‘मोरल बूस्टिंग थेरेपी' से ठीक हो रहे कोरोना के मरीज • सकारात्मक भावों से विकसित होती है एंटी बॉडी • मल्टिपल डिजीज वाले कोरोना संक्रमित हो रहे ठीक सीतामढ़ी। 17 जून: दुनिया अभी कोरोना की दवा बनाने में जुटी है, लेकिन अपने गांव-कस्बे के डॉक्टर दो कदम आगे बढ़ चुके हैं। हौसला बढ़ाकर गंभीर रोगों से पीड़ित कोरोना के मरीजों को ठीक कर रहे हैं। सीतामढ़ी कोविड केयर सेंटर के इंचार्ज डॉ एसपी झा और उनकी टीम के प्रयासों से यह मुमकिन हो रहा है। सकारात्मक भावों से विकसित होता है एंटी बॉडी : डॉ. एसपी झा का कहना है कि केवल मरीजों के साथ अपनापन का भाव प्रकट कर दीजिए, उनकी आधी बीमारी दूर हो जाती है। ऐसा व्यवहार कोरोना के मरीजों के लिए रामबाण औषधि का काम करता है। उन्होंने अपने प्रयासों से ऐसा साबित कर दिखाया है। मल्टीपल डिजीज से पीड़ित कोरोना के मरीज उनके सेंटर से ठीक होकर घर लौटे हैं। केस-1: परिहार से एक 46 वर्ष का कोरोना संक्रमित व्यक्ति सीतामढ़ी कोविड केयर सेंटर पर भर्ती कराया गया। वह डायबिटीज का बहुत पुराना मरीज था। ब्लड प्रेशर भी था। स्थिति गंभीर थी। डॉ एसपी झा ने बताया कि हमने मरीज का इलाज और उसकी देखभाल तत्परता से की। मरीज को बताया कि आपके मुहल्ले के कई लोग हमारे अच्छे दोस्त हैं। आप घबराइए नहीं, हम जल्द आपको ठीक कर के घर भेजेंगे। मरीज की स्थिति में धीरे- धीरे सुधार होने लगा। 18 दिनों की मेहनत के बाद वह पूरी तरह ठीक हो गया। केस- 2: सीतामढ़ी की एक कोरोना संक्रमित महिला की कोख में एक नन्ही जान पल रही थी। खतरा दोगुना था। चिन्ता और तनाव से बच्चे की सेहत पर असर पड़ता। डॉ. एसपी झा ने महिला का हौसला बढ़ाया। इसमें डॉ पूनम और डॉ. निकेता का बेहतर सहयोग मिला। उनकी टीम ने मरीज की देखभाल शुरू की। अपनत्व का भाव इलाज में बड़ा फैक्टर बनकर उभरा। अपेक्षा से अधिक बेहतर परिणाम मिले। महिला स्वस्थ होकर घर जा चुकी है। ये सिर्फ बानगी भर हैं। डॉ एसपी झा के अनुसार कोरोना को मात देने में समाज भी सकारात्मकता संजीवनी बन सकती है। सोशल डिस्टेंसिंग ज़रूर रखें, लेकिन दिल में दूरी न बनने दें।