गिद्धौर: झाझा विधानसभा के गिद्धौर प्रखंड जदयू कार्यकारिणी की बैठक स्व.गुलाब रावत नगर भवन में प्रखंड स्तरीय बैठक की अध्यक्षता पार्टी के प्रखंड अध्यक्ष विवेकानंद सिंह एवं संचालन विनय कुमार सिंह के द्वारा संपन्न हुई। बैठक में उपस्थित माननीय विधायक एवं पूर्व मंत्री दामोदर रावत जी ने सभा में उपस्थित कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए आगामी 2025 के विधानसभा चुनाव में माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा एनडीए के 225 सीट के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अभी से ही कमर कस लेने का आह्वान किया। मौके पर विधायक श्री रावत ने कहा कि सरकार ने 10 लाख नौकरी और 10 लाख रोजगार देने का वायदा किया है। अभी तक लगभग 5 लाख नौकरी दी जा चुकी है और विधानसभा चुनाव के पहले 12 लाख नौकरी देने का प्रस्ताव है।10 लाख रोजगार की दिशा में काम हो रहा, इस कड़ी में 90 हजार लोगों को 2-2 लाख रु.रोजगार हेतु मुफ्त दी जा रही है।श्री रावत ने कहा कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में नीतीश कुमार लोहिया और कर्पूरी ठाकुर के सपनों को साकार किया है,बालिका साईकिल योजना, सभी प्रकार की नौकरियों में 35% आरक्षण, स्थापित निकाय में 50% आरक्षण, इंटर पास लड़कियों को आगे की पढ़ाई के लिए 25000/-और स्नातक पास को 50000/-रू.दिया जाना इसका उदाहरण है। सड़क,शिक्षा,स्वास्थ्य,बिजली,सिंचाईं, बड़े-बड़े पुल,पुलिया का निर्माण तथा अन्य सभी क्षेत्रोंमें किए गए कार्यों को हर बूथ तक पहुंचाने का आह्वान किया। इस दौरान झाझा विधानसभा के प्रभारी ललन कुशवाहा,गिद्धौर प्रखंड प्रभारी चन्द्रदेव सिंह,जिला महासचिव जयनंदन सिंह, जिला कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति सदस्य सुबोध केशरी, दिनेश मंडल,छात्रनेता नीतीश कुमार, प्रखंड प्रमुख पंकज यादव, डा.राजेन्द्र प्रसाद,पूर्व प्रखंड अध्यक्ष कृष्ण कुमार रावत आदि नेताओं ने सभा को संबोधित किया। बैठक में वरिष्ठ नेता शैलेन्द्र रावत,पूर्व मुखिया गुरूदत्त प्रसाद, शैलेन्द्र सिंह,अशोक केशरी, रतन चंद्रवंशी,रेखा देवी, शिवेन्दू कुमार, अजय ठाकुर, बंदी सिंह, मो.जसीम खान,निरंजन मंडल, नजमा खातुन, दीनानाथ मंडल, बालमुकुंद यादव,राणा रंजीत सहित सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित हुए।

गिद्धौर प्रखंड के रतनपुर पंचायत के भौराटांड़ गांव में समग्र सेवा जमुई द्वारा 14 से 22 आयु वर्ग के किशोरियों एवं युवतियों को बी बॉस दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से मैट्रिक की परीक्षा की तैयारी एवं नि:शुल्क शिक्षा की व्यवस्था को लेकर भौराटांड़ गांव में मुफ्त शिक्षण संस्थान का वार्ड सदस्य अजीत कुमार यादव द्धारा फीता काट कर निःशुल्क शिक्षण संस्थान का शुभारंभ किया गया।उक्त संस्थान का शुभारंभ भौराटांड़ महादलित टोला के नव सृजित प्राथमिक विधालय में किया गया है।

बिहार के नवादा जिले के एक गांव में रहने वाली फगुनिया या फिर उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के किसी गांव में रहने वाली रूपवती के बारे में अंदाजा लगाइये, जिसके पास खुद के बारे में कोई निर्णय लेने की खास वज़ह नहीं देखती हैं। घर से बाहर से आने-जाने, काम काज, संपत्ति निर्माण करने या फिर राजनीतिक फैसले जैसे कि वोट डालने जैसे छोटे बड़े निर्णय भी वह अक्सर पति या पिता से पूछकर लेती हो? फगुनिया और रूपवती के लिए जरूरी क्या है? क्या कोई समाज महज दो-ढाई महिलाओं के उदाहरण देकर उनको कब तक बहलाता रहेगा? क्या यही दो-ढ़ाई महिलाएं फगुनिया और रूपवती जैसी दूसरी करोड़ों महिलाओं के बारे में भी कुछ सोचती हैं? जवाब इनके गुण और दोष के आधार पर तय किये जाते हैं।दोस्तों इस मसले पर आफ क्या सोचते हैं अपनी राय रिकॉर्ड करें .

