बिहार राज्य के जमुई ज़िला के बरहट प्रखंड से आशुतोष की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से अजय कुमार से हुई ,ये कहते कि लड़कियों की शिक्षा बहुत ज़रूरी है। माता पिता को अपनी लड़कियों को पढ़ाई ज़रूर करवाना चाहिए साथ ही उन्हें कॉम्पिटिशन में भाग लेने दें जिससे उनका दिमाग विकसित होगा। समाज में लड़कियों को लेकर बोझ है ,उनकी शादी के बारे में ही सोच रखा जाता है
बिहार राज्य के जमुई ज़िला के बरहट प्रखंड से आशुतोष की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से अजय कुमार से हुई ,ये कहते कि महिलाओं के प्रति हिंसात्मक घटनाओं को खत्म करने के लिए सरकार ने कड़े कानून लाए है पर अब सरकार को फाँसी की सजा देनी चाहिए । लड़की अपनी सुरक्षा के लिए आत्मरक्षा के गुण सीख सकती है साथ ही समाज में सुरक्षा को लेकर अभियान चलाना चाहिए। 112 नंबर डायल कर पुलिस की भी सहायता लेनी चाहिए। महिला को उनके साथ होने वाली घटना को बेझिझक अपने परिवार में बताना चाहिए साथ ही उन्हें डरना नहीं चाहिए। शुरू से देश पुरुष प्रधान देश रहा है। लेकिन अब थोड़ा बदलाव आया है। लोग जागरूक और शिक्षित हुए है ,अब सब एक सामान हुए है। महिला शिक्षा ,राजनीति की क्षेत्र में आ रही है। शहरी महिलाएँ इसमें बढ़ रही है ,पर ग्रामीण क्षेत्र की महिला शिक्षा से दूर है। सरकार को इसमें प्रयास करना चाहिए ,छोटे कुटीर उद्योग खोला जाए ताकि महिला बढ़ पाए। बाकी सब महिला को शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ने के लिए प्रयास करना होगा
बिहार राज्य के जमुई ज़िला के बरहट प्रखंड से आशुतोष की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से रामचन्द्र पंडित से हुई। ये कहते है कि शिक्षा नहीं है इसीलिए महिलाओं पर अपराध अभी भी बढ़ा हुआ है। सरकार द्वारा अपराधों के लिए कठोर कानून बना है लेकिन इसमें और कठोरता लाने की ज़रुरत है। लोग महिलाओं पर विश्वास नहीं करते है ,महिला पूर्ण रूप से परिवार पर विश्वास नहीं दिला पाती है ,कई बार महिला अपने पति को छोड़ कही और चले जाती है और उनके साथ जमीन भी चल जाता है। इस कारण भी लोगों में महिलाओं के नाम जमीन करने में हिचक है। महिलाओं पर विश्वास करना होगा ,महिलाओं को भी अपने परिवार को सहभागी बनाना होगा। महिलाएं आगे बढे इसके लिए सरकार को घरेलु उद्योग में बढ़ावा देना चाहिए। ग्रामीण स्तर में बीड़ी का रोजगार आया लेकिन इसका लाभ अब तक धरातल पर नहीं उतरा। अभी सिलाई मशीन दिया गया लेकिन शिक्षित महिला ही इसका लाभ ले पा रही है। महिलाओं को शिक्षा ,राजनीती क्षेत्र में बढ़ाने के लिए सरकार को जागरूकता फ़ैलाने की ज़रुरत है।
बिहार राज्य के जमुई ज़िला के बरहट प्रखंड से आशुतोष की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से सुनील कुमार यादव से हुई ,ये कहते कि महिलाओं के साथ होने वाली हिंसात्मक घटना को कम करने के लिए शिक्षा बहुत ज़रूरी है। शिक्षित व्यक्ति गलत काम नहीं करेंगे। आत्मरक्षा के लिए महिलाओं को जुडो कराटे सीखना चाहिए। आत्मनिर्भरता बहुत ही ज़रूरी है। महिलाओं के नाम से जमीन लेना चाहिए। इसको लेकर गलत मानसिकता नहीं रखना चाहिए। सरकार को शिक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करना होगा ताकि महिला रोजगार के क्षेत्र में आगे बढे। वैसे पहले की अपेक्षा महिलाओं में जागरूकता आ रहा है। कई क्षेत्र में महिला कार्य कर रही है। सरकार को छोटा उद्योग ,व लोन की प्रक्रिया को आसान करना होगा। इससे महिला स्वरोजगार आसानी से करेगी। महिला में आत्मविश्वास रहेगा तो बेहतर तरीके से आगे बढ़ सकती है
