आपके अनुसार महिलाओं को एक मंनोरंजन या लेनदेन के सामान जैसा देखने की मानसिकता के पीछे का कारण क्या है ? आपके अनुसार महिलाओं को एक सुरक्षित समाज देने के लिए क्या किया जा सकता है ? और किसी तरह के बदसलूकी के स्थिति में हमें उनका साथ किस तरह से देना चाहिए ?
यौन उत्पीड़न हमारे समाज की एक बड़ी समस्या है और बहुत से लोग इसका शिकार भी हो जाते हैं . हम समझते है की केवल साबधानी बरतने से ही ऐसे परिस्थितिओं को हमेशा नहीं टाला जा सकता है बल्कि सामाजिक बदलाव से ही इस समस्या को जड़ से ख़तम किया जा सकता है। ऐसे में , आप को क्या लगता है की किस तरह का बदलाव हमारे समाज को एक सुरक्षित और बेहतर समाज बनने में मदद कर सकती है ? और क्या केवल कड़े कानून लागु करने से ही यौन उत्पीड़न के शिकार हुए लोगो को इन्साफ दिलवाया जा सकता है ? यौन उत्पीड़न के शिकार हुए लोगो के प्रति वर्तमान में दिखने वाले सामाजिक प्रतिक्रियों पे आप का क्या राय है ?
हमारे समझ में आज भी यौन शोषण के बारे में एक अनचाही चुप्पी साध ली जाती है और पीड़ित व्यक्ति को ही कहीं न कहीं हर बात के लिए जिम्मेदर बना देने की प्रथा चली आ रही है। पर ऐसा क्यों है? साथ ही इस तरह के सामाजिक दबावों के अतिरिक्त और क्या वजह होती है जिसके लिए आज भी कई सारे यौन शोषण के केस पुलिस रिपोर्ट में दर्ज नहीं होते हैं ? समाज में फैले यौन शोषण के मानसिकता के लिए कौन और कैसे जिम्मेदार है ? और समाज से इस मानसिकता को हटाने के लिए तुरंत किन - किन बातों पर अमल करना जरुरी है ?
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स्वच्छ भारत मिशन के तहत सरकार ने जो शौचालय का निर्माण कराया गया है उसमें लगभग शौचालय में भूसा एवं बकरी का बसेरा बन गया है
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बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड से मोबाइल वाणी संवाददाता रंजन जानकारी दे रहे हैं कि समाज में शिक्षा का स्तर पहले की तुलना में अनुपात काफी अधिक बढ़ा है। इसमें खासकर महिलाओं की भागीदारी अच्छी हुई है और महिलाएं प्रतियोगिता परीक्षाएं भी पास कर रही है। लेकिन वह अपनी नौकरी को नहीं निभा पाती है। इसका सबसे बड़ा कारण सुरक्षा है, जो सरकार उपलब्ध नहीं कर पा रही है। अगर महिलाओं की पोस्टिंग उनके घर के क्षेत्र में हो तो महिला अपनी नौकरी जारी रख सकती है
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बिहार राज्य के जिला गिद्धौर से रंजन कुमार , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि महिलाएं रोजगार से दूर होती जा रही क्योंकि उनके पास अपनी पूंजी नहीं है। सुरक्षा व्यवस्था के कारण महिलाएं नौकरी छोड़ रही है । घर वाले भी सुरक्षा नहीं मिलने पर महिला को नौकरी छड़ने पर मजबूर कर रहे है। महिलाओं तक आरक्षण पहुंचना मुश्किल लग रहा है। महिला अपनी आर्थिक स्थिति को कमजोर करती जा रही है। शिक्षा पहले के मुकाबले अब अच्छी होती जा रहे है। महिला को बाहर नहीं निकलने दिया जाता है। जिसके कारण महिला पीछे रह जाती है।
बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड से मोबाइल वाणी संवाददाता नागमणि धोबघट क्षेत्र के निवासी शिक्षक पंकज कुमार से बातचीत की जिसमें पंकज ने जानकारी दी कि नौकरी के अवसर कम हैं और इन्हीं अवसरों में महिलाओं को भी नौकरी तलाशनी पड़ रही है। इसके साथ ही असुरक्षा के कारण महिलायें नौकरी के लिए आगे नहीं आती हैं। अगर महिलाओं को सुरक्षा और सही नीति मिले तो वो जरूर नौकरी के लिए आगे आयेंगी। महिलाओं को अपना जीवन सुरक्षित लगेगा और उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखा जायेगा तो महिला जरूर नौकरी के लिए आगे आयेंगी। आज महिलायें हर क्षेत्र में आगे हैं। अगर महिलाओं को थोड़ा समर्थन और सुरक्षा मिले तो स्थिति इससे भी बेहतर हो सकती है