ग्रामीण महिला सशक्तिकरण का अर्थ है ग्रामीण महिलाओं को उनके सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों को प्राप्त करने में सक्षम बनाना। यह उन्हें निर्णय लेने की शक्ति प्रदान करता है और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाता है। सशक्तिकरण का मतलब सिर्फ महिलाओं को शिक्षित करना या उन्हें रोजगार देना नहीं है, बल्कि उन्हें समाज में समानता का दर्जा देना भी है। महिलाओं का सशक्तिकरण समाज के समग्र विकास के लिए आवश्यक है। जब महिलाएं सशक्त होती हैं, तो वे अपने परिवार और समुदाय के लिए बेहतर निर्णय ले सकती हैं। तब तक दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- आधी आबादी या महिलाओं को उनका पूरा हक दिया जाने से उनके जीवन सहित समाज में किस तरह के बदलाव आएगा जो एक बेहतर और बराबरी वाले समाज के निर्माण में सहायक हो सकता है? *----- साथ ही आप इस मुद्दे पर क्या सोचते है ? और आप किस तरह अपने परिवार में इसे लागू करने के बारे में सोच रहे है ?

भारत जैसे देश में जहां सासंकृतिक सामाजिक और राजनीतिक असमानताओं की खाई बहुत ज्यादा गहरी है, ऐसे में यह कह पाना कि सबकुछ एक समान है थोड़ी ज्यादती है। आप हमें बताइए कि "*----- महिलाओं को नेतृत्व की भूमिकाओं में शामिल करने और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं? *----- समुदाय-आधारित पहल और सामाजिक उद्यमिता गरीबी उन्मूलन में कैसे योगदान दे सकते हैं?

बिहार राज्य के जमुई ज़िला के धौघट से रंजन की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से शुभाष साहू से हुई। ये कहते है कि महिला को जमीन में अधिकार मिले तो वो खेती कर सकती है ,पशुपालन कर सकती है। स्वरोजगार कर अपना भरण पोषण कर सकती है। अगर महिलाओं को भूमि अधिकार दिया जाए तो वो आत्मनिर्भर बन सकती है। शुरू से पुरुषों को प्रधानता मिल रहा है ,ये सोच गलत है। आज के समय में लड़कियाँ लड़कों से कम नहीं है। शिक्षा के अभाव में समाज के लोग महिलाओं को ऊपर नहीं ला पाते है। जबतक महिला शादीशुदा नहीं होती है ,उन्हें पैतृक संपत्ति में अधिकार मिलता है ,शादी के बाद पैतृक संपत्ति में हकदार नहीं माना जाता है ,उनका ससुराल में अधिकार माना जाता है। यह गलत है। समाज में दहेज़ प्रथा अभिशाप है। समाज में महिलाओं की आर्थिक स्थिति भी कमज़ोर है। अगर महिला शिक्षित होगी तो वो आगे अपने खुद के लिए प्रयास कर सकती है ,आगे बढ़ सकती है। सरकार महिलाओं को बढ़ाने का प्रयास कर रही है पर ग्रामीण क्षेत्र की महिला अभी भी जागरूक नहीं है। सरकार चाहे तो ऋण ,कम ब्याज दर पर महिला की मदद करे तो महिला आगे बढ़ सकती है

बिहार राज्य के जमुई जिले से सुभाष सब बता रहे हैं कि जैसे-जैसे शिक्षा का विस्तार हो रहा है वैसे-वैसे महिलाओं को जमीन का अधिकार दिया जा रहा है

बिहार राज्य के जिला गिद्धौर से रंजन कुमार , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि महिलाएं रोजगार से दूर होती जा रही क्योंकि उनके पास अपनी पूंजी नहीं है। सुरक्षा व्यवस्था के कारण महिलाएं नौकरी छोड़ रही है । घर वाले भी सुरक्षा नहीं मिलने पर महिला को नौकरी छड़ने पर मजबूर कर रहे है। महिलाओं तक आरक्षण पहुंचना मुश्किल लग रहा है। महिला अपनी आर्थिक स्थिति को कमजोर करती जा रही है। शिक्षा पहले के मुकाबले अब अच्छी होती जा रहे है। महिला को बाहर नहीं निकलने दिया जाता है। जिसके कारण महिला पीछे रह जाती है।

कुछ महीने पहले की बात है, सरकार ने महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए कानून बनाया है, जिससे उन्हें राजनीति और नौकरियों में आरक्षण मिलेगा, सवाल उठता है कि क्या कानून बना देने भर से महिलाओं को उनका हक अधिकार, बेहतर स्वास्थय, शिक्षा सेवाएं मिलने लगेंगी क्या? *----- शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आर्थिक अवसरों तक महिलाओं की पहुंच में सुधार के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं *----- महिलाओं को जागरूक नागरिक बनाने में शिक्षा की क्या भूमिका है? *----- महिलाओं को कानूनी साक्षरता और उनके अधिकारों के बारे में जागरूक कैसे किया जा सकता है"

बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड से मोबाइल वाणी संवाददाता नागमणि साव ने कोल्हुआ पंचायत निवासी से बातचीत की जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि आर्थिक दृष्टिकोण से महिलायें बहुत कमजोर होती हैं। क्योंकि उन्हें घर से निकलने की आजादी नहीं होती है। आज भी पुरुष प्रधान समाज महिला को घर में ही रखते हैं।महिलाओं को अचल संपत्ति का भी हक़ नहीं दिया जाता है। महिला पुरुष के डर से अपना अधिकार भी नहीं मांगती है। क्योंकि महिलायें कम पढ़ी लिखी होती है, तो पुरुष महिला को कम महत्व देते हैं। महिलाओं को भूमि पर अधिकार मिलेगा तो महिलाएं खेती और व्यवसाय कर के आत्मनिर्भर होंगी। इससे एक अच्छा बदलाव देखने को मिल सकता है