बिहार राज्य के जिला गिद्धौर से रंजन कुमार , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि महिलाएं रोजगार से दूर होती जा रही क्योंकि उनके पास अपनी पूंजी नहीं है। सुरक्षा व्यवस्था के कारण महिलाएं नौकरी छोड़ रही है । घर वाले भी सुरक्षा नहीं मिलने पर महिला को नौकरी छड़ने पर मजबूर कर रहे है। महिलाओं तक आरक्षण पहुंचना मुश्किल लग रहा है। महिला अपनी आर्थिक स्थिति को कमजोर करती जा रही है। शिक्षा पहले के मुकाबले अब अच्छी होती जा रहे है। महिला को बाहर नहीं निकलने दिया जाता है। जिसके कारण महिला पीछे रह जाती है।

कुछ महीने पहले की बात है, सरकार ने महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए कानून बनाया है, जिससे उन्हें राजनीति और नौकरियों में आरक्षण मिलेगा, सवाल उठता है कि क्या कानून बना देने भर से महिलाओं को उनका हक अधिकार, बेहतर स्वास्थय, शिक्षा सेवाएं मिलने लगेंगी क्या? *----- शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आर्थिक अवसरों तक महिलाओं की पहुंच में सुधार के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं *----- महिलाओं को जागरूक नागरिक बनाने में शिक्षा की क्या भूमिका है? *----- महिलाओं को कानूनी साक्षरता और उनके अधिकारों के बारे में जागरूक कैसे किया जा सकता है"

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सरकार महिलाओं को राजनीतिक में आरक्षण देने का प्रावधान ला रही है ताकि महिलाओं की भागीदारी राजनीतिक में हो सके लेकिन जी भागीदारी की कल्पना की जा रही है वह भागीदारी कितना कारगर होगा यह आने वाला समय ही बताएगा क्योंकि राज्य सरकार द्वारा जो आरक्षण महिलाओं को राजनीतिक में दिया गया है उसका फायदा तो समझ में देखने को मिल रहा है जिसे मुखिया सरपंच पंच जिला परिषद आदि का पद दिया गया है वह स्वतंत्र होकर महिलाएं काम नहीं कर पाती है क्योंकि उसके पीछे उनके परिवार के पुरुष उसे कुर्सी पर बैठकर निर्णय लेते हैं इससे अनुमान लगाया जा सकता है की आरक्षण का कितना लाभ महिलाओं को मिलेगा

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बीते दिनों महिला आरक्षण का बहुत शोर था, इस शोर के बीच यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए की अपने को देश की सबसे बड़ी पार्टी कहने वाले दल के आधे से ज्यादा भू-भाग पर शासन होने के बाद भी एक महिला मुख्यमंत्री नहीं है। इन सभी नामों के बीच ममता बनर्जी इकलौती महिला हैं जो अभी तक राजनीति में जुटी हुई हैं। वसुंधरा के अवसान के साथ ही महिला नेताओं की उस पीढ़ी का भी अवसान हो गया जिसने पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय तक महिलाओं के हक हुकूक की बात को आगे बढ़ाया। यह सब ऐसे समय में हो रहा है जबकि देश में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने की बात की जा रही है। एक तरफ महिला नेताओं को ठिकाने लगाया जा रहा है, दूसरी तरफ नया नेतृत्व भी पैदा नहीं किया जा रहा है।

बिहार में आरक्षण बिल को विधानसभा के बाद विधान परिषद से भी मंजूरी मिल गई है अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें और पूरी जानकारी सुने

बिहार राज्य के जमुई जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता रंजन कुमार जानकारी दे रहे हैं कि केंद्र सरकार द्वारा महिलाओं के लिए जो बिल लाया गया है उसे पर राजनीतिक सर गर्मी से महिलाओं को क्या लाभ या हानि हो सकता है। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।