बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड से मोबाइल वाणी संवाददाता रंजन कोल्हुआ पंचायत क्षेत्र के निवासी पशुराम से बातचीत की जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि महिलायें आर्थिक दृष्टिकोण से कमजोर इसलिए रहती हैं। क्योंकि उनका ज्यादा असमय अपने घर - परिवार को सँभालने में जाता है। महिलायें इस बात पर ध्यान नहीं दे पाती हैं की वो भी आर्थिक रूप से मजबूत रहे। पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को आर्थिक आजादी नहीं होती है। इसका कारण है की महिलाओं को कमजोर समझा जाता है। लेकिन अगर महिलाओं को पैतृक संपत्ति में हक मिले और उन्हें परिवार का सहयोग प्राप्त हो तो बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। अधिकारों के साथ महिला का मनोबल बढ़ेगा उनमें कुछ करने की हिम्मत आयेगी। महिलायें खुद आत्मनिर्भर होंगी और अपने बच्चों का भविष्य भी अच्छा बना पायेगी। इसलिए घर के पुरुषों को अपनी घर की महिला को आगे बढ़ने में सहयोग करना चाहिए
बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड से मोबाइल वाणी संवाददाता रंजन सिमुलतला थाना क्षेत्र के निवासी महेंद्र यादव से बातचीत की जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि महिलाओं को भूमि पर अधिकार मिलना चाहिए। इससे महिलाएं खेती कर के आत्मनिर्भर होंगी। अपने बच्चों का बेहतर भविष्य बना पायेंगी। इसके साथ ही उन्होंने जानकारी दी की महिला अगर शिक्षित होती है, तो वह कई पीढ़ी को शिक्षित करती है। अपने आस - पास भी शिक्षा का प्रचार प्रसार कर लोगों को शिक्षित करने का प्रयास करती है। हमारे समाज में महिलाओं को शुरू से आगे बढ़ने से रोका गया है। आज महिला पिछड़ी हैं क्योंकि शिक्षा और जागरूकता की कमी है। अगर महिलाओं को शिक्षित किया जाए तो हमारा देश का विकास होगा। भारत में शिक्षा के मामले में बिहार सबसे नीचे है, लेकिन इसमें अभी भी सुधार हो रहा है और आने वाले दिनों में और सुधार होंगे।साथ ही उन्होंने यह भी जानकारी दी की पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं के नाम पर संपत्ति नहीं ली जाती है। लेकिन अगर महिला के नाम पर संपत्ति हो तो कई तरह के लाभ होते हैं। बिहार में अभी महिलाएं बड़े पैमाने पर भूमि सर्वेक्षण में भाग नहीं ले पाएंगी। क्योंकि यह भूमि सर्वेक्षण थोड़ा गलत समय पर हो रहा है। क्योंकि अभी फसल का समय है और लोगों के पास कागज उपलब्ध नहीं है।
बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड से मोबाइल वाणी संवाददाता रंजन सिमुलतला थाना क्षेत्र के निवासी किशोर से बातचीत की जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि सरकार ने तो महिलाओं को जमीन पर अधिकार दिया है। लेकिन जब तक महिला शिक्षित नहीं होगी और लाज का पर्दा हटा कर अपने अधिकार के लिए आगे नहीं बढ़ेंगी उन्हें अपना अधिकार नहीं मिलेगा। आज के आर्थिक युग में कोई मायके वाले अपने स्वेच्छा से महिला को हक़ नहीं देंगे। लेकिन महिला अपने मायके से संबन्ध नहीं खराब करना चाहती है। इसलिए अपने हक के लिए आगे नहीं आती। लेकिन अगर महिला के नाम पर भूमि हो तो वो ना केवल आर्थिक रूप से बल्कि उनका सर्वांगीण विकास संभव है। इसके साथ ही उन्होंने जानकरी दी की बिहार सरकार ने भूमि सर्वेक्षण का जो निर्णय लिया है। इसके लिए सरकार को लोगों में जागरूकता पैदा करने का प्रयास करना होगा। जागरूकता होगी तब ही लोग महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करेंगे। लोगों को भी अब इस बात को स्वीकार करना चाहिए की महिला का भी संपत्ति में हक है और उन्हें अपनी इच्छा से उनका हक देना चाहिए
