुधार किया जाएगा। सभी तरह से आंकड़े का मिलान करने के बाद ही इसे वेबसाइट पर अंतिम रूप से जारी किया जाएगा। इस कार्य की निगरानी मुख्यालय स्तर पर की जाएगी।