बिहार राज्य के गिद्धौर प्रखंड के संजीवन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया की अब आपको अपनी खुद की पंचायत में नौवीं कक्षा में दाखिला लेना है , दोस्तों , मुझे बताएं कि शिक्षा विभाग ने सभी जिलों को निर्देश दिया है कि आठवीं कक्षा पास बच्चे कनुमी में नामांकन उनकी अपनी पंचायत के उच्च माध्यमिक विद्यालय में करना होगा , यह प्रचार करके कि बच्चों को उनकी अपनी पंचायत के उच्च माध्यमिक विद्यालय में नामांकित किया जाना चाहिए , सभी को सूचित किया जाएगा । सभी विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति की गई है । आपकी पंचायत के बाहर के स्कूल में नौवीं कक्षा में नामांकन विशेष परिस्थितियों में माता - पिता के अनुरोध पर होगा । इसके लिए , जिला शिक्षा अधिकारी के स्तर से स्कूल स्थानांतरण प्रमाण पत्र । इसके पीछे का उद्देश्य यह है कि बच्चे अपनी पंचायत के स्कूलों में पढ़ाई करें , विभाग के माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी किया है । स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि जो छात्र किसी अन्य पंचायत में स्थित स्कूल से आठवीं कक्षा उत्तीर्ण कर चुके हैं , उनका यहां नामांकन न हो । नौवीं कक्षा में नामांकन न करें क्योंकि ऐसे छात्र नकली होने की संभावना है और केवल सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए नामांकन करना चाहते हैं । उन छात्रों को नामांकित करें जो वहां नामांकित होने जा रहे हैं , शहरी क्षेत्र के उच्च माध्यमिक विद्यालयों में नामांकन के लिए उसी पंचायत के उच्च माध्यमिक विद्यालयों से नौवीं कक्षा वाले स्कूल को टैग करें , इसे संबंधित माध्यमिक विद्यालयों से भी टैग किया जाएगा । इसने कहा है कि जिलों के अधिकारियों को संबंधित स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के साथ मिलकर वहां के बुनियादी ढांचे का आकलन करना चाहिए और आवश्यकता के अनुसार स्कूलों में अतिरिक्त कमरों का निर्माण कराना चाहिए ।

बिहार राज्य के गिद्धौर प्रखंड के संजीवन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया की मठ्या गाँव को नेचर विलेज के रूप में जाना जाता है , ऐसा इसलिए है क्योंकि यहां की महिलाएं आत्मनिर्भर होने के साथ - साथ पर्यावरण को बचाने के लिए भी काम करती हैं । गाँव की एक दर्जन से अधिक महिलाएं इस काम में लगी हुई हैं । एक समय था जब गाँव की महिलाओं को बीड़ी बनाने का काम करने के लिए मजबूर किया जाता था । एक साल पहले तत्कालीन तहसीलदार निर्भय प्रताप सिंह ने इस गांव का नाम नेचर विलेज रखा और इसे आगे बढ़ाया । धीरे - धीरे यह गाँव सफलता का एक नया उदाहरण बन गया । आज प्रस्तुति गाँव की महिलाएं नेचर विलेज अभियान के तहत काम कर रही हैं वर्तमान में सभी महिलाएं होली के लिए हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं जम्मू जिले के बाजारों में इन रंगों की मांग बढ़ रही है । आपको बता दें कि मटिया जम्मू जिले के लक्षमीपुर प्रखंड के अंतर्गत आने वाला एक गाँव है जहाँ महिलाएं आत्मनिर्भर हैं । हम गुलाल ( अवीर ) बनाते हैं , हरा गुलाल पालक और कुछ अन्य पत्तियों से बनाया जाता है , नारंगी गुलाल नारंगी और गेंदे के फूलों से बनाया जाता है , लाल और गुलाबी गुलाल चुकंदर से बनाया जाता है । रंगीन गोलाल तैयार किया जाता है । एक रंग का गोलाल तैयार करने में दो दिन लगते हैं । पहले एक दिन में पचास से सत्तर रुपये कमाते थे , आज नेचर विलेज के तहत एक सौ तैंतीस रुपये मिलते हैं , जबकि तत्कालीन संभागीय अधिकारी निर्भय प्रताप सिंह के अनुसार , यहां की महिलाएं आनंदपुर मोहनपुर मटिया और उसके आसपास रहती हैं और उनकी गुलाल की मांग इतनी अधिक है कि पिछले चार दिनों में लगभग पांच कुंतल का ऑर्डर प्राप्त हुआ है । पहली सात महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया , जिसके बाद बाकी महिलाओं को पढ़ाया गया । आज के समय में एक दर्जन से अधिक महिलाएं इस काम से जुड़ी हुई हैं और हर्बल गुलाल बनाने के लिए काम कर रही हैं । आय में भी वृद्धि होती रहेगी , उन्होंने कहा कि नौकरी में शामिल होने के बाद उन्होंने कई जगहों पर नेचर विलेज की अवधारणा देखी थी , इस दौरान वे इस क्षेत्र में काम करने वाले कई पुरस्कार विजेता लोगों से भी मिले । आज वह सपना पूरा हुआ है और साकार हुआ है । इसके अलावा , हर्बल गुलाल के लाभों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि लोग बिना किसी चिंता के इसका उपयोग कर सकते हैं , जबकि बाजार में उपलब्ध रासायनिक गुलाल कई प्रकार की समस्याओं का कारण बन सकता है ।