बिहार राज्य के जमुई ज़िला के रतनपुर से रंजन की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से शिवांशु कुमार से हुई। ये कहते है कि हमारे देश में शिक्षा और संस्कृति क्षेत्र में असमानता ज़ारी है। महिलाओं को अधिकार मिलना चाहिए। असमानता दूर करने के लिए महिलाओं को आगे बढ़ाना चाहिए,शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में । महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करना चाहिए जिससे समाज में नया पहल लाए ।महिलाओं को आगे बढ़ाने का उद्देश्य यह है कि महिला बाते कर ,लोगों की बाते समझ कर अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाए। जब जमीनी अधिकार की बात होती है तो उन्हें किनार कर दिया जाता है। महिलाओं को भूमि अधिकार मिलेगा तो समाज देश को फायदा होगा। महिलाएं ही अपनी बाते एक दूसरे से साझा कर सकती है ताकि परिणाम अच्छा आये। शिक्षा के क्षेत्र में भी असमानता है। विद्यालय में शिक्षक अपने विद्यार्थी से बाते करे जिससे शिक्षा आगे बढ़ेगा। इस माध्यम से असमानता दूर होगी। विद्यालय में भेद भाव नहीं होना चाहिए ताकि सभी आगे बढ़ेगी
बिहार राज्य के जमुई ज़िला से रंजन की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से बुलबुल कुमारी से हुई। ये कहती है कि महिलाओं को जमीन में अधिकार होना ज़रूरी है। लेकिन उन्हें अधिकार नहीं दिया जा रहा है। शिक्षित होगी महिला तब ही अपना अधिकार ले सकती है। समाज में संस्कृति और सभ्यता में बदलाव दिख रहा है। कई ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा से महिला वंचित है। समाज में असमानता भी बहुत है। यह असमानता खत्म होना ज़रूरी है। लोग जागरूक होंगे तब ही असमानता खत्म होगा। समाज के लोग सभी आगे आएंगे तब ही समाज सुधरेगा। जमीनी अधिकार में सरकार प्रयासरत है लेकिन अब भी पुरुष के नाम से जमीन खरीदने नहीं दे रहे है। जबकि महिला हर चीज़ में आगे है ,उन्हें जमीनी अधिकार मिलना चाहिए। पुरुषों की सोच में बदलाव होना ज़रूरी है
बिहार राज्य के जमुई ज़िला के बरहट प्रखंड के नुमर से आशुतोष पांडेय की बातचीत गिद्धौर मोबाइल वाणी के सामाजिक कार्यकर्ता सुनील कुमार राणा से हुई। ये कहते है कि शिक्षा बहुत ज़रूरी है। ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कों की पढ़ाई पर ध्यान दिया जाता है। इसी कारण महिला पीछे है। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। अभी सरकार जितनी सुविधा महिलाओं को हिस्सा दे रहे है ,उसमे महिलाएँ बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रही है। महिलाओं को शिक्षित कर महिलाओं को विकसित किया जा सकता है।सरकार द्वारा महिलाओं की प्रगति में प्रयास किया जा रहा है। भूमि में महिलाओं को छूट मिला है ताकि लोग जागरूक हो। अगर और छूट दिया जाएगा तो लोग ख़ुशी से माँ या लड़की के नाम से जमीन लेंगे। पहले की पीढ़ी से महिला को पीछे रखा गया है लेकिन अभी बहुत सुधार हो चूका है ,महिला आगे बढ़ रही है
बिहार राज्य के जमुई ज़िला के बरहट प्रखंड से आशुतोष की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से सुनील कुमार यादव से हुई ,ये कहते कि महिलाओं के साथ होने वाली हिंसात्मक घटना को कम करने के लिए शिक्षा बहुत ज़रूरी है। शिक्षित व्यक्ति गलत काम नहीं करेंगे। आत्मरक्षा के लिए महिलाओं को जुडो कराटे सीखना चाहिए। आत्मनिर्भरता बहुत ही ज़रूरी है। महिलाओं के नाम से जमीन लेना चाहिए। इसको लेकर गलत मानसिकता नहीं रखना चाहिए। सरकार को शिक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करना होगा ताकि महिला रोजगार के क्षेत्र में आगे बढे। वैसे पहले की अपेक्षा महिलाओं में जागरूकता आ रहा है। कई क्षेत्र में महिला कार्य कर रही है। सरकार को छोटा उद्योग ,व लोन की प्रक्रिया को आसान करना होगा। इससे महिला स्वरोजगार आसानी से करेगी। महिला में आत्मविश्वास रहेगा तो बेहतर तरीके से आगे बढ़ सकती है