बिहार राज्य के जमुई ज़िला के बरहट प्रखंड से आशुतोष की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से ब्रह्मदेव मंडल से हुई ,ये कहते कि अब समाज में हिचक नहीं है ,महिलाओं को भूमि का अधिकार दिया जा रहा है । जमीन में महिलाओं के लिए छूट है ,जिस कारण लोग महिला के नाम से ही जमीन खरीद रहे है। अब समाज में लड़की को ही मान्य दिया जा रहे है। परिवार लड़की पर अधिक ध्यान देते है भले ही लोग दहेज़ से डरते है। अगर पैसा नहीं दिया जाएगा तो शादी नहीं होगा ,लड़की बहक जाती है ,यही डर रहता है। दहेज़ प्रथा को दूर करना मुश्किल है। दहेज़ लेना कानूनी जुर्म है ,नहीं देने पर लड़की प्रताड़ित होती है। महिलाओं के साथ जो हिंसात्मक घटना होता है ,वो असल में महिला की मर्ज़ी से होती है ,प्रेम में ही ऐसा होता है। महिला अभी बहुत आगे है ,पढ़ाई में भी बहुत आगे निकल गई है। हर क्षेत्र में महिला आगे हो गई है
बिहार राज्य के जमुई ज़िला के बरहट प्रखंड से आशुतोष की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से वकील मंडल से हुई ,ये कहते कि महिलाओं के प्रति हिंसात्मक घटनाओं को खत्म करने के लिए महिलाओं में जागरूकता ज़रूरी है। समाज को भी एकजुटता लाना होगा और ऐसी घटना को लेकर समाज को ही कार्यवाही के लिए प्रशासन तक बात ले जानी चाहिए। सरकार ने कठोर कानून तो बनाए है पर इसके लिए और कठोर कानून बनाने की आवश्यकता है। इस घटना की कार्यवाही में देर नहीं होनी चाहिए। ताकि ऐसी वारदात रुके। महिला और पुरुष में कोई फ़र्क़ नहीं है ,दोनों का सामान अधिकार है। अगर भेदभाव हो रहा है तो गलत है। संपत्ति में भाई बहन दोनों का बराबर अधिकार है। भ्रूण हत्या समाज का दुर्भाग्य है। अगर इसमें रोक नहीं लगेगा तो आने वाले दिनों में लड़की की संख्या कम हो जाएगी। इसको लेकर समाज को जागरूक होना चाहिए। वही रोजगार के लिए लड़कियो को शिक्षित होना ज़रूरी है। समाज में अन्धविश्वास और गलत मानसिकता है ,जो लड़कियों को पढ़ाने से रोकते है। महिलाओं को शिक्षा अधिक से अधिक देना चाहिए ,सरकार भी महिलाओं के लिए लाभ लाते है
बिहार राज्य के जमुई ज़िला के बरहट प्रखंड से आशुतोष की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से मनीष कुमार से हुई ,ये कहते कि परिवार की मानसिकता जैसे बेटी पराया धन होती है तो जल्दी से उनकी शादी करवा दी जाए , इस कारण बाल विवाह बढ़ा है। नई युग ,प्रचलन , नई संस्कृति के प्रेम विवाह के कारण परिवार वाले डरे रहते है ,इस कारण वे बेटियों की शादी करवाने की सोच रखते है।शिक्षा और संस्कार में अंतर है। महिलाओं को मार्गदर्शन तो दिया जा रहा है पर संस्कार नहीं दिया जा रहा है। अभी जो शिक्षा ग्रहण किया जा रहा है जिसमे संस्कार को नहीं जोड़ा गया है। पढ़े लिखे व्यक्ति भी अपने माता पिता को वृद्धा आश्रम में रखते है। संस्कार की कमी ही आज कल के लोग को गलत दिशा में ले जा रही है। पहले के मुकाबले भ्रूण हत्या कम हुआ है ,कुछ ही प्रतिशत लोग है जो भ्रूण हत्या करते है। इसकी वजह है बेटियों को न चाहना। भ्रूण हत्या में परिवार का हर एक सदस्य दोषी होता है।