Transcript Unavailable.

उनके विचार अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें पूरी जानकारी सुने

अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें और पूरी जानकारी सुने

दहेज प्रथा

बिहार राज्य के गिद्धौर के संजीवन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया की होली की शुरुआत कहाँ से हुई थी

बिहार राज्य के गिद्धौर प्रखंड के संजीवन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से होलिका दहन के शुभ मुहूर्त की जानकारी दी है

बिहार राज्य के गिद्धौर के संजीवन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया की होलिका दहन , जो इस साल रविवार को मनाया जाएगा । आइए जानते है इसके पीछे की पौराणिक कहानी को होली हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है और पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है । होली में , होलिका दहन की परंपरा भी शुभ मुहूर्त में शाम को की जाती है , जबकि अगले दिन इसे बजाया जाता है , यानी रंगों का त्योहार जिसे धुलिंदी कहा जाता है , और होली भी रंगों के साथ खेली जाती है । होली के त्योहार को छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है । लोग इस साल 24 मार्च को यह त्योहार मनाएंगे और इस दिन भगवान नरसिंह की पूजा की जाती है । होली का त्योहार मुख्य रूप से हिरण कश्यप और उनकी बहन होलिका और उनके बेटे द्वारा मनाया जाता है । पहलाद द्वारा संबंधित मारा का कहना है कि पृथ्वी पर एक राजा हुआ करता था जिसका नाम हिरण्यक कश्यप था । उन्हें अपनी शक्तियों पर बहुत गर्व था । वह चाहते थे कि उनकी प्रजा उनकी पूजा करे , न कि किसी देवता की , बल्कि स्वयं हिरण्यक कश्यप की । हिरन कश्यप ने अपने बेटे प्रह्लाद को समझाने की बहुत कोशिश की , लेकिन प्रह्लाद ने अपने पिता की बात नहीं सुनी और यह हिरन कश्यप को पसंद नहीं आया । भगवान विष्णु के प्रति अपनी भक्ति से क्रोधित होकर , हिरण कश्यप ने प्रह्लाद को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया , लेकिन फिर भी प्रह्लाद ने भगवान विष्णु के प्रति अपनी भक्ति नहीं छोड़ी । होलिका को आग में न जलने का वरदान नहीं मिला था , इसलिए होलिका प्रह्लाद के साथ आग में बैठ गई । प्रह्लाद श्री हरि विष्णु के प्रति समर्पित रहे । नतीजतन , होलिका स्वयं इस आग में जलकर राख हो गई । और कहा जाता है कि प्रहलाद ने एक भी बाल नहीं खोया है , लेकिन इस घटना की याद में होलिका दहन उत्सव मनाने की परंपरा शुरू हुई ।

जमुई जिले में आई.सी.डी.एस और अन्य विभागों ने मतदाताओं को जागरूक करने के लिए कैंडल मार्च और रैलियां निकालीं विस्तार पूर्वक खबर सुनने के लिए ऑडियो क्लिक करें