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बिहार राज्य के जिला मधुबनी से सुल्तान अहमद जी मोबाइल वाणी के माध्यम से लदनिया के किसान अमरेश जी से किसानी करने में आ रही परेशानियों के बारे में बातचीत की। जिसमें अमरेश जी का कहना है कि कृषि उत्पाद को बेचने के लिए सरकारी गोदाम है,इनके दस्तावेज भी है,परन्तु ताले कभी खुलते नहीं है,ताले तभी खोले जाते है जब बिचौलियाँ आते है। किसान वहां जाकर कर बेच नहीं सकते है। पैक्स के माध्यम से मात्र तीन से चार किसानों की खरीदारी हो पाती है। वो भी मोटे तौर पर,किसी और से धान खरीद कर और अपने-अपने चहेते किसानों के नाम पैसे ट्रांसफर कर के एक मोटे रकम कमाते है। ये लोग पैक्स को धान नहीं बेचते है,बिचौलियों को ओने-पोन दाम पर बेचते है। पैक्स में धान का भाव 1500 रु और बिचौलियों के भाव मात्र 800 रु है। सरकार की ओर से गुणवत्तापूर्ण बीज भी नहीं मिलते है। इसलिए सरकार से सभी किसानों की मांग है कि एक बार वे इनके यहाँ ज़रूर आएं और किसानों की समस्या को नजदीकी से देखें। सरकार की ओर से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अभी तक कोई कदम नहीं उठायें गए है,कोई भी बात किसानों तक नहीं पहुँचती है। कृषि विभाग का भी इस पर कोई भूमिका नहीं है। साथ ही मिट्टी जाँच करवाने के लिए इन्हे पैसे पड़ते है। हर तीन साल में मिट्टी का जाँच करवाते है। इनका कहना है कि जब तक किसान संगठित नहीं होंगे तब तक इसमें सुधार नहीं होगा,इसके लिए किसानों को जानकारी देना होगा और एकजुट होकर सरकार के पास अपनी मांगों को रखना होगा।
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