बिहार राज्य के जिला गिद्धौर से आशुतोष पाण्डेय की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से सचिन कुमार जी से हुई।सचिन कुमार यह बताना चाहते है कि महिलाओं को समाज में जिस तरह से देखा जाता है और समझा जाता है वह सही नहीं है कहीं न कहीं। स्कूल और कॉलेजों में लिंग , समानता और महिलाओं के अधिकारों के सम्बन्ध में जारूकता फैलाने के लिए कार्यकर्म चलाए जाना चाहिए। इसमें मीडिया का भी अहम भूमिका होता है , जैसे की मीडिया को महिलाओं के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देने वाले करंट से बचाना चाहिए और सकारात्मक उदहारण पेस करने चाहिए। समुदाय में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना चाहिए ताकि लोग महिलाओं के खिलफ हिंसा को जान सके और उनके खिलाफ खड़े हो सके। हमे महिलाओं को देखने का नजरिया बदलना होगा। पुरुष और महिला में कोई अंतर नहीं समजा जाना चाहिए। दहेज़ प्रथा को ख़तम करना होगा। दहेज़ लेने वाले जितने दोषी होते है उतना ही देने वाले होते है।
बिहार राज्य के गिद्धौर ज़िला के कोलूवा पंचायत से रंजन की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से नागमणि कुमार से हुई। ये बताते है कि महिला को ऊपर उठाने और बढ़ाने के लिए महिलाओं में जागरूकता लाना होगा साथ ही महिला की शिक्षा में जोर देना होगा क्योंकि शिक्षित होने से ही महिला अच्छे से आगे बढ़ेगी। जहाँ तक आत्मनिर्भर बनाने की बात है तो देखते है कि समाज में महिला दब कर रहती है ,संकुचित भावना और दायरा से जुड़ी है ,जब तक महिला को प्रेरणा व सहयोग नहीं मिलेगा तब तक वो कोई मुख्य धारा से नहीं जुड़ सकती है। महिलाओं को सरकार की योजना को लेकर जागरूक करना है और सहयोग दे कर उन्हें बढ़ाना है ,जिससे वो आत्मनिर्भर बन सके। वो अपना रोजगार खुद करने में सक्षम हो जाए। समाज में महिला से कई बातों पर उम्मीद रखा जाता है लेकिन बहुत बातों पर महिला को पीछे कर दिया जाता है और देखा जाता है कि पुरुष वर्ग को आगे बढ़ाने में लगे रहती है। ये समाज के लिए उचित नहीं है। समाज की सोच को बदलना होगा और दायरा बढ़ाना होगा ताकि महिला भी आगे बढ़ सके। अगर सरका महिला के लिए कुछ कर रही है तो पुरुष वर्ग और समाज को भी इसमें सहयोग करना चाहिए। इसी से ही महिला गरीबी चक्र से निकल पाएगी। और जहाँ बात आती है भूमि अधिकार की ,वो तो महिला को पति के मृत्यु के बाद मिलती ही है तो समाज को इस पर विघ्न नहीं डालना चाहिए। महिला का हक़ को लेकर गुमराह नहीं करना चाहिए ,खुले विचार से महिला पर ध्यान देना चाहिए। शिक्षित महिला अन्य महिला को उनके अधिकार के लिए प्रेरित कर रही है लेकिन कई महिला आंतरिक रूप से अपने पिता की संपत्ति में अधिकार चाहती है और यही बात को पकड़ कर महिला को गलत समझा जाता है। लेकिन यह वास्तविकता नहीं है। महिला की सम्मान अगर समाज में होगा तो महिला का विकास होगा। अन्य लोगों का भी विकास होगा और मानसिकता में बदलाव आएगा। इससे समंजस्यता के साथ समाज आगे बढ़ सकता है
बिहार राज्य के जमुई जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता रंजन ने युवा छात्र शिवांशु से बातचीत की जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि शिक्षा ग्रहण कर महिलाएं आत्मनिर्भर बनेगी और गरीबी के चक्र से बाहर निकल पायेंगी। महिलायें कुटीर उद्योग और अन्य योजनाओं के माध्यम से अपना रोजगार शुरू कर सकती हैं। ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को छोटे व्यवसाय देकर, उन्हें गरीबी से बाहर निकाला जा सकता है। महिलाओं को गरीबी से बाहर निकालने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है ताकि महिलाएं गरीबी से बाहर आ सकें। जब तक महिलाएं आत्मनिर्भर नहीं हो जातीं, तब तक समाज का विकास एक अधूरा प्रतीक रहेगा। पहले की तुलना में समाज में सुधार आया है। लोगों ने अब महिलाओं के नाम पर भूमि संपत्ति खरीदना शुरू कर दिया है। महिलाओं को समाज में उतना सम्मान नहीं मिल रहा है जितना उन्हें मिलना चाहिए था