बिहार राज्य के जमुई ज़िला के बरहट प्रखंड से आशुतोष की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से ब्रह्मदेव मंडल से हुई ,ये कहते कि अब समाज में हिचक नहीं है ,महिलाओं को भूमि का अधिकार दिया जा रहा है । जमीन में महिलाओं के लिए छूट है ,जिस कारण लोग महिला के नाम से ही जमीन खरीद रहे है। अब समाज में लड़की को ही मान्य दिया जा रहे है। परिवार लड़की पर अधिक ध्यान देते है भले ही लोग दहेज़ से डरते है। अगर पैसा नहीं दिया जाएगा तो शादी नहीं होगा ,लड़की बहक जाती है ,यही डर रहता है। दहेज़ प्रथा को दूर करना मुश्किल है। दहेज़ लेना कानूनी जुर्म है ,नहीं देने पर लड़की प्रताड़ित होती है। महिलाओं के साथ जो हिंसात्मक घटना होता है ,वो असल में महिला की मर्ज़ी से होती है ,प्रेम में ही ऐसा होता है। महिला अभी बहुत आगे है ,पढ़ाई में भी बहुत आगे निकल गई है। हर क्षेत्र में महिला आगे हो गई है
बिहार राज्य के जमुई ज़िला के बरहट प्रखंड से आशुतोष की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से वकील मंडल से हुई ,ये कहते कि महिलाओं के प्रति हिंसात्मक घटनाओं को खत्म करने के लिए महिलाओं में जागरूकता ज़रूरी है। समाज को भी एकजुटता लाना होगा और ऐसी घटना को लेकर समाज को ही कार्यवाही के लिए प्रशासन तक बात ले जानी चाहिए। सरकार ने कठोर कानून तो बनाए है पर इसके लिए और कठोर कानून बनाने की आवश्यकता है। इस घटना की कार्यवाही में देर नहीं होनी चाहिए। ताकि ऐसी वारदात रुके। महिला और पुरुष में कोई फ़र्क़ नहीं है ,दोनों का सामान अधिकार है। अगर भेदभाव हो रहा है तो गलत है। संपत्ति में भाई बहन दोनों का बराबर अधिकार है। भ्रूण हत्या समाज का दुर्भाग्य है। अगर इसमें रोक नहीं लगेगा तो आने वाले दिनों में लड़की की संख्या कम हो जाएगी। इसको लेकर समाज को जागरूक होना चाहिए। वही रोजगार के लिए लड़कियो को शिक्षित होना ज़रूरी है। समाज में अन्धविश्वास और गलत मानसिकता है ,जो लड़कियों को पढ़ाने से रोकते है। महिलाओं को शिक्षा अधिक से अधिक देना चाहिए ,सरकार भी महिलाओं के लिए लाभ लाते है
बिहार राज्य के जिला गिद्धौर से आशुतोष पाण्डेय की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से सचिन कुमार जी से हुई।सचिन कुमार यह बताना चाहते है कि महिलाओं को समाज में जिस तरह से देखा जाता है और समझा जाता है वह सही नहीं है कहीं न कहीं। स्कूल और कॉलेजों में लिंग , समानता और महिलाओं के अधिकारों के सम्बन्ध में जारूकता फैलाने के लिए कार्यकर्म चलाए जाना चाहिए। इसमें मीडिया का भी अहम भूमिका होता है , जैसे की मीडिया को महिलाओं के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देने वाले करंट से बचाना चाहिए और सकारात्मक उदहारण पेस करने चाहिए। समुदाय में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना चाहिए ताकि लोग महिलाओं के खिलफ हिंसा को जान सके और उनके खिलाफ खड़े हो सके। हमे महिलाओं को देखने का नजरिया बदलना होगा। पुरुष और महिला में कोई अंतर नहीं समजा जाना चाहिए। दहेज़ प्रथा को ख़तम करना होगा। दहेज़ लेने वाले जितने दोषी होते है उतना ही देने वाले होते है।